कोविड 19 के मामले मेें आत्मनिर्भर हो गया भारत, अब हर रोज सामने आ रहे 78000 से ज्यादा मामले

भारत में जब कोविड 19 के मामले आने लगे तब बताया गया कि इसे लोग विदेशों से लेकर आ रहे हैं, इसके बाद जब मामले बढ़ने लगे तब तबलीगी जमात को इसका कारण बताया गया, इसके बाद भी और मामले बढ़ने पर इसके टीके की तरफ ध्यान भटकाया गया और अब जब हम दुनिया में सबसे आगे पहुँच गए हैं तब सब शांत हो गए....

Update: 2020-08-31 07:06 GMT

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र पांडेय का विश्लेषण

प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर हम और किसी विषय में भले ही आत्मनिर्भर न हुए हों, पर कोविड 19 के सन्दर्भ में जरूर आत्मनिर्भर बन गए हैं और इस सन्दर्भ में अपने उत्पादों, यानि प्रतिदिन बढ़ती मरीजों की संख्या और मृत्यु, के सन्दर्भ में किसी भी देश से देश से आगे निकल गए हैं। जब अमेरिका में कोविड 19 से प्रतिदिन 70 हजार से अधिक लोग संक्रमित होने लगे थे, तब ट्रम्प ने कहा था कि हमें इस संख्या पर गर्व है क्योंकि हम दुनिया में सबसे अधिक टेस्टिंग कर रहे हैं। पर, जब अमेरिका संभालने लगा, और उसकी जगह भारत कोविड 19 के मामलों में दुनिया की अगुवाई करने लगा तब प्रधानमंत्री जी ने कोविड 19 की चर्चा बंद कर दी और आत्मनिर्भर भारत की बात करने लगे।

भारत में जब कोविड 19 के मामले आने लगे तब बताया गया कि इसे लोग विदेशों से लेकर आ रहे हैं। इसके बाद जब मामले बढ़ने लगे तब तबलीगी जमात को इसका कारण बताया गया। इसके बाद भी और मामले बढ़ने पर इसके टीके की तरफ ध्यान भटकाया गया और अब जब हम दुनिया में सबसे आगे पहुँच गए हैं तब सब शांत हो गए। 29 अगस्त को देश में कोविड 19 के कुल 78761 मामले दर्ज किये गए, जो इस वैश्विक महामारी के इतिहास में किसी भी देश द्वारा एक दिन में दर्ज मामलों की तुलना में सबसे अधिक है। इसके पहले अमेरिका में 25 जुलाई को एक दिन में 78427 मामले दर्ज किये गए थे। पिछले लगभग एक महीने से हमारे देश में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक मामले दर्ज किये जा रहे हैं और मौतें भी सबसे अधिक हो रही हैं।

पिछले सप्ताह में भारत में कुल 496070 मामले सामने आये, यह संख्या किसी भी देश द्वारा एक सप्ताह में दर्ज संख्या से अधिक है। भारत की स्थिति का कोविड 19 के सन्दर्भ में अंदाजा लगाने के लिए एक तथ्य देखिये – 30 अगस्त तक पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में कोविड 19 के कुल 4073148 मामले सामने आये थे, जिसमें अकेले भारत का योगदान 3542733 संक्रमण का है।

इस समय कोविड 19 के संक्रमण के सन्दर्भ में केवल भारत, अमेरिका और ब्राज़ील की चर्चा की जाती है, क्योंकि इन्ही देशों में सबसे अधिक संक्रमण के मामले आ रहे हैं। पर पिछले 14 दिनों के आंकड़े पर निगाह डालें तो स्पष्ट है कि भारत संक्रमण के मामले में इन देशों से बहुत आगे चला गया है। पिछले 14 दिनों के दौरान भारत, अमेरिका और ब्राज़ील में नए संक्रमण की संख्या क्रमशः 895070, 557881 और 505956 रही है और इससे मौत के आंकड़े क्रमशः 12577, 12709 और 12410 रहे हैं। भारत और मेक्सिको में कोविड 19 से मौत के आंकड़े लगभग एक जैसे हैं।

30 अगस्त तक भारत में कुल 63498 मौतें दर्ज की गईं थीं जबकि मेक्सिको का आंकड़ा 63819 था। पर इन्ही दोनों देशों में पिछले 14 दिनों के भीतर कोविड 19 से होने वाली मौत के आंकड़े एकदम दूसरी कहानी कहते हैं – भारत में इस दौरान 12577 मौतें दर्ज की गईं जबकि मेक्सिको के लिए यह आंकड़ा मात्र 7062 था।

अब तो जाहिर है हम कोविड 19 के सन्दर्भ में पूरी तरीके से आत्मनिर्भर हो चुके हैं, पर इसकी चर्चा नहीं की जाती। आत्मनिर्भर भारत में खिलौने और कुत्तों की नस्ल पर तो बहुत चर्चा हो गई, पर अभी बहुत दिन नहीं बीते हैं जब फ्रांस से राफेल विमानों की खेप के आगमन का सभी समाचार चैनलों ने लगभग सीधा प्रसारण किया था और चीन और पाकिस्तान को रोज बिना युद्ध के ही नेस्तनाबूत करते रहते हैं। यह बात और है कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति अपने भाषणों में इन देशों का नाम तक नहीं लेते। लॉकडाउन के बीच भी अमेरिका, इजराइल और रूस जैसे देशों से रखा उपकरणों पर लगातार वार्ता की जा रही थी, किसी से हेलीकाप्टर आ रहे हैं तो किसी से मिसाइलें।

हाल में ही अमेरिकी कंपनी गूगल के पिच्चई के साथ प्रधानमंत्री की लम्बी वार्ता को मीडिया ने खूब दिखाया था और भारत सरकार के साथ समझौतों पर सरकार और मीडिया इतरा रही थी। अमेरिकी कंपनी फेसबुक को अपने देश में सबसे अधिक विज्ञापन आत्मनिर्भर भारत के पुरोधा प्रधानमंत्री जी की पार्टी बीजेपी से मिलते हैं और इसके बदले फेसबुक भारतीय मीडिया की तरह सरकारी प्रचार करता है, ख़ास समूह के प्रति हिंसा भड़काता है और विपक्ष के साथ ही नागरिकों की आवाजें भी दबाता है। आत्मनिर्भर भारत के बारे में तो प्रधानमंत्री जी अमेरिकी कंपनी ट्विटर और इन्स्टाग्राम के माध्यम से बताते हैं।

यदि आप आज के तथाकथित आत्मनिर्भर भारत को नजदीक से देखें तो यह भारत अडानी-अम्बानी भारत अधिक समझ में आता है, यही चन्द नाम अब भारत का पर्याय बन गए हैं। यह कैसी आत्मनिर्भरता है, जिसमें टेलीकम्यूनिकेशन, खनन, कोयले से बिजली, सौर ऊर्जा से बिजली, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे, राफेल की मरम्मत, विश्वविद्यालय, पेट्रोलियम सबकुछ अडानी-अम्बानी को उपहार स्वरुप दिया जाता है और दूसरी तरफ सभी सरकारी कम्पनियां बेचने के लिए बाजार के हवाले कर दी जातीं हैं। जब सरकारें अपने नियंत्रण की कम्पनियां नहीं चला पा रहीं हैं, एयर इंडिया को नहीं उड़ा पा रहीं हैं, तब कैसे आत्मनिर्भरता की बातें कर सकतीं हैं?  

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