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भारत ने गलवान में मारे थे 60 चीनी सैनिक, अमेरिकी पत्रिका का दावा
जनज्वार। इस साल के 15 जून को लद्दाख के गलवान घाटी में भारतीय व चीनी सैनिकों के बीच हुए संघर्ष में 60 चीनी सैनिक मारे गए थे। यह झड़प तब हुई जब चीनी सैनिक भारतीय अधिकार क्षेत्र वाले भूभाग में घुस गए थे और अवैध ढंग से पोस्ट का निर्माण कर रहे थे। अमेरिका की न्यूजवीक पत्रिका ने इस संबंध में खबर देते हुए लिखा है कि यह घुसपैठ चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की शह पर की गई थी।
न्यूजवीक ने खबर दी है कि भारत की ओर से की गई जवाब कार्रवाई में कम से 43 चीनी सैनिक मारे गए थे और इनकी संख्या 60 तक भी हो सकती है। पत्रिका ने फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के लियो पास्कल के हवाले से लिखा है कि गलवान में हुए टकराव में चीन के मारे गए सैनिकों की संख्या 60 तक हो सकती है। इस टकराव में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। 1962 के भारत-चीन युद्ध के बीच दोनों देशों के बीच यह सबसे बड़ा टकराव था, जिससे दोनों के अपने रिश्ते निचले स्तर पर पहुंच गए।
न्यूजवीक ने लिखा है कि भारत के अत्प्रयाशित जवाब से चीन की कोशिशें विफल साबित हुईं। हालांकि वह भविष्य में उत्पन्न होने वाली चुनौती के मद्देनजर बचाव का रास्ता तलाश रहा है।
पत्रिका ने अपने ताजा अंक में लिखा है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इस समय बदलाव के दौर से गुजर रही है और ऐसी परिस्थिति में राष्ट्रपति शी चिनफिंग के लिए चुनौतियां बढ रही हैं। भारतीय सेना के सामने चीनी सेना की विफलता कम्युनिस्ट पार्टी की अंदरूनी राजनीति में राष्ट्रपति शी के लिए भारी पड़ सकती है। इसके दुष्परिणाम चिनफिंग को भुगतने पड़ सकते हैं।
पत्रिका ने गलवान के बाद के हालात को लेकर लिखा है कि पैगोंग सो झील के उत्तरी किनारे पर जब पीएलए ने घुसपैठ कर अड्डा जमाया तो उसे जवाब देने के लिए भारतीय सैनिकों ने नजदीकी पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया। इससे भारत चीनी सेना की गतिविधि पर नजर रखने में सक्षम हो गया है और गड़बड़ी पर उसे आसानी से निशाना बनाया गया है।
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रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति शी ही चीन की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के चेयरमैन हैं और ऐसे में पीएलए की हर उपलब्धि-अनुपलब्धि व गतिविधि की जिम्मेवारी उन पर ही है। न्यूजवीक ने अपनी खबर में कहा है कि पीएलए राष्ट्रपति के स्वीकृति के बिना कोई कदम नहीं उठा सकती है। इसलिए निश्चित रूप से शी चिनफिंग ने भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों की घुसपैठ को मंजूरी दी।
भारत ने जिस आक्रामक अंदाज में चीन को जवाब दिया उसकी उसे उम्मीद नहीं थी। इस वजह से टकराव में हुए नुकसान के बारे में चीन ने कुछ नहीं बोला। चीन की सेना को दूसरा झटका सितंबर के आरंभ में तब लगा जब भारत ने कुछ पहाड़ियों की चोटियों पर रणनीतिक कब्जा बना लिया।
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भारत ने जिस आक्रामक अंदाज में चीन को जवाब दिया उसकी उसे उम्मीद नहीं थी। इस वजह से टकराव में हुए नुकसान के बारे में चीन ने कुछ नहीं बोला। चीन की सेना को दूसरा झटका सितंबर के आरंभ में तब लगा जब भारत ने कुछ पहाड़ियों की चोटियों पर रणनीतिक कब्जा बना लिया।
अमेरिकी पत्रिका ने लिखा है कि भारत का कदम चीन के राष्ट्रपति के लिए बड़ा झटका है और वे भविष्य में बड़े कदम उठा सकते हैं। पत्रिका ने यह भी संभावना जतायी है कि चीन की पीएलए में बड़े अधिकारियों पर गाज गिर सकती है और विरोधियों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए समर्थकों को अहम पद पर तैनात किया जा सकता है। न्यूजवीक ने यह भी लिखा है कि रूस से मई में ही भारत को चीन के कदमों के बारे में जानकारी दी थी।