कोरोना बीमारी के बहाने एन्टी नेशनल मोदी सरकार को कर रहे हैं बदनाम : आरएसएस

जिस समय देश भर में स्वास्थ्य सेवा को कोविड -19 के प्रकोप को संभालने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, उसी समय आरएसएस ने 24 अप्रैल को कहा है कि भारत विरोधी ताकत महामारी के दौरान 'नकारात्मकता' और 'अविश्वास' का माहौल बना सकती है.....

Update: 2021-04-25 07:53 GMT

वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार का विश्लेषण

आरएसएस और भाजपा ने फर्जी राष्ट्रवाद और उग्र हिन्दुत्व के अपने एजेंडे को लागू करते हुए खुशहाल देश भारत को सीरिया और इराक जैसे ध्वस्त देशों की कतार में लाकर खड़ा कर दिया है। मुस्लिम विद्वेष और कारपोरेट की गुलामी की नीति पर अमल करते हुए संघी गिरोह ने अपने ही देशवासियों के खिलाफ सात सालों से जो युद्ध छेड़ रखा है उसका मवाद अब खुलेआम बहने लगा है।

पूरी दुनिया अब मोदी सरकार की अमानवीयता पर थूक रही है जो आम जनता के लिए कोरोना महामारी के समय जीवन रक्षक ऑक्सीज़न मुहैया करवाने में पूरी तरह नाकाम हो गई है और देश एक मरघट में तब्दील होता जा रहा है। इस हकीकत को छिपाने के लिए संघी गिरोह, गोदी मीडिया और भाजपा आईटी सेल तरह-तरह के पैंतरे आजमा रहे हैं। इसी क्रम में संघ की तरफ से बयान आया है कि सरकार की निंदा के बहाने देश विरोधी ताक़तें अविश्वास का माहौल बना सकती हैं। यानी अपनी गलती को स्वीकार करने की जगह संघ कडवे सच को विकृत करने की मुहिम शुरू कर चुका है।

जिस समय देश भर में स्वास्थ्य सेवा को कोविड -19 के प्रकोप को संभालने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, उसी समय आरएसएस ने 24 अप्रैल को कहा है कि भारत विरोधी ताकत महामारी के दौरान "नकारात्मकता" और "अविश्वास" का माहौल बना सकती है, इसीलिए लोगों को उनके खिलाफ सतर्क रहना पड़ेगा और एक साथ संकट से लड़ने के लिए आगे आना पड़ेगा।

आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसाबले ने मीडिया से "सकारात्मक माहौल" को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए कहा। जिन परिवारों ने कोरोना के चलते सदस्यों को खो दिया है, उनके प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए आरएसएस के नेता ने कहा कि सरकार व्यापक प्रयास कर रही है और यह कि भारत के आकार को देखते हुए समस्याएं "विशाल अनुपात" ले सकती हैं।

होसाबले ने एक बयान में कहा- यह भी संभव है कि समाज में विनाशकारी और भारत-विरोधी ताकतें देश में नकारात्मकता और अविश्वास का माहौल बनाने के लिए इन प्रतिकूल परिस्थितियों का लाभ उठा सकती हैं। देशवासियों को स्थिति को सुलझाने के सकारात्मक प्रयासों के अलावा इन विनाशकारी ताकतों की साजिशों से सावधान रहना चाहिए।

होसाबले ने कहा--हम मीडिया सहित समाज के सभी वर्गों से अनुरोध करते हैं कि वे सकारात्मकता, आशा और विश्वास का माहौल बनाए रखने में योगदान दें। जो लोग सोशल मीडिया में सक्रिय हैं, उन्हें सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए और अधिक संयमित और सतर्क रहना चाहिए।

आरएसएस नेता ने संघ के कार्यकर्ताओं, सामाजिक, धार्मिक और सेवा संस्थानों और संगठनों और वाणिज्य और उद्योग के क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी वर्तमान चुनौतियों के समाधान के लिए तत्परता और सेवा की भावना से आगे आने और मदद में कोई कसर नहीं छोड़ने का आह्वान किया।

ऑक्सीजन की कमी सहित महामारी के कारण स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे पर दबाव का उल्लेख करते हुए होसाबले ने कहा कि भारत जैसे बड़े देश में समस्याएँ बढ़ सकती हैं। महामारी के अचानक बिगड़ने के कारण, लोगों को अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और आवश्यक दवाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। भारत जैसे बड़े राष्ट्र में समस्याएं अक्सर विशाल अनुपात हासिल करती हैं। संघ और राज्य सरकारों और स्थानीय नागरिक संगठनों द्वारा इन चुनौतियों को पूरा करने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं।

इस बयान के जरिये संघ प्रायोजित आपदा की लीपापोती करने की कोशिश साफ नजर आ रही है। मोदी सरकार अपनी सम्पूर्ण विफलता को कबूल करने की जगह अपनी आलोचना में लिखे गए ट्वीट को मिटा रही है और अपनी गुलाम मीडिया को हुक्म दिया है कि तबाही के लिए सारा दोष एक विमूर्त चरित्र 'सिस्टम' के सिर पर मढ़ दे। यानी आम लोगों के खून से सने अपने हाथ को छिपाने के लिए मोदी सरकार निर्लज्जता की हदों को लांघती जा रही है।

ब्रितानी अख़बार डेली मेल की एक रिपोर्ट में लिखा है कि भारत में मई के पहले हफ़्ते में रोज़ाना पाँच लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले आएंगे और क़रीब 5700 लोगों की रोज़ाना मौत होगी।

24 अप्रैल को भारत में 3,46,786 नए मामले आए और 2624 लोगों की मौत हुई। अख़बार के अनुसार मोदी सरकार कोरोना के आँकड़ों को छुपा रही है और मरने वालों की संख्या 10 गुना ज़्यादा हो सकती है।

भारत में पिछले तीन दिनों से रोज़ाना तीन लाख से ज़्यादा नए मामले आ रहे हैं और दो हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो रही है।

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