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breaking : योगीराज में इलाहाबाद में गंदे जल से हो रहा श्रद्धालुओं का पवित्र माघ स्नान
संगम नोज के पहले भूमिगत पाइपों से गंगा-यमुना में डाला जा रहा है मेले का गन्दा पानी और उसी से हर रोज कर रहे लाखोंलाख श्रद्धालु पुण्य स्नान...
इलाहाबाद से जेपी सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार। आजकल इलाहाबाद में माघमेला संगम की रेती पर लगा है और 24 जनवरी को सबसे बड़ा स्नान पर्व मौनी अमावस्या है, जिसमें प्रशासन के दावे के अनुसार फिलवक्त लगभग दो करोड़ सनातन श्रद्धालुओं का पुण्य स्नान चल रहा है, मगर मेले में जल निगम की कृपा से पूरे मेले के गंदे पानी की संगम जल में मिलावट का खेल जारी है।
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जल निगम ने मेले के गंदे जल का एकत्र करने के नाले बनाये हैं, जिन्हें 6 डाया के पाईप से एक दूसरे से जोड़कर संगम नोज के निकट और किला घाट के बगल में हाईकोर्ट शिविर के पहले अक्षयबट मार्ग से भूमिगत पाईप से यमुना नदी में मिला दिया गया है। जैसे ही नालों में पानी का जमाव बढ़ता है, वैसे ही पाईपों के मुंह पर लगी बोरियों को हटाकर पानी सीधे नदी में बहा दिया जा रहा है। इस तरह गंदे जल की मिलावट के बीच श्रद्धालुओं का पुण्य स्नान जारी है।
मेलास्थल के पहले जेसीबी से खुदाई करके डाली गयी है 6 डाया की पाइप, नाला और उसमें पानी बहाने के लिए लगे 6 डाया की पाइप
इस सम्बन्ध में 22 जनवरी को कुछ श्रद्धालुओं ने माघ मेला अधिकारी को शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया है कि मेला क्षेत्र के नाले के गंदे पानी को भूमिगत पाईप लाइनों से सीधे यमुना और गंगा में जल निगम द्वारा भय जा रहा है। शिकायत में कहा गया है कि आज यानी 23 जनवरी की भोर में वे जब स्नान के लिए जा रहे थे तो उन्होंने अक्षयबट मार्गपर किला एवं हाईकोर्ट शिविर के बीच तथा इंटरलाकिंग रोड के ढलान में शौचालय के बगल में कुछ लोगों को काम करते देखा।
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नाले के गंदे पानी को गंगा—यमुना में छोड़े जाने के संबंध में मेलाधिकारी को लिखा गया पत्र कि करें कड़ी कार्रवाई
पूछने पर वहां काम कर रहे लोगों ने बताया कि वे नालों में ओवरफ्लो गंदे पानी को बाहर निकाल रहे हैं। उन्होंने और पूछने पर बताया कि बड़े नालों में जब पानी भर जाता है तो सुबह में बोरियां हटज्ञकर मोटे भूमिगत पाईपों से पानी भरकर गंगा—यमुना में मिला दिया जाता है और फिर दिनभर बोरियां बांध कर रखा जाता है। शिकायती पत्र में इसकी जाँच कर दोषी अधिकारियों को दंडित करने की मांग की गयी है, जो करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं।
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इस संबंध में जब पता करने की कोशिश की तो नाम न बताने की शर्त पर विभाग के ही कुछ लोगों से पता चला कि माघ मेला शुरू होने से बहुत पहले इन भूमिगत पाईपों को डाला जाता है और मेला खत्म होने पर सबसे बाद में इन भूमिगत पाईपों को बाहर निकाल दिया जाता है।
कुम्भ 2019 में भी जल निगम ने ऐसा ही किया था। सूत्रों ने यह भी बताया की झूंसी और अरैल क्षेत्र में बसे मेला से एसडीपी पाइपों के माध्यम से गंदा पानी सीधे गंगा-यमुना में भर दिया जाता है।