क्रिमिनल हैं प्रधानमंत्री मोदी, उन्हें खतरा नक्सलवाद से नहीं भाजपा की हार से है : हिमांशु कुमार

PM मोदी ने जेलों में किसे डाला, वकीलों को डाला, पत्रकारों को डाला, संपादकों को जेल में डाला, जो अच्छे जानकार हैं आपने उन्हें नरेंद्र मोदी ने जेलों में डाल दिया है, नक्सली कहकर....

Update: 2022-10-30 04:07 GMT

Chhattisgarh Tribals' Killing : सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार पर SC ने लगाया 13 साल पुराने मामले में 5 लाख का जुर्माना, जांच के भी दिए आदेश (photo : facebook)

Urban naxal : जैसे-जैसे हिमाचल, गुजरात और दिल्ली MCD के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे प्रधानमंत्री मोदी कभी अर्बन नक्सल तो कभी नक्सलवाद को देखने लगे हैं। अभी हाल ही में PM Modi ने एक बड़ा ही रोचक बयान दिया है। उन्होने कहा है, 'बंदूक वाले भी नक्सलवादी हैं और कलम वाले भी नक्सलवादी हैं। और दोनों को ही पराजित करना हमारे लिए जरूरी है अन्यथा वह देश के लिए बहुत ही घातक साबित होगा।' 

सवाल यह है कि पिछले आठ सालों से देश की सत्ता पर विराजमान मोदी सरकार कहती है कि उनने नक्सलवाद की कमर तोड़ दी है। या जस का तस कर दिया है, तो फिर डर किस बात से है? और दूसरी बात ये कि कलम वाले नक्सलवादी कौन हैं?  

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जनज्वार से हुई बातचीत में अर्बन नक्सल होने का आरोप झेल रहे हिमांशु कुमार कहते हैं, 'मैं प्रधानमंत्री के इस बयान को एक तरह से उनकी आत्मस्वीकृति मानता हूँ। क्योंकि प्रधानमंत्री जो बात कह रहे हैं, वह क्यों कह रहे हैं, ये समझना बड़ा जरूरी है। उनका यह बयान किस डर में से निकला है, किस हताशा से निकला है। पिछले 8 साल से मोदी का जो कार्यकलाप है, उससे मोदी ना सिर्फ व्यक्तिगत तौर पर क्रिमिनल तौर-तरीके अपनाते रहे हैं, बल्कि उन्होने पॉलिटिकल और सोशल क्राइम बहुत कियो हैं। लगातार कर रहे हैं। और अगर हम एक-एक चीज को लें, कि उन्होंने कौन से सोशल क्राइम किये हैं, कौन से पॉलिटिकल क्राइम किये हैं, कौन से उनके व्यक्तिगत क्राइम रहे हैं।  

हिमांशु आगे कहते हैं, 'मेरे दोस्तों में वो पुलिस अधिकारी हैं, जिन्होने कुछ क्राइम्स की फाइल बनाईं। फाइल बनाकर उन्होने सरकारों को दी। मैं नाम लेना चाहूंगा..संजीव भट्ट, आरबी श्रीराम। संजीव भट्ट आईजी रहे हैं, गुजरात के। आरबी श्रीकुमार एडिशनल जनरल ऑफ पुलिस रहे हैं। इन्होने उन केसों की फाइल्स चाहें वो गुजरात दंगों की रही हो, चाहें वो हरेन पंड्या केस की फाइल रही है, या और भी तमाम मामलों की फाइल बनाकर उस समय की कांग्रेस सरकारों को भेजी गई। लेकिन उस वक्त कांग्रेस में संघ-RSS के लोग घुसे हुए थे। जो बाद में भाजपा में शामिल हो गये। वे लोग इन्हें बचाते रहे। नहीं तो आज मोदी-अमित शाह जेल में होते। मोदी और अमित शाह के पर्सनल क्राइम्स की भी एक बड़ी लंबी सूची है।'

