केजरीवाल सरकार का आपराधिक फैसला, अब दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली वालों का इलाज

अरविंद केजरीवाल ने कहा कोरोना से पहले तक 60 से 70 प्रतिशत बाहर के लोग दिल्ली के हॉस्पिटलों में भर्ती रहे, लेकिन इस वक्त दिल्ली में समस्या है, कोरोना केस तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में पूरे देश के लिए हॉस्पिटल खोल दिए तो दिल्ली के लोग कहां जाएंगे....

Update: 2020-06-07 07:15 GMT

जनज्वार। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अब दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली वालों का इलाज होगा। यह प्रक्रिया तब तक रहेगी, जब तक कि कोरोना की भयावहता कम नहीं होती।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कैबिनेट बैठक के बाद यह अहम फैसला लिया है। अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आनेवाले हॉस्पिटल और दिल्ली के प्राइवेट हॉस्पिटलों में सिर्फ दिल्ली के लोगों का इलाज होगा। वहीं केंद्र सरकार के हॉस्पिटल जैसे एम्स, सफरदरजंग और राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) में सभी लोगों का इलाज हो सकेगा, जैसा अब तक होता भी आया है। हालांकि, कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल जो स्पेशल सर्जरी करते हैं जो कहीं और नहीं होती उनको करवाने देशभर से कोई भी दिल्ली आ सकता है, उसे रोक नहीं होगी।

अरविंद केजरीवाल ने कहा कोरोना से पहले तक 60 से 70 प्रतिशत बाहर के लोग दिल्ली के हॉस्पिटलों में भर्ती रहे, लेकिन इस वक्त दिल्ली में समस्या है, कोरोना केस तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में पूरे देश के लिए हॉस्पिटल खोल दिए तो दिल्ली के लोग कहां जाएंगे। केजरीवाल ने बताया कि पांच डॉक्टर्स की कमिटी बनाई गई थी, जिन्होंने माना कि फिलहाल बाहर के मरीजों को रोकना होगा।

केजरीवाल के मुताबिक, कमिटी ने कहा है कि दिल्ली को जून के अंत तक 15 हजार कोविड बेड चाहिए होंगे। फिलहाल दिल्ली के पास 9 हजार बेड हैं और अगर हॉस्पिटल सबके लिए खोल दिए तो ये 9 हजार तीन दिन में भर जाएंगे। केजरीवाल ने कहा कि 7.5 लाख लोगों ने उन्हें सुझाव दिए, जिसमें से 90 प्रतिशत ने कहा कि फिलहाल कोरोना-कोरोना तक दिल्ली से हॉस्पिटल दिल्लीवालों के लिए होने चाहिए।

केजरीवाल सरकार के इस फैसले को अमानवीय बताते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अशोक अग्रवाल ने इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि इस फैसले का एकतरफा विरोध इसलिए भी किया जाना चाहिए कि एक राज्य के अस्पतालों पर आखिर उसी राज्य के नागरिकों का अधिकार कैसे हो सकता है, वो भी इतनी भयावह ​बीमारी के दौर में।

लोग पहले से ही कोरोना के कारण दहशत में हैं, ऐसे में एक राज्य का मुख्यमंत्री अगर यह घोषणा करता है कि उसके राज्य में सिर्फ वहीं के नागरिकों मतलब जिसके पास दिल्ली की नागरिकता साबित करने के प्रमाण हों, उसी का इलाज होगा, बहुत अमानवीय कदम होगा।

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