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Shashank Shekhar poem
You Searched For "Shashank Shekhar poem"
जब चुभेगी रेत और उसकी किरकिरी का एहसास होगा, हमें फिर उन्हीं समुद्रों की याद में ले जाएगा....
16 March 2025 7:17 PM IST
दांत का ज़ख़्म ऐसा है कि हमें कोई ज़ख़्मी भी नहीं मानता और हमदर्दी भी नहीं रखता...
15 Sept 2024 1:04 PM IST
ये जो खंडहर हैं आज कभी गुलदाउदी से महकते थे इनमें धड़कन थी और ये चहकते थे सैकड़ों लोगो का रोज़ाना ताँता लगा रहता था...
17 Jun 2024 11:22 AM IST
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