बकौल हिमांशु प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल और पॉलिटिकल क्राइम बहुत किये हैं। नरेंद्र मोदी ने इस देश के रोजगार समाप्त किये। पूंजीपतियों उद्योगपतियों को ये मौका दिया कि वे रोजगार खत्म किये। देश में बेरोजगारों की लंबी लाइन खड़ी कर दी। ये एक बहुत बड़ा अपराध किया। बसें, रेलवे, जहाज बेच दिये। जनता के तमाम संसाधन पूंजीपतियों के हवाले कर दिये। बैंकों में पड़ा गरीबों का पैसा उनके गुजराती पूंजीपति मित्र लेकर विदेश भाग गये। अब नरेंद्र मोदी को डर लगता है। उनकी बात कोई बाहर ना कर दे। वे डरते हैं कोई शोर ना मचा दे। चोर और क्रिमिनल किससे डरता है, उससे जो जनता को जगाता है। जो बोलता है, जो लोगों को सच्चाई बताता है। मोदी ने जेलों में किसे डाला? वकीलों को डाला, पत्रकारों को डाला, संपादकों को जेल में डाला। जेल में जो सबसे फाइनेस्ट बुद्धिजीवी हैं।

हिमांशु सवाल उठाते हैं, इस देश में विकास के नाम पर गरीबों की जमीन छीनकर पूंजीपतियों को देने से आप देश को कहां ले जा रहे हैं? इस देश की सरकारी पूंजी है, वो चाहें रेल हो, बड़ी सरकारी कंपनियां हैं, जो बेच दी। छत्तीसगढ़ केसलवा जुडूम के खिलाफ न्यायालय का फैसला आया था 'नन्दिनी सुंदर vs स्टेट' 2011 में। तब छत्तीसगढ़ के होम मिनिस्टर ननकी राम कंवल का स्टेटमेंट था कि सुप्रीम कोर्ट का ये न्यायाधीश माओवादी है। इसके अलावा इंटरनेशनल रेड क्रॉस को छत्तीसगढ़ सरकार ने माओवादी संगठन बताया। डॉक्टर्स विदाउट बार्डर को इन्होने कहा कि ये माओवादी संगठन है। अरविंद केजरीवाल को ये लोग नक्सली बोल चुके है, कांग्रेस इनके मुताबिक नक्सली है।

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यूनाइटेड नेशंस की जो परमानेंट सीट है, इंडीजीनस पीपुल्स उसके उपाध्यक्ष भारत आये तो जगदीश उपासने ने उन्हें माओवादी बना दिया। इनके यानी भाजपाइयों के खिलाफ जो बोले वो माओवादी है। जो इनकी चालें खोल दे उसे माओवादी कहते हैं। माओवादी बताकर उसे जेल भेज दो। ईडी आईडी पीछे लगा दो। इसी तरह इनके लिए जो लोग बोलते हैं, लिखते हैं उन्हें कलम वाला नक्सलवादी बता दो। अर्बन नक्सल बता दो। भाजपाइयों का और नरेंद्र मोदी का यही काम है। और ये काम अपराध नहीं तो क्या है?

हिमांशु दावा करते हैं, 'इन लोगों को लगता है, डराने से, जेल में डालने से जांच एजेंसियों का दुरूपयोग करने से हम डरने वाले लोग नहीं हैं। हम लोगों ने लोहा लिया है। RSS और इन जैसों से हम पीढ़ियों से लड़ते आये हैं और आगे भी लड़ेंगे। हम लोग इन्हें देश से खत्म करके मानेंगे। ये लोग देश के दुश्मन हैं, एकता के दुश्मन हैं, भाइचारे के दुश्मन हैं। इन लोगों को भारत से नेस्तानाबूद करना जरूरी है। RSS और बीजेपी को समाप्त होना चाहिए इस देश से। ऐसा नहीं है इस देश में आवाजें नहीं हैं, लोग बोल रहे हैं। मजदूर बोल रहे हैं, किसान बोल रहे हैं, छात्र बोल रहे हैं, महिलाएं बोल रही हैं। उनका दमन हो रहा है, अत्याचार हो रहा है। जेएनयू में छात्रों को घुसकर मारा गया। छात्राओं को पीटा गया। लोगों पर अटैक हो रहे हैं। मजदूर नेताओं को जेल में डाला जा रहा है। लेकिन ये अत्याचार, तानाशाही और फांसीवाद को हराएंगे, और लोकतंत्र को जिताएंगे।' 

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