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कुंभ में सफाई और अन्य मजदूरों को मिल रही आधी-अधूरी मजदूरी
योगीराज में अव्यस्था का आलम ये कि सफाई मजदूरों की मजदूरी बढ़ाये जाने को लेकर संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ता और कवि अंशु मालवीय को बिना कारण बताये रासुका लगाने की धमकी के साथ कल 7 फरवरी को कर लिया गिरफ्तार, बाद में देर रात कर दिया गया रिहा
जनज्वार। कुंभ मेला के सफाईकर्मियों को रोज 295 रुपए मजदूरी मिलती है। इन्होंने 2 फरवरी को हड़ताल की थी। हड़ताल के बाद मजदूरी में 15 रुपए बढ़ गए थे। इस संघर्ष में इलाहाबाद के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता—कवि अंशु मालवीय भी शामिल थे, जिनको पुलिस ने कल 7 फरवरी को गिरफ्तार करके देर रात छोड़ दिया। हालांकि इन हालातों की जानकारी जनज्वार ने 2 फरवरी को ही वीडियो के माध्यम से दे दी थी।
जानकारी के मुताबिक सामाजिक कार्यकर्ता और कवि अंशु मालवीय को इलाहाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एनएसएस (NSA) लगाने की धमकी देते हुए गिरफ़्तार किया। उन्हें झूंसी थाने में रखा गया है, अंशु मालवीय कुम्भ मेला क्ष्रेत्र में सफाई कर्मचारियों को उचित वेतन देने की मांग के लिए आंदोलनरत थे।
अंशु मालवीय की गिरफ्तारी को लेकर इलाहाबाद की ही सामाजिक—राजनीतिक कार्यकर्ता सीमा आजाद लिखती हैं, अंशु मालवीय हर साल माघ मेले में 'सिरजन' नाम से सांस्कृतिक कार्यक्रम करते हैं, मेले में इसके तहत सद्भाव रैली निकलनी थी, उसके एक दिन पहले पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अंशु मालवीय मेले का मैला साफ करने के लिए लगाये गये सफाई कर्मचारियों की मजदूरी बढ़ाने के आन्दोलन में भी शामिल थे। 'दिव्यकुम्भ' के दो दिन पहले सफाई कर्मचारियों ने इस मांग को लेकर हड़ताल की घोषणा की तो प्रशासन के हाथ पैर फूल गये थे। उसी दिन अंशु मालवीय प्रशासन के साथ वार्ता के लिए गये तो मात्र 15/-बढ़ाने के लिए प्रशासन तैयार हुआ। यह कुंभ सफाई कर्मचारियों के बल पर सम्पन्न हो रहा है और उनकी हड़ताल की संभावना भर से प्रशासन के हाथ पैर फूलने लगे हैं। सफाई कर्मचारी नहीं रहेंगे तो मेले का मैला कैसे साफ होगा, फिर धर्म और आस्था का क्या होगा, शाही जुलूसों और अखाड़ों का क्या होगा, 35000 वाले टेंटों का क्या होगा।'
अंशु मालवीय की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए स्वतंत्र टिप्पणीकार गिरीश मालवीय लिखते हैं, अंशु मालवीय जी कुम्भ मेला क्ष्रेत्र में सफाई कर्मचारियों को उचित वेतन देने की मांग कर रहे थे। योगी-मोदी सरकार लगातार जनांदोलनों से जुड़े बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, लेखकों की आवाज दबाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। झूंसी थाने की पुलिस से लेकर इलाहाबाद के बड़े अधिकारी तक कोई भी अभी तक अंशु मालवीय की गिरफ्तारी के कारण नहीं बता रहे हैं। इस तरह एक ऐसे व्यक्ति को तानाशाही तरीके से रात में उठा लेना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है।'
सोशल मीडिया पर ही कई लोगों द्वारा साझा की जा रही जानकारियों के मुताबिक ही इलाहाबाद में पिछले हफ्ते सफाई कर्मचारियों की हड़ताल थी, जिसकी अगुवाई कर रहे सफाई कर्मचारियों के नेता दिनेश को तीन दिन पहले पुलिस ने उठा लिया। अंशु मालवीय को मेला अधिकारी ने उसी दिन धमकाया कि तुम्हारे ऊपर रासुका लगा देंगे।
सफाईकर्मियों के अलावा मेले में सबसे शोषित तबका बालू बिछाने वाले मजदूर हैं। ये मजदूर मेले के बैक बोन हैं, लेकिन इन्हें 8 घंटे काम के बदले मजदूरी के नाम पर 300 सौ रुपए मिलते हैं। जनज्वार इनकी कहानी और हकीकत 3 फरवारी को ही बता चुका है। पर ठेकेदार रोज 300 का पेमेंट नहीं करता, बल्कि रोज जिंदा रहने और अगले रोज काम पर लौटने के लिए इन्हें सिर्फ 100 रुपए दिए जाते हैं।
मेला की साफ—सफाई और करोड़ों लोगों को रोगमुक्त करने की जिम्मेदारी बुनियादी तौर पर जहां सफाईकर्मियों की है, वहीं गाड़ियों के आने—जाने की गारंटी करने और करोड़ों यात्रियों के लिए सुगम रास्ते बनाने की मुख्य जिम्मेदारी इन बालू बराबर करने और पत्तर बिछाने वाले मजदूरों की है, जिनको क्रमश: 300 और 295 रुपए मजदूरी दी जाती है। ऐसा तब है कि योगी सरकार मेले पर 4200 करोड़ का सरकारी बजट खर्च कर चुकी है।
तो जिनके कंधे पर मेले को संभालने की जिम्मेदारी है, उनको इतना कम क्यों, जिससे की ठीक से दो वक्त का खाना भी नसीब न हो सके। जनज्वार द्वारा प्रसारित वीडियो में आप देख सकते हैं कि मजदूर बता रहे हैं कि वे रोज 100 लेकर भी मजदूरी इसलिए कर पा रहे हैं, क्योंकि उनको थोड़ी बहुत खेती है और उससे वे साग—सब्जी का काम चला लेते हैं।
देखें वीडियो