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Psycho Killer: दुष्कर्म के बाद करता था नृशंस हत्या व पीड़िताओं के अंडरगारमेंट लेकर होता था फरार, रेड्डी को अब मिलेगी मौत

Janjwar Desk
1 Oct 2021 6:16 AM GMT
Psycho Killer: दुष्कर्म के बाद करता था नृशंस हत्या व पीड़िताओं के अंडरगारमेंट लेकर होता था फरार, रेड्डी को अब मिलेगी मौत
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(सीरियल किलर उमेश रेड्डी की मौत की सजा को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है) pic-social media

Psycho Killer: 9 महिलाओं के साथ दुष्कर्म के बाद उनकी नृशंस हत्या के दोषी उमेश रेड्डी की निचली अदालत के फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है, हाई कोर्ट ने मृत्युदंड की जगह उसकी उम्रकैद की मांग को खारिज कर दिया..

Psycho Killer: 9 महिलाओं के साथ दुष्कर्म के बाद उनकी नृशंस हत्या मामले में दोषी करार दिए गए साइको किलर उमेश रेड्डी ( Umesh Reddy) की निचली अदालत के फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है। हाई कोर्ट ने मृत्युदंड की जगह उसकी उम्रकैद की मांग को खारिज कर दिया।

दोषी करार दिया गया उमेश अक्सर उन महिलाओं को निशाना बनाता था, जो घर में अकेली होती थीं। उसे नौ महिलाओं के साथ दरिंदगी और हत्या (Murder of nine women) के आरोप में दोषी करार दिया गया है। हालांकि पुलिस सूत्रों का कहना है कि उसने कम से कम 18 महिलाओं के साथ रेप और उनकी हत्या की है।

इस मामले की सुनवाई बुधवार को कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka Highcourt) में हुई। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उमेश रेड्डी की फांसी की सजा को बरकरार रखा। मामले में जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस प्रदीप सिंह की अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अपराध को देखते हुए दोषी नरमी का हकदार नहीं है।

बता दें कि रेड्डी को साल 2006 में ही सत्र न्यायालय ने मौत की सजा सुनाई थी। उस पर बेंगलुरु के पीन्या (peenya in Bangalore) में 1998 में एक महिला का रेप और हत्या करने का आरोप साबित हुआ था। फिर इसके बाद उमेश रेड्डी ने मौत की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील करने की हाईकोर्ट में अपील की थी।

हाई कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार और प्रदीप सिंह येरू की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए उसकी सजा बरकरार रखी है। वहीं, उमेश रेड्डी की इच्छा हो तो उसे इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए 6 हफ्ते का समय दिया गया है।

सीरियल रेपिस्ट और किलर उमेश रेड्डी के अपराध करने का तरीका भी ऐसा था जिसे जानकर लोगों की रूह कांप जाती थी। वह आमतौर पर झूठ बोलकर महिलाओं को विश्वास में लेता था। वह दिन में वारदातों को अंजाम देता था। उमेश उस वक्त घरों में घुसता था जब अमूमन पुरुष सदस्य बाहर काम पर गए होते थे। ज्यादातर वह सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच घर में अकेली रहने वाली महिलाओं को निशाना बनाता था।

उसका वारदात को अंजाम देने का तरीका भी प्लांड होता था। पहले वह घरों की रेकी करता था। फिर टारगेट सेट कर जिस घर में वारदात करना हो वहां पहुंचता था। वह पानी मांगने या पता पूछने के बहाने घर में घुस जाता था।

इसके बाद वह चाकू दिखाकर उन्हें कपड़े उतारने के लिए मजबूर करता था। पहले उन्हें बांधकर दुष्कर्म करता था फिर उनका गला घोंटता था। वह अक्सर अपने शिकार का गला दबाता था और जब वे बेहोश हो जातीं तो उनके साथ दुष्कर्म करता था।

हत्या करने के बाद डकैती दिखाने के लिए वह उनके गहने भी निकाल लेता था। इसके बाद वह पीड़िता के अंडरगारमेंट्स लेकर फरार हो जाता था। वह ऐसा साइको रेपिस्ट है कि एक बार गिरफ्तारी के दौरान उसे महिलाओं की पेंटी पहने हुए भी पाया गया था।

इससे पहले साल 2013 में राष्ट्रपति ने उमेश रेड्डी की मां की दया याचिका खारिज कर दी थी। यही नहीं बल्कि, साल 1997 में बेल्लारी जेल में शिफ्ट होने के दौरान उसने भागने की भी कोशिश की थी।

सबसे पहले रेड्डी को 1998 में बेंगलुरु में एक विधवा से दुष्कर्म और हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था। रेड्डी का कर्नाटक में कई वर्षों तक आतंक रहा। बताया जाता है कि रेड्डी ने 18 महिलाओं की हत्या करना कबूल किया है। जिसमें से उसे नौ मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है। हालांकि ऐसा शक है कि उसने कम से कम 21 महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने के बाद हत्या की है।

रेड्डी पहले CRPF का एक जवान हुआ करता था। उसका चयन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में गार्ड के रूप में हुआ था। उसे जम्मू-कश्मीर में तैनाती मिली थी। वहां एक कमांडेंट के घर पर ड्यूटी के दौरान उसने उनकी बेटी से दुष्कर्म का प्रयास किया था और उसके बाद वह फरार हो गया था।

उसने 1996 में जिला सशस्त्र रिजर्व (डीएआर) पुलिस में भी शामिल होने की कोशिश की। यहां उसने अपना अतीत छुपा लिया। डीएआर को सीआरपीएफ में उसकी पृष्ठभूमि के बारे में पता नहीं था, इसी वजह से उसका चयन हो गया। मध्य प्रदेश में पुलिस प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वह कर्नाटक लौट आया। उस पर रोड रेज का भी आरोप लगा था।

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