ग्राउंड रिपोर्ट: लालू प्रसाद के समधी और अब नीतीश कुमार के जदयू से प्रत्याशी चंद्रिका राय के परसा में क्यों लग रहे वोट बहिष्कार के नारे

सारण जिला में ही परसा विधानसभा क्षेत्र है, चुनाव को लेकर यह क्षेत्र इन दिनों काफी चर्चा में है और इसे वीआईपी क्षेत्र कहा जा रहा है, नेताओं और मीडिया की नजरों में भले ही इस क्षेत्र को वीआईपी का तमगा मिल गया हो, पर यहां के ग्रामीण वोट बहिष्कार के नारे लगाते भी मिल जा रहे हैं....

Update: 2020-10-13 04:39 GMT

सारण जिला के परसा विधानसभा क्षेत्र में वोट बहिष्कार के नारे लगा रहे हैं नाराज ग्रामीण

जनज्वार ब्यूरो, पटना। जनज्वार की टीम बिहार के गांवों में चुनावी माहौल और जनसमस्याओं को जानने-समझने के लिए गांव-गांव लोगों के बीच जा रही है। इसी क्रम में हम सारण जिला में हैं। यहां कुल 10 विधानसभा क्षेत्र हैं।

सारण जिला में ही परसा विधानसभा क्षेत्र है। चुनाव को लेकर यह क्षेत्र इन दिनों काफी चर्चा में है और इसे वीआईपी क्षेत्र कहा जा रहा है। नेताओं और मीडिया की नजरों में भले ही इस क्षेत्र को वीआईपी का तमगा मिल गया हो, पर इस विधानसभा में ज्यादातर इलाके ऐसे हैं, जिनमें मूलभूत सुविधाएं भी मयस्सर नहीं हैं।

परसा विधानसभा क्षेत्र का दिघरा गांव। सारण तटबंध के किनारे बसा हुआ यह गांव देश के आम गांवों की तरह ही है। यहां लोगों के बीच चुनाव की कुछ खास गहमागहमी तो नहीं है, पर सारण तटबंध, जहां से इस गांव में जाने के लिए एक कच्ची सड़क जाती है, वहां गांव के दर्जनों लोग एक बैनर लहराते हुए लगातार नारेबाजी कर रहे हैं। जनज्वार की टीम को देखने के बाद यह नारेबाजी थोड़ी और तेज होने लगती है।

ग्रामीण नारे लगा रहे हैं 'रोड नहीं तो वोट नहीं।' वैसे तो नारे से ही बात समझ में आ जाती है, पर जब हमने यहां और इस कच्चे रास्ते से होकर गांव के भीतर जाकर इनके हालात को समझा तो यही बात निकलकर सामने आई कि यहां मानव जीवन को जीने के लिए जरूरी मूलभूत सुविधाओं का अभाव तो है ही, बहुप्रचारित सरकारी योजनाओं का भी कोई खास लाभ यहां की एक बड़ी आबादी तक नहीं पहुंच सका है। 

हालांकि वोट नहीं देना किसी समस्या का समाधान तो नहीं हो सकता। नेताओं से नाराजगी वोट की चोट देकर भी दिखाई जा सकती है, पर ग्रामीण यहां अलग-अलग विधायक चुनकर भी देख चुके हैं, हालात नहीं बदले। एक तरह से ये हर तरफ़ से थक-हारकर आजिज आ चुके हैं।


इस चुनाव में सत्त्ताधारी जदयू से पूर्व मंत्री चंद्रिका राय और राजद से छोटेलाल राय मुख्य प्रत्याशी हैं। चंद्रिका राय लालू प्रसाद यादव के समधी और उनके बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव के ससुर हैं। उनकी पुत्री ऐश्वर्या की शादी तेजप्रताप यादव के साथ हुई, पर यह शादी सफल नहीं हुई और मामला कोर्ट-कचहरी में जा चुका है। वैसे बिहार की राजनीति में उनकी बड़ी हैसियत इससे पहले से है। वे पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय के छोटे पुत्र हैं और खुद भी बिहार में कई दफा मंत्री रह चुके हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में वे यहां से राजद के प्रत्याशी थे, पर राजीव प्रताप रूडी से मात खा गए थे। अब वे जदयू में हैं और यहां से उसी के सिंबॉल पर मैदान में उतरे हैं। छोटेलाल राय भी यहां से दो दफा यानि वर्ष 2005 और 2010 में विधायक रह चुके हैं। तब वे जदयू में थे और उस वक्त उन्होंने राजद के टिकट पर लड़ रहे चंद्रिका राय को ही हराया था। यानि इस बार दोनों के पार्टी जरूर बदल गए हैं, पर आमने-सामने वही पुराने चेहरे हैं।


