Original name of Hyderabad : क्या हैदराबाद का ओरिजिनल नाम कभी भाग्यनगर था?
Original name of Hyderabad : 3 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद को भाग्यनगर कहकर संबोधित किया।
मोना सिंह की रिपोर्ट
Original name of Hyderabad : 3 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद को भाग्यनगर कहकर संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हैदराबाद 'भाग्यनगर' है, जो हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है। सरदार पटेल ने हैदराबाद में ही एकीकृत भारत की नींव रखी थी, और अब इसे आगे ले जाने की जिम्मेदारी भाजपा की है। भाजपा लंबे समय से हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने की चर्चा कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ पार्टी के अन्य नेता भी बार-बार यह मुद्दा उठाते रहे हैं। वर्तमान में तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के, के. चंद्रशेखर राव तेलंगाना के मुख्यमंत्री हैं। तेलंगाना में भाजपा की ताकत नंबर दो पर है। अगर राज्य में कभी भाजपा सत्ता में आती है तो हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर कर दिया जाएगा। ऐसे में हैदराबाद और भाग्यनगर चर्चा का विषय बना हुआ है। राजनीतिज्ञों के साथ साथ ही आम लोगों के मन में भी यह सवाल उठ रहा है कि क्या हैदराबाद का प्राचीन नाम भाग्यनगर था? क्या भागमति नाम की कोई महिला थी? जिनका संबंध भाग्यनगर से था। हैदराबाद और गोलकुंडा से संबंधित इतिहास को खंगाले तो इतिहास की कई किताबों में हैदराबाद को भाग्यनगर भी कहा गया है।
ब्रिटिश नागरिक एरॉन स्मिथ ने 1816 में हैदराबाद का एक नक्शा बनाया था, इसमें उन्होंने हैदराबाद मोटे अक्षरों में लिखा था, जबकि उसके नीचे भाग्यनगर और गोलकुंडा नाम भी लिखा था। यानी कि हैदराबाद के लिए उन तीनों नामों का इस्तेमाल किया गया था। नानीशेट्टी शिरीष की किताब "गोलकुंडा, हैदराबाद और भाग्य नगर" में यह नक्शा छपा हुआ है। ऐसे में सभी के मन में यह सवाल उठता है कि आखिरकार यह तीनों नाम कैसे आए? और किसने यह नाम रखें? इन्हीं सवालों के जवाब तलाशते हैं कुछ तर्कों के सहारे।
हैदराबाद का शुरुआती इतिहास
शुरू में हैदराबाद आंध्र प्रदेश का हिस्सा था। लेकिन वर्तमान में आंध्र प्रदेश के दो हिस्से हो चुके हैं। पहला है आंध्र और दूसरा तेलंगाना। हैदराबाद वर्तमान में तेलंगाना का हिस्सा है। हैदराबाद का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है। सैकड़ों वर्ष पूर्व यहां ककातीय नरेश गणपति का शासन था। 14वीं सदी में इस क्षेत्र पर मुस्लिम राजाओं का शासन हो गया, और बहमनी राज्य स्थापित हुआ। 482 ईसवी में बने राज्य के एक सूबेदार सुल्तान कुलीकुतुब मुल्क ने नरेश गणपति के शासनकाल में गोलकुंडा की पहाड़ी पर बने कच्चे किले को पक्का कर अपनी राजधानी बनाया। 1591 ईसवी में
कुतुबशाही वंश के पांचवें सुल्तान मुहम्मद कुलीकुतुब शाह ने गोलकुंडा से अपनी राजधानी हटाकर मूसी नदी के दक्षिणी तट पर बसाई जिसे आज हैदराबाद के नाम से जाना जाता है। इसी हैदराबाद को कहीं कहीं इतिहास में भाग्यनगर भी कहा गया है। हैदराबाद के आज तक के इतिहास को खंगाले तो उससे कई तथ्य निकलकर सामने आते हैं।
