'कश्मीर में उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और अन्य पर PSA के नाम पर क्रूरता लोकतंत्र का सबसे घटिया कदम'
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद घाटी में किसी तरह की कोई सियासत गतिविधि नहीं की जा रही है। एक तरफ वो लोग है जो सरकार की बोली बोल रहे है। तो दूसरी तरफ कश्मीर के लोगों समेत नेताओं को कैद किया जा रहा है...
जनज्वार। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से राज्य के दो मुख्यमंत्रियों पर गुरूवार को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती को हिरासत अवधि गुरूवार को ही खत्म होने जा रही थी। पीएसए के तहत किसी को भी तीन महीने तक बिना सुनवाई के हिरासत में लिया जा सकता है।
न्यूज एजेंसी भाषा ने अधिकारियों के हवाले से बताया है कि पुलिस की मौजूदगी में मजिस्ट्रेट ने उस बंगले में जाकर महबूबा को आदेश सौंपा है जहां उन्हें नजरबंद रखा गया है। वहीं नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव और पूर्व मंत्री मोहम्मद सागर को प्रशासन ने पीएसए नोटिस दिया है। शहर के कारोबारी इलाके में सागर का मजबूत आधार माना जाता है। इसी तरह पीडीपी के नेता सरताज मदनी के खिलाफ भी पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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इससे पहले भी उमर अब्दुल्ला के पिता फ़ारूक़ अब्दुल्ला को भी सिंतबर में पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में रख लिया गया है। 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। उसी दौरान जम्मू कश्मरी के कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। सरकार ने बीते कुछ समय में कुछ नेताओं को रिहा भई किया लेकिन अधिकतर प्रमुख नेता या तो नज़रबंद है या उन्हें हिरासत में ले लिया गया है।
मामले पर जम्मू कश्मीर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रवींद्र शर्मा ने कहा कि देश में जिस तरह के हालात बने हुए हैं। वो कहीं से भी ठीक नहीं है। जम्मू कश्मीर के नेताओं को नजरबंद हुए 6 महीने हो गए है। उसके बाद भी पीएसए कानून को लाकर जम्मू कश्मीर के नेताओं को नजरबंद किया जा रहा है। लोगों को कैद किया जा रहा है। केंद्र सरकार दावा है कि ये सब फैसले जम्मू कश्मीर के हित में लिए जा रहे है। लेकिन लोकतंत्र में इस तरह के फैसले कहीं से भी ठीक नहीं है।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद घाटी में किसी तरह की कोई सियासत गतिविधि नहीं की जा रही है। एक तरफ वो लोग है जो सरकार की बोली बोल रहे है दूसरी तरफ कश्मीर के लोगों समेत नेताओं को कैद किया जा रहा है। इस तरह के फैसले जम्मू कश्मीर समेत पूरे देश के लिए काफी ज्यादा घातक है।
केंद्र सरकार के बोलने और करने में काफी ज्यादा फर्क है। एक तरह केंद्र सरकार दावे करती है कि हालात सामान्य है। वहीं दूसरी तरफ इस तरह सरकार जनता विरोधी, युवा विरोधी फैसले को लागू करती है। एक तरफ सरकार युवा को रोजगार नहीं दे पा रही है। वहीं दूसरी तरफ पिछले 6 महीने से नेताओं को नजरबंद कर के रख रही है। इसी से पता चलता है कि जम्मू कश्मीर के हालात कैसे है।
वहीं कांग्रेस नेता चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए कहा कि उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और अन्य के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट की क्रूर कार्रवाई से हैरान हूं। आरोपों के बिना किसी पर कार्रवाई लोकतंत्र का सबसे घटिया कदम है। जब अन्यायपूर्ण कानून पारित किए जातेहै या अन्यायपूर्ण कानून लागू किए जाते है। तो लोगों के पास शांति से विरोध करने के अलावा क्या विकल्प होता है?
Shocked and devastated by the cruel invocation of the Public Safety Act against Omar Abdullah, Mehbooba Mufti and others.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 7, 2020
चिंदबरम ने एक अन्य ट्वीट में पीएम मोदी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि विरोध प्रदर्शन से अराजकता होगी और संसद-विधानसभाओं द्वारा पारित कानूनों का पालन करना होगा। वह इतिहास और महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला के प्रेरक उदाहरणों को भूल गए हैं।'