पंजाब में अकाली दल को बड़ा झटका, पूर्व मंत्री जगदीश सिंह गरचा ने छोड़ी पार्टी
अकाली नेता और पूर्व मंत्री जगदीश सिंह गरचा ने अपने भाई मान सिंह गरचा के साथ पार्टी छोड़ने की घोषणा की है...
चंडीगढ़ से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। अकाली दल में लगातार टूट का सिलसिला चल रहा है। अब पार्टी नेतृत्व को झटका देते हुए अकाली नेता और पूर्व मंत्री जगदीश सिंह गरचा ने अपने भाई भाई मान सिंह गरचा के साथ पार्टी छोड़ने की घोषणा की है। उन्होंने अकाली दल के बागी राज्यसभा सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढिंडसा के साथ हाथ मिलाया। अकाली दल में गरचा काफी महत्वपूर्ण नेता माने जाते हैं।
उन्होंने दो बार किला रायपुर से 1997 (उपचुनाव) और 2002 में विधानसभा चुनाव जीते थे। उन्होंने कहा कि इस वक्त अकाली दल अपने सिद्धांतों से पीछे हट रहा है। इस वजह से उन्होंने यह कदम उठाया है। उन्होंने बताया कि पार्टी को प्रकाश सिंह बादल के बेटे व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल अपने तरीके से चला रहे हैं। इस वजह से उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
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पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार सुखबीर सिंह बाजवा ने बताया कि अकाली दल के सीनियर नेता सुखबीर बादल की कार्यप्रणाली से नाराज है। वह पार्टी में सीनियर है लेकिन अब उन्हें पार्टी में वह महत्व नहीं मिल रहा जो कि प्रकाश सिंह बादल के समय में मिल रहा था। इसलिए वह खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। यहीं वजह है कि वह पार्टी से किनारा कर रहे हैं।
पंजाब की राजनीति के जानकार मानते हैं कि अकाली दल से नेताओं का टूटना पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं है। क्योंकि अभी तक सिखों के लीडर के तौर पर अकाली दल खुद को स्थापित करता रहा है। सिखों का भी अकाली दल में खासा विश्वास था। दूसरी वजह यह थी कि जो सिख कांग्रेस की तरफ नहीं जाना चाहते थे, उन्हें भी न चाहते हुए अकाली दल की ओर आना पड़ता था। अब जिस तरह से अकाली दल के नेता टूट रहे हैं। इससे यह देर सवेर अपना कोई दल भी बना लेंगे। जिस दिन ऐसा हुआ तो यह अकाली दल के लिए खासा नुकसानदायक साबित होगा। क्योंकि तब सिख वोटर्स बंट सकता है।
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सुखबीर बाजवा ने बताया कि जब से प्रकाश सिंह बादल बीमार हुए हैं, तभी से अकाली दल के नेताओं में निराशा का माहौल है। सुखबीर बादल पार्टी नेताओं को जोड़ कर रखने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। सुखबीर बादल पर आरोप है कि वह पार्टी में मनमर्जी चलाते हैं। किसी की सुनते नहीं है। यह बात सीनियर लीडर को बर्दाश्त नहीं होती। इसलिए वह पार्टी छोड़ रहे हैं।