राजस्थान में प्रवासी मजदूरों ने निकाली रैलियां, मांगा 200 दिन का रोजगार

लाखों की संख्या में लौटे प्रवासियों ने कहा कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के बाद हमें काम करते हुए हो जायेंगे 100 दिन पूरे और उसके बाद कोई काम नहीं रहेगा, जब​कि इस वित्तीय वर्ष के 8 महीने बाकी हैं, हो जायेगा रोजी—रोटी का संकट शुरू...

Update: 2020-06-18 16:30 GMT

जयपुर, जनज्वार। कोविड 19 से हमारा देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया लड़ रही है। इस महामारी की वजह से जो लोग प्रवास पर रहकर काम कर रहे थे उनमें से अधिकतर अपने घर लौट गए हैं। राजस्थान में ऐसे लौटने वाले लोगों की संख्या 15 लाख से भी अधिक है। ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के पास अभी महात्मा गांधी नरेगा के अलावा काम का कोई विकल्प नहीं है।

राजस्थान में अभी 50 लाख से अधिक मज़दूर प्रतिदिन काम कर रहे हैं। इनमें से कइयों के 100 दिन इस माह के अंत या अगले माह तक पूरा कर लेंगे। उसके बाद उनके पास कोई काम नहीं रहेगा और इस वित्तीय वर्ष के 8 महीने अभी शेष हैं।

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संकट की इस घड़ी में महात्मा गांधी नरेगा देश की अर्थव्यवस्था और गरीब के लिए जीवनदायी साबित हुआ है। इसमें ना केवल लोगों को रोजगार मिल रहा है बल्कि स्थायी संपत्ति का निर्माण भी साथ-साथ किया जा रहा है। इसलिए इस कोरोना काल में महात्मा गांधी नरेगा में 100 दिन अतिरिक्त दिए जाने की सख्त आवश्यकता है।

महात्मा गांधी नरेगा में अतिरिक्त 100 दिनों की मांग और औजार भत्ता दिए जाने को लेकर राज्य के 25 जिलों में सैकड़ों स्थानों पर प्रधानमंत्री से अतिरिक्त 100 दिन की मांग के लिए उनके नाम स्थानीय ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला और राज्य स्तर 18 जून 2020 को ज्ञापन सौंप प्रदर्शन कर रैलियां निकालीं।

सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान, राजस्थान एवं राज्यभर के तमाम सामाजिक, जन संगठन और संस्थाओं ने महात्मा गांधी नरेगा में 200 दिन का रोजगार दिए जाने को विभिन्न ग्राम—पंचायतों, पंचायत समितियों और जिलों में प्रधानमंत्री मोदी के नाम ज्ञापन दिया और 200 दिन के रोजगार की मांग की।

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