हरियाणा में जो भी वित्त मंत्री रहा दोबारा जीतकर नहीं पहुंचा चंडीगढ़
प्रदेश में तीन दशक से बना है संयोग जो बनता है वित्त मंत्री दोबारा नहीं पहुंच पाता चंडीगढ़, इस बार के चुनाव परिणामों में भी यह संयोग कायम रहा है...
चंडीगढ़ से शिखा शर्मा की रिपोर्ट
जनज्वार। वर्ष 1991 में मांगेराम हरियाणा के वित्त मंत्री थे। वह वर्ष 1996 में हुए विधानसभा चुनाव में हार गए थे। इसके बाद वर्ष 1996 में हरियाणा की सत्ता संभालने वाली बंसीलाल सरकार सेठ श्रीकिशन दास हरियाणा के वित्त मंत्री बने लेकिन 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में सेठ श्रीकिशन दास भी हार गए। इसके बाद वर्ष 2000 में संपत सिंह वित्त मंत्री बने, लेकिन 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में संपत्त सिंह भी चुनाव हार गए। इसके बाद हरियाणा में सत्ता संभालने वाली भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व कांग्रेस सरकार में चौधरी वीरेंद्र सिंह वित्त मंत्री बने, मगर 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में वह भी चुनाव हार गए।
वर्ष 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दोबारा सरकार बनाई और कैप्टन अजय सिंह यादव वित्त मंत्री बन गए। फिर 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में कैप्टन अजय सिंह यादव ने चुनाव तो लड़ा लेकिन हार गए। इसके बाद हरियाणा में सत्ता संभालने वाली मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार में कैप्टन अभिमन्यु हरियाणा के वित्त मंत्री बने। हाल ही में हुए चुनाव के दौरान कैप्टन अभिमन्यु भी हार गए हैं।
जो भी मंत्री कोठी नंबर 79 में रहा दोबारा नहीं जीता
राजनीति के गलियारों में यह महज संयोग है कि चंडीगढ़ के सैक्टर-सात स्थित कोठी नंबर 79 में रहने वाला कोई भी मंत्री अथवा नेता चुनाव नहीं जीतता है। हरियाणा के कई पूर्व मंत्रियों न केवल अपने अनुरूप इस कोठी में अमूल-चूल परिवर्तन करवाए बल्कि कई बार यहां हवन-यज्ञ का दौर भी चलता रहा। इसके बावजूद इस आवास की ग्रहदशा नहीं सुधरी। जिसकी उदाहरण इस बार भी देखने को मिली है।
यहां रहने वाले हरियाणा के पूर्व परिवहन मंत्री कृष्णलाल पंवार चुनाव हार गए हैं। वर्ष 1982 में यह आवास तत्कालीन विधानसभा उपाध्यक्ष कुलबीर सिंह को अलाट की गई थी। वह अगली बार हुए चुनाव में हार गए। इसके बाद वर्ष 1987 में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज को यह आवास अलाट किया गया तो वह भी अगला चुनाव हार गई। इसके बाद यह आवास वर्ष 1991 में करतार देवी, 1996 में बहादुर सिंह, 1999 में प्रो.रामबिलास शर्मा, 2005 में फूलचंद मुलाना को अलाट की गई और यह सभी नेता आगामी चुनाव हार गए।
वर्ष 2009 में चुनाव हारने के बाद पूर्व मंत्री फूलचंद मुलाना ने इस आवास में कई तरह के बदलाव करवाए। यहां तक की ग्रहदशा दूर करने के लिए उन्होंने यहां शिवलिंग तक स्थापित करवा दिया था। इसके बावजूद वह राजनीति में हाशिए पर ही रहे। इसके बाद मनोहर सरकार में यह आवास कृष्णलाल पंवार को अलाट किया गया। इस बार वह भी चुनाव हार गए हैं।
लोकसभा के मुकाबले भाजपा के वोट प्रतिशत में आई गिरावट
लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा में भाजपा को कुल 58 फीसदी वोट मिले थे। यह आंकड़ा देशभर के पहले तीन राज्यों में शुमार था। इतनी बंपर वोट मिलने के बाद ही भाजपा ने अबकी बार 75 पार का नारा दिया था। इसके उलट गत दिवस घोषित हुए चुनाव परिणाम में भाजपा ने 45 लाख 69 हजार 016 वोट लेकर कुल वोटिंग का 36.49 प्रतिशत हिस्सा हासिल किया है।
भले ही भाजपा को बहुमत नहीं मिला है, लेकिन यह वोट शेयर अन्य दलों के मुकाबले अधिक है। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 35 लाख 15 हजार 429 वोट के साथ 28.8 प्रतिशत हिस्सेदारी दिखाई है। बहुजन समाज पार्टी ने इस चुनाव में पांच लाख 18 हजार 842 वोटों के साथ 4.14 प्रतिशत तथा इनेलो ने 306028 वोटों के साथ 2.44 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया है।
अब जेजेपी को क्षेत्रीय दल के रूप में मिलेगी मान्यता
विधानसभा चुनाव के दौरान तेजी से आगे बढ़ी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को अब क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता मिल जाएगी। इस चुनाव में जजपा को 15.3 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं। वहीं प्रदेश में फिर से सरकार बनाने की तरफ अग्रसर भारतीय जनता पार्टी के वो प्रतिशत में महज छह माह के अंतराल में गिरावट आई है।