टिकट न मिलने के बाद पूर्व DGP गुप्तेश्वर ने सोशल मीडिया पर लिखी भावनात्मक पोस्ट, जनता बोली न घर के रहे न घाट के

1987 बैच के आईपीएस अफसर रहे गुप्तेश्वर पांडेय ने बिहार की राजनीति में 11 साल पहले यानी 2009 में भी उतरने की कोशिश की थी। साल 2009 में आईजी रहते हुए उन्होंने वीआरएस लिया था और उस साल के लोकसभा का चुनाव भी वो बक्सर से ही लड़ना चाहते थे, लेकिन टिकट नहीं मिला था...

Update: 2020-10-08 04:24 GMT

जनज्वार ब्यूरो, पटना। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति में आए बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय को विधानसभा चुनाव में जेडीयू का टिकट नहीं मिलने से रह गया है। बिहार की बक्सर सीट से टिकट के प्रबल दावेदार समझे जा रहे गुप्तेश्वर पांडेय के चुनाव लड़ने की संभावनाएं उस समय खत्म हो गईं, जब भारतीय जनता पार्टी ने बक्सर सीट से अपने उम्मीदवार के तौर पर परशुराम चतुर्वेदी के नाम की घोषणा कर दी। जिसके बाद बिहार की सियासत में एक बार फिर से सरगर्मी बढ़ गई।

वीआरएस लेने के बाद चर्चा थी की पाण्डेय अपने पैतृक निवास यानी बक्सर से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे, लेकिन यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई। ऐसे में गुप्तेश्वर पांडेय की मुश्किलें लगातार बढ़ रही थीं और नामांकन के अंतिम दिन कुछ घंटे पहले ही बक्सर सीट से बीजेपी के खाते से परशुराम चतुर्वेदी के नाम का ऐलान कर दिया गया।

पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि उनको जेडीयू वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ाएगी, लेकिन वहां से भी गुप्तेश्वर पांडेय को पार्टी ने टिकट नहीं दिया। इसको लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की बातें चल रही हैं। सोशल मीडिया में जबरदस्त फैन फॉलोइंग रखने वाले गुप्तेश्वर पांडेय ने इस घटना के बाद एक पोस्ट लिखा है जिसमें उन्होने अपने शुभचिंतकों से धैर्य धारण करने की अपील की है।


गुप्‍तेश्‍वर पांडेय ने फेसबुक पर पोस्‍ट लिखा 'अपने अनेक शुभचिंतकों के फ़ोन से परेशान हूं। मैं उनकी चिंता और परेशानी भी समझता हूं। मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा, लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा। हताश निराश होने की कोई बात नहीं है। धीरज रखें। मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है। मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूंगा। कृपया धीरज रखें और मुझे फ़ोन न करें। बिहार की जनता को मेरा जीवन समर्पित है। अपनी जन्मभूमि बक्सर की धरती और वहां के सभी जाति मज़हब के सभी बड़े-छोटे भाई-बहनों माताओं और नौजवानों को मेरा पैर छूकर प्रणाम! अपना प्यार और आशीर्वाद बनाए रखें!'

उनकी पोस्ट पर कमेंट करते हुए शशिकांत यादव ने लिखा है, 'न घर के हुए न घाट के। सबकुछ आपके हिसाब से नही न होगा सर।'

विवेक नंद ने कमेंट किया है, 'आप तो बोल रहे थे 15 सीट से कहीं से भी निर्दलीय चुनाव में जीत हासिल कर सकता हूँ तो आजमा लिया जाए। बहुत नीतीश का गुणगान कर रहे थे।'

राजन मिश्रा ने कमेंट किया है, 'हिम्मत है तो निर्दलीय लड़े सर। समाज आपके साथ में है। नही तो राजनीति से सन्यास लीजिये और केवल व केवल समाजसेवा कीजिये।'

अमरदीप कुमार ने लिखा है, 'राजनीतिक पार्टी जॉइन करके sir आप अपना लोकप्रियता खो चुके हैं पहले आप पूरे बिहार के सभी लोगों के लिए सम्मानित थे पर अब कुछ व्यक्तियों के लिए ! उसके बावजूद टिकट नहीं मिलना काफी दुःख की बात है।'

गौरतलब है कि 1987 बैच के आईपीएस अफसर रहे गुप्तेश्वर पांडेय ने बिहार की राजनीति में 11 साल पहले यानी 2009 में भी उतरने की कोशिश की थी। साल 2009 में आईजी रहते हुए उन्होंने वीआरएस लिया था और उस साल के लोकसभा का चुनाव भी वो बक्सर से ही लड़ना चाहते थे, लेकिन टिकट नहीं मिला था। बाद में उन्होंने वीआरएस वापस ले लिया था। जिसके बाद अब दुबारा से वीआरएस लेकर विधानसभा जाने का मन बना रहे थे, जिसपर पानी फिरता नजर आ रहा है।

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