पिछले तीन दशक में यहां के लोग दोनों प्रमुख गठबंधनों को बारी-बारी प्रतिनिधित्व दे चुके हैं, पर हालत नहीं सुधरे हैं, भले ही इनके द्वारा चुनकर विधानसभा में भेजे गए प्रतिनिधियों की राजनीतिक हैसियत काफी बढ़ चुकी हो।

गंडक नदी के किनारे बसा यह गांव हालिया बाढ़ की त्रासदी को झेल चुका है। बाढ़ के बारे में पूछने पर एक बच्चा झट से बोलता है कि घर से निकलने के लिए भी छाती भर पानी पार करना पड़ता था।


इस बार गांव के लोग 'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे के साथ मैदान में उतरे हैं। गांव में कच्ची सड़क है। यह सड़क गांव को सारण तटबंध से जोड़ती है और सारण तटबंध मुख्य सड़क से। यह सड़क आज भी कच्ची है, जिस कारण ग्रामीण काफी परेशानी झेलते रहे हैं। यहां एक सरकारी स्कूल भी है, पर वहां भी जाने के लिए इसी सड़क से होकर गुजरना पड़ता है। हर जगह गुहार लगाकर थक चुके ग्रामीणों ने अब आजिज आकर वोट बहिष्कार का निर्णय ले लिया है।

यह इलाका विधानसभा क्षेत्र के माड़र पंचायत के वार्ड 12 में आता है। दिघरा गाँव के ग्रामीणों ने रोड नही तो वोट नही के नारे लिखे बैनर भी गांव के रास्ते के मुहाने पर टांग दिया है। वैसे यहां के लोगों से बात करने पर पता चलता है कि अधिकांश लोगों का न लाल कार्ड बना है, न पीला कार्ड। न इंदिरा आवास मिला है, न किसी अन्य सरकारी योजना का लाभ।

यहां के लोग सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी से खासे परेशान और नाराज दिख रहे हैं और बाजाप्ता ऑन रिकॉर्ड यह बात कह रहे हैं। गांव के अधिकांश लोग किसी भी काम को कराने के लिए निर्धारित राशि की वसूली किए जाने की शिकायत कर रहे हैं।


गांव के अशोक राय कहते हैं 'गाँव की दो सड़क जर्जर स्तिथि में है। विद्यालय में जाने के लिए सरकारी सड़क नही है।'

रंजन कुमार ने कहा 'सड़क निर्माण के लिए मुखिया, जिला पार्षद से लेकर विधायक- सांसद तक गुहार लगाया गया, लेकिन आज तक किसी जनप्रतिनिधि द्वारा पहल नही गया।'


मोहर राय कहते हैं 'जनप्रतिनिधियों के नकारात्मक रवैया से तंग आकर ग्रामीणों ने विधान सभा चुनाव में सामूहिक रूप से वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।'

अशोक राय ने कहा 'न तो आजतक सड़क बनी, न ही वाजिब लाभुकों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सका। लोग अब परेशानी झेल-झेलकर तंग आ चुके हैं।'


शम्भू राय ने भी शिकायत की 'यहां के प्रतिनिधि जीतने के बाद दुबारा तभी दिखाई देते हैं, जब 5 साल बाद अगले चुनाव के लिए वोट की जरूरत होती है। लिहाजा हमने थक हारकर यह निर्णय लिया है।'

गांव के मिथिलेश कुमार राय, मिंटू कुमार राय, पप्पू कुमार राय, अजय राय, परमात्मा राय, रामसहायक राय, दीपक राय, तूफान कुमार राय आदि की भी यही शिकायतें थीं।

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