भाग्यलक्ष्मी मंदिर के नाम पर पड़ा भाग्यनगर नाम
कहा जाता है कि भाग्यलक्ष्मी मंदिर के नाम पर इस शहर का नाम पहले भाग्यनगर था, जो कि बाद में हैदराबाद बना। ऐसी किंबदंती है कि, चारमीनार के पास एक बार देवी लक्ष्मी आई तो पहरेदारों ने उन्हें रोक दिया और कहा कि, वे राजा की आज्ञा लेकर आते हैं। देवी लक्ष्मी वहीं पर खड़ी हो गईं, और वहां पर उनका मंदिर बन गया। लेकिन इतिहास में इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिलता है। हालांकि यहां पिछले कई वर्षों से पूजा जारी है लेकिन पुरानी तस्वीरों में चारमीनार के पास कोई मंदिर नहीं है। 1944 में प्रकाशित "हैदराबाद ए सोवनियर" नाम की किताब में चार मीनार की तस्वीर है, लेकिन उसमें भी कोई मंदिर नहीं है। जबकि इस किताब में हिंदू मंदिरों की चर्चा है। इसके अलावा 2013 में आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है, कि 1960 में चार मीनार के नजदीक भाग्यलक्ष्मी मंदिर नहीं था।
कुलीकुतुब शाह की प्रेमिका के नाम पर रखा गया भाग्यनगर नाम
मूसी नदी के पास एक गांव चनचलम था, जहां भागमती रहती थी। भागमती बंजारा समुदाय से थीं और अत्यंत सुंदर थीं। गोलकुंडा सल्तनत के पांचवें सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह (1564 से 1612 ईसवी) अक्सर मुसी नदी में नौका विहार करने आते थे, वहीं उन्होंने भागमती को देखा और दिल दे बैठे। कुतुब शाह ने मूसी नदी के तट पर अपनी नई राजधानी बनाई जिसका नाम उन्होंने अपनी प्रेमिका के नाम पर भाग्यनगर रखा। ऐसा कहा जाता है कि, कुतुब शाह से विवाह के बाद भागमती ने इस्लाम कबूल कर लिया था और उनका नया नाम हैदर महल रखा गया था। बाद में बेगम हैदर महल के नाम पर ही भाग्यनगर का नया नाम हैदराबाद पड़ा।
भागमती की कहानी से जुड़े सुबूत
भागमती को लेकर इतिहास में कई जगह प्रमाण मिलते हैं। इनमें मुहम्मद कुली कुतुब शाह के दरबारी कवि मुल्ला वजही ने अपनी किताब "कुतुब मुस्तरी" में कुतुब शाह और भागमती की प्रेम कहानी का जिक्र किया है। इतिहासकार नरेंद्र लूथर ने भी भागमती के अस्तित्व का दावा किया है। इनके अनुसार तीन विदेशी यात्रियों थेवेनॉट, डी वर्नियर मनुची, और मेंथवॉल्ड ने अपनी यात्रा विवरणों में भागमती का जिक्र किया है। नरेंद्र लूथर ने 1992-93 में छपी अपनी किताब "ऑन द हिस्ट्री ऑफ भाग्यमती" में इस बात का जिक्र किया है। इतिहासकार मोहम्मद कासिम फिरिस्ता ने भी भारत में मुस्लिम शासन के उत्थान पर लिखी अपनी किताब में भागमति का जिक्र किया है।
भागमती से जुड़े तथ्य
कहानियां और किवदंतियां आपस में इतनी घुलमिल चुकी हैं कि उन्हें अलग करना मुश्किल है। जैसे कि भागमति चनचलम नाम के गांव में रहती थीं। मौजूदा चारमीनार भी इसी गांव में है। और इसके चारों तरफ पुराना हैदराबाद शहर बसा है। लेकिन भागमती से जुड़े कुछ सवालों के जवाब इतिहास में मौजूद नहीं हैं, जैसे कि वे कुली कुतुब शाह की पत्नी थीं और धर्म परिवर्तन के बाद उनका नाम हैदर महल रखा गया था, तो उनकी मौत के बाद उनका कोई मकबरा क्यों नहीं बनाया गया?
