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राजनीति

क्या हुआ था तिहाड़ जेल नंबर 3 के अंदर, जहां निर्भया के दोषियों को दी गई थी फांसी?, जानिए एक क्लिक में

Ragib Asim
21 March 2020 6:09 AM GMT
क्या हुआ था तिहाड़ जेल नंबर 3 के अंदर, जहां निर्भया के दोषियों को दी गई थी फांसी?, जानिए एक क्लिक में
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एक रात पहले केवल विनय शर्मा और मुकेश सिंह ने खाना खाया था। खाने में रोटी, दाल, चावल और सब्जी थी। अक्षय ने शाम को चाय भी पी थी लेकिन उसने रात में खाना नहीं खाया। चारों दोषियों ने शुक्रवार सुबह नाश्ता नहीं किया था....

जनज्वार। निर्भया के चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह 5:30 बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। फांसी से पहले तिहाड़ जेल के बाहर लोगों की भीड़ एकत्र हो गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बलात्कारियों के अंतिम के प्रयासों को खारिज होने के 2 घंटे बाद जिला मजिस्ट्रेट, जेल अधीक्षक और चिकित्सा परीक्षक की उपस्थिति में मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता, (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को तिहाड़ की जेल नंबर 3 में फांसी दी गई।

फांसी से पहले चारों ने नहीं किया नाश्ता

न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, तिहाड़ जेल के एक अधिकारी ने बताया कि फांसी पर चढ़ाए जाने से पहले रात को दोषियों में कोई घबराहट नजर नहीं आई और उन्होंने फांसी से पहले नाश्ता नहीं किया था। जब चारों को फांसी पर लटकाए जाने के लिए ले जाया जा रहा था, उसी समय विनय फूट-फूट कर रोने लगा। उन्होंने बताया कि एक रात पहले केवल विनय शर्मा और मुकेश सिंह ने खाना खाया था। खाने में रोटी, दाल, चावल और सब्जी थी। अक्षय ने शाम को चाय भी पी थी लेकिन उसने रात में खाना नहीं खाया। चारों दोषियों ने शुक्रवार सुबह नाश्ता नहीं किया था।

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फांसी से पहले रोया विनय

फांसी से पहले दोषियों ने ना ही स्नान किया और ना कपड़े बदले। चारों दोषी पूरी रात जागते रहे। अधिकारी ने बताया कि सुबह जब चारों दोषियों को उठने के लिए कहा गया तो चारों जाग ही रहे थे। उन्हें जब काले कपड़े पहनने के लिए दिए तो विनय ने रोना शुरू कर दिया। चारों से पूछा गया कि क्या वे अपनी फांसी से पहले वसीयत तैयार करना चाहते है तो उन्होंने मना कर दिया।

जेल को किया गया लॉकडाउन

स दौरान तिहाड़ जेल को लॉकडाउन कर रखा था। किसी भी कैदी को अपनी सेल से बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी। सुबह 5 बजे के करीब चारों को उनकी सेल से निकाल कर फांसी के लिए ले जाया गया। इस दौरान डिप्टी सुपरिटेंडेंट और हेड वार्डर के अलावा छह अन्य जेलकर्मी भी थे। दो सामने, दो पीछे और दो ने उनकी बाहों को पकड़ रखा था। फांसी के दौरान पश्चिम दिल्ली के मजिस्ट्रेट, अधीक्षक, उप-अधीक्षक, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी और रेसिडेंट मेडिकल ऑफिसर उपस्थित थे। फांसी के चबूतरे पर पहुंचने से पहले चारों का चेहरा ढंक दिया गया। लगभग 5.20 बजे दोषियों को चबूतरे पर चढ़ा दिया गया और उन्हें सीधे बीम के नीचे रखा गया, जिससे रस्सियां जुड़ी हुई थीं।

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ठीक 5:30 बजे दी गई फांसी

ल्लाद ने फिर कैदी के पैरों को बांध दिया और हाथों को पीठ के बांध दिया और रस्सी को कसकर उनकी गर्दन पर डाल दिया। रस्सी की गांठ की सावधानीपूर्वक जांच की गई। इस सबके बाद सुपरिटेंडेंट ने ठीक 5.30 बजे इशारा दिया और जल्लाद पवन जल्लाद ने लीवर को धक्का दे दिया। चारों को एक साथ फांसी दी गई और शवों को आधे घंटे तक लटकता छोड़ दिया। बाद में चिकित्सा परीक्षक ने उनकी मौत की पुष्टि की।

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पोस्टमार्टम के बाद परिवार को सौंपे गए शव

सुबह 6.05 बजे के आसपास शव उतारे गए और स्थानीय पुलिस को शव परीक्षण के लिए शव ले जाने की सूचना दी गई। सुबह 8.20 बजे के आसपास दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए दो एम्बुलेंस में सभी चार शव जेल परिसर से निकले। तब तक जेल में लॉकडाउन जारी रहा। 5 डॉक्टरों के एक पैनल ने पोस्टमार्टम किया और इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की गई। बाद में शवों को अंतिम संस्कार के लिए रिश्तेदारों को सौंप दिया गया।

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