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राजनीति

अमेरिका में कोरोना से लड़ने के लिए मलेरिया की दवा का इस्तेमाल हुआ शुरू

Janjwar Team
31 March 2020 3:30 AM GMT
अमेरिका में कोरोना से लड़ने के लिए मलेरिया की दवा का इस्तेमाल हुआ शुरू
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हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वाइन और क्लोरोक्विन का इस्तेमाल मुख्य रूप से मलेरिया की रोकथाम और उपचार के लिए किया जाता है, अमेरिका में दोनों को COVID-19 के संभावित उपचार के लिए जांचा जा रहा है...

जनज्वार। नोवेल कोरोना वायरस से दुनियाभर में 36,000 से अधिक लोगों की मौत का दावा किया गया है। दिसंबर 2019 मे चीन में पहली बार उभरने के बाद यह कोरोना वायरस (जिसे कोविड-19 के नाम से भी जाना जाता है) अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप तक फैल गया है।

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस इंजीनियरिंग द्वारा एकत्रित किए गए आंकड़ों के मुताबिक 7,66,000 से अधिक लोगों में इस संक्रमण की पहचान की गई है, जबकि 1,60,000 लोग इस रोग से उबर चुके हैं।

कोरोना वायरस के 153,000 से अधिक मामलों के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका अब दुनिया में पहले नंबर पर है, जबकि अमेरिका में अब तक इस बीमारी से 2,828 लोगों की मौत हो चुकी है।

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मेरिकी समाचार वेबसाइट एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के फूंड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने मलेरिया-रोधी दवाओं को कोवि़ड 19 के इलाज के लिए आपातकालीन स्वीकृति दे दी है।

मेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विस डिपार्टमेंट ने रविवार की रात एक जारी बयान में घोषणा की है कि उसे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वाइन सल्फेट की 30 मिलियन डोज मिली हैं और हॉलोरोक्विन फॉस्फेट की 1 मिलियन डोज को नेशनल स्टॉकपाइल ऑफ पोटेंशिएली लाइफ सेविंग फार्मासियूटिकल्स और मेडिकल सप्लाई को डोनेट की गई हैं।

और क्लोरोक्विन (ओरल प्रिस्क्रिप्शन ड्रग्स हैं जिनका इस्तेमाल मुख्यरूप से मलेरिया की रोकथाम और उपचार के लिए किया जाता है) दोनों को COVID-19 के संभावित उपचार के रूप में जांचा जा रहा है।

स बयान में उल्लेख किया गया है कि कोविड 19 के अस्पताल में भर्ती किशोर और वयस्क रोगियों के डॉक्टरों की ओर से इन डोनेट की गई दवाओं को वितरित करने की अनुमति मिलने के बाद इनका आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी।

संघीय एजेंसियां जैसे कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ और बायोमेडिकल एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ट्रायल परीक्षणों की योजना बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

हीं व्हाइट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि न्यूयॉर्क में कोरोनावायरस के 1100 मरीजों को मलेरिया की ‘हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन’ दवाई दी गई है। इस दवा से संभवत: इस जानलेवा वायरस से निपटने में मदद मिल सकती है, जिससे देशभर में 1,40,000 से अधिक लोग संक्रमित हैं।

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ट्रंप ने कहा कि यह दवा सस्ती है और इसके कोई दुष्प्रभाव भी नहीं हैं। मलेरिया से निपटने के लिए 1955 में इसका सबसे अधिक इस्तेमाल किया गया था। ट्रम्प ने कहा, 'न्यूयॉर्क में 1100 मरीजों को ‘जेड पैक’ के साथ ‘हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन’ दवाई दी गई है। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, क्योंकि इसे अभी दो दिन ही हुए हैं। लेकिन देखते हैं क्या होता है।'

रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति ने सोमवार 30 मार्च को चेतावनी दी कि संघर्ष से तबाह देशों में नोवेल कोरोना वायरस से लड़ना लगभग असंभव होगा, जब तक कि सरकारों और मानवीय संगठनों द्वारा एक ठोस प्रतिक्रिया तुरंत शुरू नहीं की जाती है।

रेड क्रॉस के अंतर्राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष पीटर मौरर ने एक बयान में कहा, 'हमारा डर यह है कि अगर वायरस के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं की जाती है, तब तक यह दुनिया के कुछ सबसे कमजोर समुदायों को तबाह कर देगा।'

कहा कि दुनियाभर की सरकारों ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के प्रयास में सोशल डिस्टेंसिंग के दिशानिर्देशों और अन्य उपायों को लागू किया है, लेकिन विस्थापन शिविरों और जेलों में फिजिकल डिस्टेंसिंग संभव नहीं है।

मौरर ने कहा, 'कोरोना वायरस की बाढ़ को रोकने के लिए अफगानिस्तान, उत्तर-पूर्व नाइजीरिया, दक्षिण सूडान, सीरिया और यमन जैसे संघर्षग्रस्त इलाकों में हेल्थ सिस्टम तैयार नहीं है। यहां कोरोना वायरस के संदिग्ध मामलों का पता लगाना और उन्हें अलग करना भी मुश्किल है, जब लोग महामारी के बावजूद हिंसा के कारण अपने घरों से भाग रहे हैं।'

मौरर ने आगे कहा कि वायरस कोई सीमा नहीं जानते हैं। यह एक वैश्विक समस्या है जिसे केवल वैश्विक कार्रवाई के जरिए हल किया जाएगा।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के निदेशक डॉ. एंथनी फौसी के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका कोरोनो वायरस महामारी से और अधिक घातक घटनाओं को देखने की उम्मीद कर सकता है, भले ही देशव्यापी सामाजिक डिस्टेंसिंग दिशानिर्देशों को बढ़ाया गया हो।

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