बागों की वजह से पड़ा बाग नगर नाम
मुसी नदी के किनारे बसे इस शहर में हरे भरे भाग काफी संख्या में मौजूद थे, इस वजह से इसका नाम बाग नगर पड़ा। जीन बैतिसते तेवर्नियर ( 1605-1689) ने लिखा है, कि गोलकुंडा का एक नाम बागनगर भी था। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि यह शहर कुली कुतुब शाह ने अपनी एक पत्नी की इच्छा के अनुसार बसाया था। इतिहासकार और लेखक नरेंद्र लूथर के अनुसार बाग शब्द का इस्तेमाल हुआ है, तो शहर का नाम बागनगरम होना चाहिए था। नरेंद्र लूथर ने यह दलील 16वीं शताब्दी में प्रकाशित ज्योतिषी बाबाजी पंथुलू की किताब
"रायवाचकम" के हवाले से दी है। इस किताब में शहर का नाम
बागनगरम बताया गया है। नरेंद्र लूथर के मुताबिक, रायवाचकम की एक प्रति तमिलनाडु के पुदुकोट्टई पुस्तकालय में अभी भी उपलब्ध है। लेकिन उन्होंने 1627 के आधिकारिक दस्तावेज जिसमें जहीरूद्दीन काजी ने हैदराबाद को भाग्यनगर लिखा है अधिक प्रमाणिक माना है।
फारसी शब्द का अनुवाद है भाग्यनगर
हैदराबाद 1591 में बना था। 1596 में इसका नाम बदलकर फरखुंडा बुनियाद रखा गया था। जो कि फारसी शब्द था। फारसी में इसका मतलब था लकी सिटी यानी भाग्यनगर। कुछ दलीलों के अनुसार फरखुंडा बुनियाद के लिए संस्कृत शब्द भाग्य का इस्तेमाल किया जाने लगा, इसी वजह से संस्कृत तेलुगु शब्द भाग्यनगरम प्रचलित हुआ।
भाग्यनगर और हैदराबाद से जुड़े तथ्य और दलीलों को इन 10 फैक्ट्स से जानिए
1: डच अधिकारी जीन डे थेवनॉट ने 1687 में अपनी किताब "द ट्रैवल्स इन टू द लिवेंट" में लिखा है कि,' सल्तनत की राजधानी भाग्यनगर थी, इरानी लोग इसे हैदराबाद कहते थे और हिंदू भाग्यनगर '
2: डब्ल्यू एम मरलैंड ने 17वीं शताब्दी में लिखी अपनी किताब "रिलेशंस आफ गोलकुंडा" में लिखा है कि, प्रत्येक अप्रैल महीने में कुछ वेश्याएं भाग्यनगर जाती थी। वहां वह राजा के सम्मान में नृत्य पेश करती थी। यह मुझे बहुत विचित्र लगता था। किताब के फुटनोट में लिखा है 'भाग्यनगर मतलब गोलकुंडा की राजधानी हैदराबाद'
3: इतिहासकारों के अनुसार हैदराबाद का नाम भाग्यनगर बहुत कम समय के लिए था। क्योंकि हैदराबाद के निर्माण के 12 साल बाद 1603 में जब नए सिक्के चलन में आए तब उन पर हैदराबाद स्पष्ट रूप से लिखा है।
4: मुहम्मद कुली कुतुब शाह शिया मुसलमान थे उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के दामाद अली, जिनका दूसरा नाम हैदर था, के नाम पर इस शहर का नाम हैदराबाद रखा।
5: भागमती ने इस्लाम कबूल करने के बाद अपना नाम हैदर महल रख लिया था। इसलिए इस शहर का नाम हैदराबाद पड़ा।
6: भागमती निचले तबके, बंजारा समुदाय से ताल्लुक रखने वाली नर्तकी थी, इस वजह से कुली कुतुब शाह ने बाद में अपने फैसले को बदल कर भाग्यनगर का नाम हैदराबाद रख दिया।
7: हिंदू इस शहर को भाग्यनगर कहते थे जबकि मुसलमान हैदराबाद।
8: कुछ तथ्यों के अनुसार शिया और सुन्नी समुदाय के बीच संघर्ष की वजह से शहर का नाम हैदराबाद रख दिया गया था।
9: नानी शेट्टी शिरीष ने अपनी किताब में लिखा है कि, गोलकुंडा के 4 दरवाजे हैं, इसमें फतेह दरवाजे को पहले भाग्यनगर दरवाजा कहा जाता था। डच यात्री डेनियल हॉवर्ड ने भी 1692 में इस बारे में लिखा था।
10: नानी शेट्टी शिरीष ने बीबीसी तेलुगू से बात करते हुए कहा था कि, शहर का नाम पहले गोलकुंडा था, फिर उसके बाद भाग्यनगर और बाद में हैदराबाद नाम रखा गया है। भाग्यनगर नाम 15 से 20 सालों से ज्यादा समय तक नहीं रहा और इस आधार पर नाम बदलने की मांग अनुचित है। उदाहरण के लिए दिल्ली का नाम पहले शाहजहांनाबाद था लेकिन अब दिल्ली है। शाहजहांनाबाद अब कोई नहीं कहता। लेकिन इस आधार पर दिल्ली का नाम नहीं बदला जा सकता।