शोर पर नियंत्रण नहीं लगा पाया शहर प्रशासन तो अदालत ने लगा दिया भारी-भरकम जुर्माना
शोर को नियंत्रित न कर पाने के लिए और नागरिकों को शांत वातावरण की बुनियादी सुविधा देने में असफल रहने के कारण ब्रेस्किया सिटी कौंसिल को दम्पति को हर्जाने के तौर पर 50,000 यूरो देने का आदेश दिया। इस फैसले को उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा और फिर जब फैसले को इटली के सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गयी, तब सर्वोच्च अदालत ने भी फैसले को बरकरार रखा और जुर्माना अदा करने का आदेश दिया...
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
The Supreme Court of Italy said that every citizen has right to a quiet life. इटली की सर्वोच्च अदालत ने शहरों में शोर के स्तर पर चल रहे एक मुकदमे के दौरान कहा कि शोर-रहित शांत वातावरण हरेक नागरिक का मौलिक अधिकार है, शोर के स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव होते हैं और हरेक शहर को यह सुनिश्चित करना होगा कि हरेक नागरिक को कम से कम रात में शोर के कारण परेशानी नहीं हो। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह टिप्पणी निचली अदालत के एक फैसले को बरकरार रखते हुए की गयी थी।
इटली के ब्रेस्किया शहर के एक बुजुर्ग दम्पति ने स्थानीय अदालत में एक मुकदमा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि शहर में रातभर बार और रेस्टोरेंट खुले रहते हैं, बाजार खुले रहते हैं, जिसके कारण रातभर बहुत शोर रहता है, इसका प्रभाव नींद पर और स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, पर ब्रेस्किया सिटी कौंसिल में लगातार शिकायत के बाद भी रात में शोर के स्तर को कम करने के कोई प्रयास नहीं किये जा रहे हैं।
लगभग 8 वर्षों की सुनवाई के बाद स्थानीय अदालत ने शोर को नियंत्रित न कर पाने के लिए और नागरिकों को शांत वातावरण की बुनियादी सुविधा देने में असफल रहने के कारण ब्रेस्किया सिटी कौंसिल को दम्पति को हर्जाने के तौर पर 50,000 यूरो देने का आदेश दिया। इस फैसले को उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा और फिर जब फैसले को इटली के सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गयी, तब सर्वोच्च अदालत ने भी फैसले को बरकरार रखा और जुर्माना अदा करने का आदेश दिया।
पूरी दुनिया में यह अपनी तरह का अनोखा फैसला है जहां शोर को नियंत्रित नहीं कर पाने के कारण एक शहर के प्रशासन पर भारी-भरकम जुर्माना थोपा गया है। प्रदूषण के सभी प्रकारों में शोर सबसे उपेक्षित है और शायद ही कभी इसपर गंभीर चर्चा की जाती है – इसका सबसे बड़ा कारण है कि शोर का अनुभव तो किया जाता है पर इसे देखा नहीं जा सकता। दुनियाभर में शोर एक प्रमुख समस्या है। पहले इसका असर दिन में ही समझ में आता था, पर अब शहर अपनी अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए और पर्यटकों की संख्या बढाने के लिए रात में देर तक या पूरी रात बाजार और रेस्टोरेंट खोलने की राह पर चल पड़े हैं।
तमाम इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में भी अब 24 घंटे काम होने लगा है, ऐसे में शहरों के रात का अँधेरा और सन्नाटा गुम हो गया है। शोर से नींद प्रभावित होती है और बाद में स्वास्थ्य की समस्याएं गंभीर होने लगती हैं। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि हरे व्यक्ति को शांत वातावरण का मौलिक अधिकार है, पर रात में सडकों पर यातायात, नशे में धुत्त लोगों कके झगड़े और रेस्टोरेंट के कोलाहल के कारण इसमें बाधा पड़ती है और नागरिकों के शांत वातावरण के मौलिक अधिकार का हनन होता है।
इटली में सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद से सभी शहरों के मेयर और सिटी कौंसिल भयभीत हैं क्योंकि लगभग हरेक शहर की एक जैसी कहानी है। अनेक शहरों के प्रशासन पर स्थानीय अदालतों में ऐसे ही मुकदमे नागरिकों ने पहले से ही दायर किये हैं, पर सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद अनुमान है कि ऐसे मुकदमों की बाढ़ आ जायेगी, और फिर जुर्माना देते-देते शहर आर्थिक तौर पर कमजोर पड़ते जायेंगे।
शहर प्रशासन के सामने समस्या यह है कि यदि शहरों की नाईट लाइफ को हटा दिया जाए तो अधिकतर शहरों की अर्थव्यवस्था वैसे भी लड़खड़ा जायेगी। टुरिन शहर के सैन सल्वारिया क्षेत्र के 29 नागरिकों ने इसी तरह का मुकदमा दायर कर 12 लाख यूरो के हर्जाने की मांग की है। बरी शहर के 140 नागरिक भी शहर प्रशासन पर इसी तरह का मुकदमा दायर करने की तैयारी कर रहे हैं।