कोरोना काल में दुनिया का पहला 'मास इलेक्शन' है बिहार चुनाव, इसलिए इन बातों का रखना होगा ख्याल
बिहार विधानसभा चुनाव ऐसे दौर में हो रहा है जब न सिर्फ दुनिया के 70 देशों ने अपने यहां चुनाव टाल दिया है, बल्कि अपने देश में भी ज्यादातर राज्यों ने उपचुनाव के लिए और समय की मांग की है...
जनज्वार। 12 करोड़ की आबादी और 7.29 करोड़ वोटर वाले बिहार का विधानसभा चुनाव कोरोना संकट के दौर में दुनिया का पहला मास इलेक्शन है। मास इलेक्शन का मतलब ऐसे चुनाव से हैं, जहां बड़ी आबादी चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेगी। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शुक्रवार को इस संबंध में किए गए अपने प्रेस कान्फ्रेंस के आरंभ में ही कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव ऐसे वक्त में करवाया जा रहा है, जब कोविड संकट के कारण दुनिया के 70 देशों ने अपने यहां चुनाव टाल दिया है।
प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा से प्रमुख रूप से कोरोना संक्रमण में चुनाव क्यों को लेकर ही पूछा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आयोग के अधिकारियों ने चुनाव को लेकर व्यापक तैयारियां की हैं और कोविड प्रोटोकाॅल का हर स्तर पर प्रयोग किया जाएगा।
चुनाव आयोग ने कोविड संक्रमण की वजह से कई मानदंड तय किए हैं। एक बूथ पर एक हजार से अधिक वोटर इस चुनाव में नहीं होंगे। वोटिंग के दौरान सेनिटाइजेशन का पूरा ख्याल रखा जाएगा।
चुनाव को लेकर राजनैतिक दल वर्चुअल रैली करेंगे। जनसभा करने की अनुमति नहीं होगी, हालांकि राजनैतिक दल जनसंपर्क व रोड शो कर सकेंगे। जनसंपर्क के लिए दो गाड़ियां लेकर उम्मीदवार जा सकेंगे और उसमें पांच लोग से अधिक शामिल नहीं रहेंगे।
उम्मीदवारों को पांच गाड़ियां लेकर रोड शो करने की अनुमति रहेगी।
कोविड मरीज भी दे सकेंगे वोट
बिहार का चुनाव आमतौर पर लंबा खींचता रहा है। लेकिन कोरोना संकट के दौर में उसे आयोग ने तीन चरणों में सीमित किया है। 28 अक्तूबर, तीन नवंबर व सात नवंबर को होने वाले मतदान में कोरोना मरीज भी भाग ले सकेंगे। वे अपने बूथ पर आखिरी घंटे में वोट देने जा सकेंगे। चुनाव आयोग ने इसके लिए वोंिटंग का समय एक घंटा बढाया है।
सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक वोटिंग होगी। हालांकि नक्सल प्रभावित सीटों पर शाम पांच बजे तक ही मतदान होगा। ऐसे में इन सीटों पर तय समय के आखिरी घंटे में कोरोना मरीज वोट दे सकेंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा है कि सात लाख यूनिट सेनिटाइजर का प्रबंध किया गया है, जबकि 46 लाख मास्क का प्रबंध किया गया है।