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संस्कृति

क्या मजबूरी थी जो देहांत से एक सप्ताह पहले गोपालदास नीरज ने मांगी थी इच्छामृत्यु

Prema Negi
25 July 2018 4:11 AM GMT
क्या मजबूरी थी जो देहांत से एक सप्ताह पहले गोपालदास नीरज ने मांगी थी इच्छामृत्यु
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पेंशन के लिए 93 वर्ष की आयु में सरकार के खिलाफ लड़ाई छेड़ने वाले नीरज का अपनी शरीर को बोझ बताकर इच्छामृत्यु के लिए पत्र लिखने की बात नहीं हो रही है हजम...

सुशील मानव की रिपोर्ट

गोपालदास नीरज की मृत्यु के चार दिन बाद उनका एक पत्र वायरल हुआ है। उक्त पत्र नीरज ने अपने स्टांप हेड पर जिलाधिकारी अलीगढ़ को लिखकर इच्छामृत्यु का आज्ञा माँगते हुए उनसे हेलीडेथ इंजेक्शन प्राप्त करवाने की गुज़ारिश की है।

लेटर में सुप्रीम कोर्ट से शारीरिक पीड़ा और अक्षमता का हवाला देकर अपनी बात कही गई है। पत्र में 19 जुलाई, 2018 की तारीख पड़ी है और गोपालदास नीरज के हस्ताक्षर भी हैं।

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ये पत्र उनकी मौत से महज एक सप्ताह पहले का है। जो उनकी जीवंतता भरे बयानों और इच्छाशक्ति के बिल्कुल उलट है। बता दें कि कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपने शतायु होने की बात कही थी। साथ ही यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा साहित्यकारों की यश भारती पेंशन बंद करने की कृत्य के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे।

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25 मार्च 2018 दिन सोमवार को कवि गोपाल दास नीरज ने अलीगढ़ से 350 किलोमीटर दूर लखनऊ जाकर यश भारती पेंशन के लिए सरकार और संगठन का दरवाजा खटखटाया था। नीरज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पांच कालिदास मार्ग स्थित उनके सरकारी आवास पर जाकर मुलाकात की थी, जबकि भाजपा मुख्यालय में वह प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल से भी मिलने पहुंचे थे।

पेंशन के लिए 93 वर्ष की आयु में सरकार के खिलाफ लड़ाई छेड़ने वाले नीरज का अपनी शरीर को बोझ बताकर इच्छामृत्यु के लिए पत्र लिखने की बात हजम नहीं हो रही है। बता दें कि सपा सरकार में नीरज को यश भारती सम्मान से सम्मानित किया गया था। सपा सरकार ने तय किया था कि यश भारती पाने वालों को सरकार हर माह 50 हजार रुपये पेंशन देगी।

प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद यह पेंशन रोक दी गई थी। जबकि इसके कुछ दिनों पहले ही उन्होंने कहा था कि, ‘जब तक मेरी यश भारती की पेंशन बहाल नहीं हो जाती। मैं इस दुनिया से जाने वाला नहीं हूं।’ उनका ये कथन उनकी अदम्य जिजीविषा और इच्छाशक्ति को दर्शाता है, मगर दूसरी तरफ इच्छामृत्यु वाला पत्र तमाम सवाल खड़े करता है।

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