बिहार के जमुई सीट पर चिराग पासवान समेत सभी उम्मीदवार 'चांदी के चम्मच' वाले राजनीतिक खानदानों से
जमुई संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाली छह विधानसभा क्षेत्र में तीन क्षेत्रों पर राज्य के बड़े नेताओं के बेटे, बेटी व भाई मुकाबले में हैं...
जमुई से राहुल सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए राज्य की 243 विधानसभा सीट में पहले चरण में 28 अक्तूबर को जिन 71 सीटों पर मतदान होना है, उनमें जमुई जिले की चार विधानसभा सीटें और जमुई संसदीय क्षेत्र की छह विधानसभा सीटें शामिल हैं।
लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान का संसदीय क्षेत्र और दिग्गज दिवंगत समाजवादी नेता दिग्विजय सिंह का गृहक्षेत्र होने के कारण जमुई बिहार की राजनीति में एक हाइप्रोफाइल इलाका है।
उस पर बिहार में अपने राजनैतिक स्टाइल के लिए मशहूर नरेंद्र सिंह के पुत्रों की मौजूदगी और राजद के प्रभावी नेता जयप्रकाश नारायण यादव के भाई व बेटी की मौजूदगी के कारण यह क्षेत्र और अहम हो जाता है।
जमुई जिले में चार विधानसभा सीटें हैं : जमुई, सिकंदरा, झाझा और चकाई, जबकि जमुई संसदीय क्षेत्र में इनके अलावा दो और सीटें हैं - शेखपुरा और चकाई। शेखपुरा जिला है, जबकि तारापुर मुंगेर जिले में पड़ने वाला विधानसभा क्षेत्र है।
जमुई : अंतरराष्ट्रीय शूटर श्रेयसी सिंह की मौजूदगी से मुकाबला रोचक
भारतीय जनता पार्टी ने दिवंगत समाजवादी नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी सिंह को जमुई से उम्मीदवार बनाया है। श्रेयसी अबतक अपनी मां व बांका की पूर्व सांसद पुतुल कुमारी के लिए राजनैतिक प्रबंधन का काम देखती रही हैं, लेकिन पहली बार वे सीधे चुनावी मुकाबले में हैं।
श्रेयसी सिंह का मुकाबला राजद के सीटिंग एमएलए और जयप्रकाश नाराण यादव के भाई विजय प्रकाश यादव से है। वहीं, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से नरेंद्र सिंह के बेटे अजय प्रकाश चुनाव मैदान में हैं। अजय प्रकाश जमुई से भाजपा के विधायक रहे हैं और पिछला चुनाव वे राजद-जदयू के मजबूत गठबंधन की वजह से हार गए थे।
नरेंद्र सिंह और जयप्रकाश नारायण यादव का क्षेत्र में अपना प्रभाव है और यह क्रमशः उनके पुत्र व भाई के लिए मजबूत दावेदारी की बड़ी वजह है। जबकि दिवंगत दिग्विजय सिंह का इलाके में उनके विकास कार्याें व बड़े राजनैतिक कद के कारण व्यापक लोकप्रियता व सम्मान है। श्रेयसी सिंह के लिए भाजपा-जदयू का साझा उम्मीदवार होना और दिग्विजय सिंह की बेटी होना अहम है। उधर, चिराग पासवान ने भाजपा उम्मीदवार होने के कारण इस सीट से अपना उम्मीदवार नहीं दिया है।
झाझा : भाजपा के बागी लोजपा के उम्मीदवार
झाझा विधानसभा सीट से राजद के राजेंद्र यादव और जदयू के दामोदर रावत मैदान में हैं। यहां से भाजपा से अपने सीटिंग एमएलए डाॅ रवींद्र यादव का टिकट काट दिया, ऐसे में वे लोजपा के उम्मीदवार के रूप में लड़ रहे हैं। रालोसपा की अगुवाई में बने छह दलों के गठबंधन का हिस्सा बसपा से यहां पर मैदान में विनोद यादव उतरे हैं।
चकाई : राजद, जदयू के सामने लोजपा व नरेंद्र सिंह के बेटे मैदान में
