Nitin Gadkari : 2024 में गडकरी करेंगे BJP के विद्रोही गुट का नेतृत्व या डाल दिए जाएंगे हाशिये पर? जानिए क्या हैं राजनीतिक समीकरण

Nitin Gadkari: 2014 के बाद जब मोदी-शाह की जोड़ी ने आडवाणी और जोशी जैसे नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में शामिल कर दिया, तो उस वक्त यह लगा कि यह मंडल बेहद ताकतवर होगा। लेकिन मार्गदर्शक मंडल का जो हश्र हुआ, उसे सारा देश देख रहा है।

Update: 2022-08-18 10:48 GMT

Nitin Gadkari : 2024 में गडकरी करेंगे भाजपा के विद्रोही गुट का नेतृत्व या डाल दिए जाएंगे हाशिये पर? जानिए क्या हैं राजनीतिक समीकरण 

Nitin Gadkari: 2014 के बाद जब मोदी-शाह की जोड़ी ने आडवाणी और जोशी जैसे नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में शामिल कर दिया, तो उस वक्त यह लगा कि यह मंडल बेहद ताकतवर होगा। लेकिन मार्गदर्शक मंडल का जो हश्र हुआ, उसे सारा देश देख रहा है। अब मोदी-शाह की जोड़ी ने नितिन गडकरी को भी उसी मंडल में भेजने का संकेत दे दिया है जबकि गडकरी को आरएसएस का प्रिय नेता और मोदी का विकल्प माना जाता रहा है। भाजपा के अंदर चुनौती देने लायक किसी भी नेता को दरकिनार करने में माहिर मोदी-शाह ने गडकरी के पंख काट दिए हैं। अब देखना यह होगा कि गडकरी 2024 में भाजपा के विद्रोही गुट का नेतृत्व करेंगे या मार्गदर्शक मंडल के सदस्य बन जाएंगे।

केंद्र सरकार के मंत्रियों में सबसे शानदार प्रदर्शन करने वाले मंत्री नितिन गडकरी को पार्टी के संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से बाहर कर दिया गया है। उनके साथ-साथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन को भी पार्टी के संसदीय बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। नई सूची में पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी अद्यक्ष जेपी नड्डा ही सीनियर नेताओं के रूप में बोर्ड में शामिल रह गए हैं। इन सभी नेताओं को मोदी के विशेष समर्थक के रूप में देखा जाता है। नितिन ग़डकरी और शिवराज सिंह चौहान जैसे दिग्गज नेताओं को संसदीय बोर्ड से हटाने को बेहद चौंकाने वाला निर्णय माना जा रहा है। इसे पार्टी के अंदर तेज हो रहे घमासान के रूप में देखा जा रहा है। पार्लियामेंट्री बोर्ड भाजपा की सबसे ताकतवर इकाई मानी जाती है जो किसी मामले पर पार्टी की ओर से अंतिम निर्णय करती है।

चूंकि, पार्टी की सबसे ताकतवर इकाई संसदीय बोर्ड में पार्टी के सभी पूर्व अध्यक्षों को रखे जाने की परंपरा लंबे समय से बनी हुई थी, और नितिन गडकरी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं, लिहाजा उन्हें संसदीय बोर्ड से हटाने को और ज्यादा नकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। इसके पहले केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्रियों रविशंकर प्रसाद, डॉ. हर्षवर्धन और प्रकाश जावड़ेकर की मंत्रिपद से छुट्टी को बड़ा चौंकाने वाला फैसला माना गया था।

नितिन गडकरी ने 24 जुलाई को नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था- मन करता है राजनीति छोड़ दूं। इस बयान के अभी महीने दिन भी पूरे नहीं हुए थे कि पार्टी संगठन की सबसे ताकतवर संस्था (केंद्रीय संसदीय बोर्ड) से केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की विदाई हो गई।

गडकरी ने पिछले साल भी राजनेताओं पर एक और बयान दिया था, जो राजनीतिक गलियारे में काफी चर्चा में रहा। उन्होंने राजस्थान विधानसभा में एक सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा था- आजकल हर किसी की समस्या है, हर कोई दुखी है। जो मुख्यमंत्री बनते हैं, वो इसलिए परेशान रहते हैं कि पता नहीं कब हटा दिया जाए। विधायक इसलिए दुखी हैं, क्योंकि वो मंत्री नहीं बन पाए। मंत्री इसलिए दुखी हैं, क्योंकि उन्हें अच्छा विभाग नहीं मिला। अच्छे विभाग वाले इसलिए दुखी हैं, क्योंकि वो मुख्यमंत्री नहीं बन पाए।

गडकरी मोदी सरकार के दोनों कार्यकालों में बेहद चर्चित मंत्री रहे हैं। उनके सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के कामकाज की काफी चर्चा रही है। इसके अलावा पार्टी के पूर्व अध्यक्षों को संसदीय बोर्ड में बनाए रखने की परंपरा रही है, जो लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को बाहर किए जाने के बाद ही खत्म हो गई थी। लेकिन नितिन गडकरी जैसे सक्रिय और मजबूत नेता को यहां से हटाया जाना चौंकाने वाला है।

भाजपा संसदीय बोर्ड में अब किसी भी मुख्यमंत्री को नहीं रखा गया है। संसदीय बोर्ड में कुल 11 सदस्यों को रखा गया है, इनमें पार्टी अध्यक्ष के नाते जेपी नड्डा शामिल हैं और वह इसके अध्यक्ष भी हैं। उनके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह, बीएस येदियुरप्पा, सर्बानंद सोनोवाल, के. लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव, सत्यनारायण जटिया भी इसके सदस्य हैं। वहीं पार्टी के संगठन महामंत्री बीएल. संतोष को भी इसका सदस्य बनाया गया है।

भाजपा की ओर से नई चुनाव समिति का भी गठन किया गया है। इस समिति में कुल 15 सदस्यों को शामिल किया गया है और पार्टी अध्यक्ष होने के नाते जेपी नड्डा ही इसके मुखिया हैं। इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह, बीएस येदियुरप्पा, सर्वानंद सोनोवाल, के. लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव, सत्यनारायण जटिया, भूपेंद्र यादव, देवेंद्र फडणवीस, ओम माथुर, बीएल संतोष और वनथी श्रीनिवास को इसमें शामिल किया गया है।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड से हटाए जाने को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने कहना है कि, "एक "दक्ष राजनेता" के तौर पर उनके बढ़ते कद की वजह से उन्हें बोर्ड से हटाया गया है।'' इस दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने ट्वीट के जरिये कहा है, "जब आपकी योग्यता और क्षमताएं बढ़ती हैं और आप वरिष्ठों के लिए चुनौती बन जाते हैं तो भाजपा आपके पर कतर देती है। दागियों को बढ़ाया जाता है।"

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