बिहार चुनाव: टिकट की रेस में पूर्व डीजीपी पर भारी पड़ गए पूर्व सिपाही, जानें पूरी कहानी
दोनों ने पुलिस की नौकरी से वीआरएस लेकर राजनीति के मैदान में कदम रखा, पर उम्मीदवारी के लिहाज से पुलिस विभाग में राज्य के सर्वोच्च पद पर रहे व्यक्ति पर विभाग का छोटा पूर्व कर्मी भारी पड़ गया.....
जनज्वार ब्यूरो, पटना। टिकट की रेस में डीजीपी पर सिपाही भारी पड़ गए। दोनों ने पुलिस की नौकरी से वीआरएस लेकर राजनीति के मैदान में कदम रखा था, पर उम्मीदवारी के लिहाज से पुलिस विभाग में राज्य के सर्वोच्च पद पर रहे व्यक्ति पर विभाग का छोटा पूर्व कर्मी भारी पड़ गया।
बात बक्सर सीट की है। यहां से बीजेपी ने परशुराम चतुर्वेदी को अपना प्रत्याशी बनाया है। जबकि राज्य पुलिस के डीजीपी पद से इस्तीफा देनेवाले गुप्तेश्वर पाण्डेय जब जदयू में शामिल हुए थे, तब यह माना जा रहा था कि वे बक्सर सीट से जदयू के प्रत्याशी होंगे।
हालांकि गठबंधन में बक्सर सीट बीजेपी को मिल गई। तब यह कहा जाने लगा कि बीजेपी गुप्तेश्वर पाण्डेय को उम्मीदवार बना सकती है। पर बीजेपी ने परशुराम चतुर्वेदी को टिकट दे दिया।
बीजेपी की सीट पर बक्सर सीट से चुनाव लड़ रहे परशुराम चतुर्वेदी भी पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देकर वीआरएस ले चुके हैं। साल 1994 तक परशुराम चतुर्वेदी बिहार पुलिस में मुजफ्फरपुर जिला में सिपाही के पद पर काम करते थे। लेकिन उन्हें भी राजनीति पसंद थी और इस कारण उन्हें पुलिस विभाग की नौकरी रास नहीं आ रही थी।
इसी क्रम में वे बीजेपी से जुड़ गए और नौकरी से वीआरएस ले लिया। बक्सर के महदह के रहने वाले परशुराम चतुर्वेदी अब बीजेपी में एक वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं। विगत चुनावों में परशुराम चतुर्वेदी कई जिलों में पार्टी के चुनाव का भी काम देख चुके हैं। आज 8 अक्टूबर, गुरुवार को उन्होंने बक्सर सीट से बीजेपी की ओर से नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
इससे पहले जेडीयू ने अपने कोटे के सभी 115 सीटों के उम्मीदवारों की जो लिस्ट जारी की थी, उसमें किसी सीट से भी गुप्तेश्वर पांडेय का नाम नहीं था। जब जेडीयू ने उनके नाम की घोषणा नहीं की तो कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी बक्सर से उन्हें चुनाव लड़वा सकती है। लेकिन उनके समर्थकों के इस उम्मीद पर भी तब पानी फिर गया जब बीजेपी ने बक्सर से परशुराम चतुर्वेदी के नाम की घोषणा कर दी।
इसके बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर कह दिया कि इस बार वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।उन्होंने लिखा 'अपने अनेक शुभचिंतकों के फोन से परेशान हूं, मैं उनकी चिंता और परेशानी भी समझता हूं। मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा। हताश निराश होने की कोई बात नहीं है। धीरज रखें। मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है। मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूंगा। कृपया धीरज रखें और मुझे फोन नहीं करे। बिहार की जनता को मेरा जीवन समर्पित है।'
पोस्ट में बक्सर का जिक्र करते हुए उन्होंने यह भी लिखा है कि अपनी जन्मभूमि बक्सर की धरती और वहां के सभी जाति मजहब के सभी बड़े-छोटे भाई-बहनों माताओं और नौजवानों को मेरा पैर छू कर प्रणाम! अपना प्यार और आशीर्वाद बनाए रखें।
बता दें सुशांत सिंह राजपूत खुदकुशी केस की जांच के दौरान गुप्तेश्वर पांडेय चर्चा में आए थे। पिछले महीने गुप्तेश्वर पांडेय ने बिहार डीजीपी के पद से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया था। इस्तीफा देने के बाद वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले थे, फिर जदयू में शामिल हो गए थे। तभी से इस बात की चर्चा हो रही थी कि वे जेडीयू के टिकट पर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं।