चुनावी नतीजों से हुआ लाभ, बिहार में 4 नई पार्टियां राज्यस्तरीय दल का दर्जा पाने की रेस में

राज्यस्तरीय दल का दर्जा पा लेने के बाद चुनाव आयोग द्वारा पार्टी को अधिकृत चुनाव चिह्न आबंटित किए जाने का प्रावधान है, इसके अलावा राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों को राज्य मुख्यालय में सरकारी स्तर पर पार्टी कार्यालय भी उपलब्ध कराया जाता रहा है..

Update: 2020-11-14 04:12 GMT

जनज्वार ब्यूरो, पटना। इस बार के बिहार विधानसभा चुनावों ने कई राजनीतिक दलों की किस्मत पलट दी है। कई दल फर्श से अर्श पर चले गए हैं तो कई दलों को नुकसान उठाना पड़ा है। इस बार के चुनाव परिणामों ने चार राजनीतिक दलों को 'राज्यस्तरीय दल' का दर्जा मिलने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।

इस बार के चुनाव परिणामों के बाद भाकपा(माले), पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की 'हम' पार्टी, मुकेश साहनी की वीआईपी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी ने बिहार में राज्यस्तरीय राजनीतिक दल का दर्जा प्राप्त करने के करेटेरिया को प्राप्त कर लिया है।

लिहाजा ये पार्टियां चुनाव आयोग से 'राज्यस्तरीय राजनीतिक दल' के दर्जे के लिए अनुरोध कर सकती हैं। चुनाव आयोग से राज्यस्तरीय राजनीतिक दल का दर्जा प्राप्त करने के लिए किसी आम चुनाव में कुल पोल हुए मतों का 3 प्रतिशत मत प्राप्त करना या 3 सीटें जीतना मुख्य शर्त होती है।

राज्यस्तरीय दल का दर्जा पा लेने के बाद चुनाव आयोग द्वारा पार्टी को अधिकृत चुनाव चिह्न आबंटित किए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों को राज्य मुख्यालय में सरकारी स्तर पर पार्टी कार्यालय भी उपलब्ध कराया जाता रहा है। अब ये चार पार्टियां सुविधाएं प्राप्त करने के लिए निर्धारित प्रक्रिया कर सकती हैं।

इस बार भाकपा (माले), हम, वीआईपी तथा एआईएमआईएम ने 3 या ज्यादा सीटें जीतने का करेटेरिया पा लिया है। माले ने इस बार महागठबंधन में शामिल होकर 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था, इनमें से 12 सीटें जीतने में पार्टी सफल रही है।

वहीं एआईएमआईएम ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इस बार 5 सीटें जीतने में सफल रही है। जबकि जीतनराम मांझी की 'हम' पार्टी एनडीए का हिस्सा थी और पार्टी ने 7 सीटों को जीतने में सफलता हासिल की है। वहीं मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी भी एनडीए का हिस्सा थी और उसको भी 4 सीटें जीतने में कामयाबी मिली है।

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