बेरोजगारी और विकास के मुद्दे से शुरू हुआ बिहार चुनाव इस बार भी होता जा रहा धर्म और जाति के हवाले

बिहार के चुनावों में अबतक यही होता रहा है कि बात विकास से शुरू होती है और जैसे-जैसे समय नजदीक आता जाता है, वैसे-वैसे मुद्दे भी बदलते जाते हैं और ज्यादातर जाति-धर्म के आधार पर हुई गोलबंदी ही निर्णायक हो जाती है....

Update: 2020-10-16 07:00 GMT

बिहार चुनाव पर राजेश पाण्डेय का विश्लेषण

पटना। बिहार के चुनावों में अबतक यही होता रहा है कि बात विकास से शुरू होती है और जैसे-जैसे समय नजदीक आता जाता है, वैसे-वैसे मुद्दे भी बदलते जाते हैं और अंततः बात उसी घिसी-पिटी जाति-धर्म और समुदाय के आधार पर गोलबंदी की ओर चली जाती है। चुनावों में कभी गांधी-गोडसे तो कभी हिंदुस्तान-पाकिस्तान भी मुद्दा बन जाता है, पर ज्यादातर जाति-धर्म के आधार पर हुई गोलबंदी ही निर्णायक हो जाती है।

देखा जाय तो धीरे-धीरे इस बार भी बात उधर ही जा रही है। कांग्रेस ने जिन्ना की तस्वीर लगाने वाले मशकूर अहमद उस्मानी को अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके बाद बीजेपी ने इसे लेकर तंज कसा तो कांग्रेस ने गोडसे को लेकर सवाल पूछ दिया। इसके बाद एक बार फिर मुद्दा उसी ओर घूमने की संभावना बनने लगी है।

हालांकि इस बार के चुनाव में भी बात विकास और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से शुरू हुई, पर फोकस बदलता जा रहा है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और बीजेपी नेता नित्यानंद राय के कश्मीरी आतंकियों के बिहार में शरण लेने वाले एक बयान को लेकर अभी क्रिया-प्रतिक्रिया चल ही रही थी कि अब कांग्रेस के दरभंगा के जाले विधानसभा के प्रत्याशी को लेकर बात जिन्ना-गोडसे की ओर मुड़ रही है।

कल यानि 15 अक्टूबर को बीजेपी नेता और केंद्रीय राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने भी एक बार फिर जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर बयान दे दिया था। उन्होंने राजद नेता तेजस्वी यादव के बयान को लेकर निशाना साधते गए यह बयान दिया था, जिसमें तेजस्वी यादव ने उनकी सरकार बनने पर कैबिनेट की पहली बैठक में 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने की बात कही थी।

कांग्रेस द्वारा जाले से मशकूर अहमद उस्मानी  को टिकट दिए जाने के बाद बिहार की सियासत में क्रिया-प्रतिक्रिया का नया दौर शुरू हो गया है। उल्लेखनीय है कि उस्मानी पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का छात्रसंघ अध्यक्ष रहते हुए जिन्ना की तस्वीर कमरे के अंदर लगाने का आरोप लगा था। कहा गया था कि जिन्ना का महिमामंडन किया जा रहा है और उसे लेकर काफी हंगामा मचा था। उस्मानी दरभंगा के ही हैं। उन्हें कांग्रेस द्वारा दरभंगा के जाले से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद जिन्ना की तस्वीर वाला मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है।

बीजेपी और जेडीयू इसे लेकर कांग्रेस पर हमलावर हो गई है, वहीं कांग्रेस ने गोडसे का नाम लेकर जबाब दिया है। बीजेपी नेता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि कांग्रेस को कभी देश की एकता और अखंडता से मतलब नहीं रहा है। जिसने देश को विभाजन करने का काम किया उसका समर्थन करने वाले को टिकट दिया गया है। जबकि जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने तंज कसते हुए कहा कि कोई भी पार्टी टिकट देते समय उम्मीदवार के चरित्र को जरूर देखती है पर कांग्रेस हमेशा ऐसे ही विवादित लोगों को टिकट देती है।

हालांकि इसके बाद कांग्रेस ने भी जबाबी हमला किया है। पार्टी के प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि जब कोई मुद्दा नहीं मिलता तो बीजेपी ऐसी ही बात करती है। कांग्रेस नेता हरखू झा ने बीजेपी और जेडीयू के बयानों पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी को पहके अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। जो पार्टी गांधी के हत्यारे गोड़से के महिमामंडन करती है, उसे सदन में भेजती है, वह पार्टी आज सवाल कैसे खड़े कर रही है। उन्होंने कहा कि उस्मानी ने कभी जिन्ना का महिमामंडन नहीं किया है।

वहीं, राष्ट्रीय जनता दल ने इस प्रकरण से पल्ला झाड़ लिया है। पार्टी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि कांग्रेस के जाले उम्मीदवार के बारे में मुझे जानकारी नहीं। कांग्रेस ने सोच-समझकर उम्मीदवार तय किया होगा। हमारे लिए आज मुद्दा जिन्ना नहीं है। हमारे लिए मुद्दा  बेरोजगारी, गरीबी, बिहार में किसानों की समस्या है।

उस्मानी पर आरोप लगा था कि एएमयू छात्रसंघ अध्यक्ष रहते हुए उनके कमरे में जिन्ना की तस्वीर पाई गई। दूसरी बार तब चर्चा का विषय बने थे जब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के हॉल में तस्वीर टांगे होने के कारण बीजेपी सांसद ने वीसी को पत्र लिखा था। तस्वीर हटाने की मांग को लेकर हिन्दू वाहिनी के कार्यकर्ताओ के AMU में घुसने के बाद हंगामा शुरू हुआ था जिसके बाद लाठीचार्ज करना पड़ा था। उस समय के छात्रसंघ के अध्यक्ष उस्मानी ने बाद में कहा था कि हम जिन्ना के विचारधारा का विरोध करते हैं पर जिन्ना देश के ऐतिहासिक तथ्य हैं यह भी सही है।

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