चकाई विधानसभा क्षेत्र में राजद से सीटिंग एमएलए सावित्री देवी और जदयू से संजय प्रसाद मैदान में हैं। यहां से नरेंद्र सिंह के एक और बेटे सुमित सिंह निर्दलीय मैदान में कूदे हैं। सुमित पहले इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
जदयू की सीट होने की वजह से लोजपा ने यहां से अपना उम्मीदवार दिया है। पार्टी ने संजय मंडल को यहां से उम्मीदवार बनाया है।
सिकंदरा : चिराग ने उम्मीदवार बदल चल दावं
सिकंदरा अनुसूचित जाति के लिए एक सुरक्षित सीट है और यहां से मैदान में कांग्रेस से सुधीर कुमार उर्फ बंटी चौधरी और एनडीए से हम प्रत्याशी प्रफुल्ल कुमार मांझी चुनाव मैदान में हैं। लोजपा से रविशंकर पासवान भी मैदान में हैं। पिछली बार लोजपा से चुनाव लड़े सुभाष पासवान इस सीट से इस बार निर्दलीय मैदान में हैं। इस सीट से वर्तमान में सुधीर चौधरी ही विधायक है, जो पिछली बार महागठबंधन प्रत्याशी के रूप में जीते थे। इस इलाके में नरेंद्र सिंह का प्रभाव है और किसी भी प्रत्याशी के लिए उनका समर्थन मायने रखता है।
तारापुर : जयप्रकाश की बेटी दिव्या प्रकाश मैदान में
तारापुर से राजद ने जयप्रकाश नारायण यादव की बेटी दिव्या प्रकाश को उम्मीदवार बनाया है। वे पहली बार मैदान में उतरी हैं। उनका मुकाबला जदयू के सीटिंग एमएलए मेवालाल चौधरी से है। यहां पर रालोसपा से मैदान में जितेंद्र कुमार और लोजपा से मीना देवी मैदान में हैं। जमुई संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले दो विधानसभा क्षेत्र से जयप्रकाश नारायण यादव के परिवार के सदस्य राजद से उम्मीदवार हैं। एक जमुई, दूसरा तारापुर।
शेखपुरा : जदयू से सोनी और राजद से विजय सम्राट
शेखपुरा विधानसभा क्षेत्र से जदयू के सीटिंग एमएलए रणधीर कुमार सोनी फिर मुकाबले में हैं और राजद से विजय सम्राट उनके खिलाफ मैदान में हैं। लोजपा से यहां इमाम मजाली और रालोसपा से संकेत उम्मीदवार हैं।
चुनाव में क्या हैं मुद्दे?
बिहार विधानसभा चुनाव में कानून व्यवस्था एक अहम मुद्दा है। लोग हर बातचीत में बहू-बेटियों की सुरक्षा की चर्चा छेड़ देते हैं।
जाति के आधार पर गोलबंदी अब भी होती है, लेकिन लोग यह भी कहते हैं कि जागरूकता आयी है। राजनैतिक दबंगई को लेकर लोगों को मोहभंग हुआ है और लोग इस पर मुखर होकर कम संकेतों में अधिक बात करते हैं। एक व्यापारी ने कहा कि कारोबारी तबका ताकत की राजनीति करने वालों को पसंद नहीं करता है, भले ही सामने में कुछ न बोले, लेकिन उसकी मानसिकता बहुत स्पष्ट होती है। वह ऐसे लोगों को पसंद करता है जो सहज, विनम्र और सुलभ हो।
चुनाव में भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा है। 35 वर्षीय बबूल गुप्ता व राहुल नाम के एक 26 वर्षीय युवा ने कहा कि विकास योजनाएं ठीक हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार बहुत अधिक है। नीतीश कुमार के सात निश्चय को लागू करने में जमीनी स्तर पर बहुत गड़बड़ियां हैं, जिन्हें दुरुस्त किया जाना चाहिए।
कई मतदाता खुल कर किसी के पक्ष में नहीं बोलते और न ही आलोचना करते हैं, लेकिन संकेतों में वे एक ही पार्टी के पक्ष व विपक्ष दोनों में सवाल खड़े कर देते हैं।