डीजीपी पद से इस्तीफा देकर जदयू ज्वाइन करने वाले गुप्तेश्वर पाण्डेय को न जदयू से टिकट मिला, न बीजेपी से

कहा जा रहा था कि वे बक्सर से चुनाव लड़ने वाले हैं और माना जा रहा था कि वे जदयू की ओर से उम्मीदवार होंगे, पर यह सीट जदयू ने बीजेपी को दे दी, इसके बाद यह कहा जा रहा था कि उन्हें बीजेपी की ओर से टिकट मिल सकता है, पर बीजेपी की ओर से घोषित लिस्ट में बक्सर से परशुराम चतुर्वेदी को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है....

Update: 2020-10-07 19:11 GMT

यह तस्वीर उस वक्त की है, जब गुप्तेश्वर पाण्डेय ने डीजीपी पद से इस्तीफा देने के बाद जदयू की सदस्यता ग्रहण की थी

जनज्वार ब्यूरो, पटना। डीजीपी के पद से इस्तीफा देनेवाले गुप्तेश्वर पाण्डेय को न जदयू से टिकट मिल पाया, न बीजेपी से। कहा जा रहा था कि वे बक्सर से चुनाव लड़ने वाले हैं और माना जा रहा था कि वे जदयू की ओर से उम्मीदवार होंगे, पर यह सीट जदयू ने बीजेपी को दे दी।

इसके बाद यह कहा जा रहा था कि उन्हें बीजेपी की ओर से टिकट मिल सकता है, पर बीजेपी की ओर से घोषित लिस्ट में बक्सर से परशुराम चतुर्वेदी को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है।

इससे पहले जेडीयू ने अपने कोटे के सभी 115 सीटों के उम्मीदवारों की जो लिस्ट जारी की थी, उसमें किसी सीट से भी गुप्तेश्वर पांडेय का नाम नहीं था। जब जेडीयू ने उनके नाम की घोषणा नहीं की तो कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी बक्सर से उन्हें चुनाव लड़वा सकती है। लेकिन उनके समर्थकों के इस उम्मीद पर भी तब पानी फिर गया जब बीजेपी ने बक्सर से परशुराम चतुर्वेदी के नाम की घोषणा कर दी। 

इसके बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर कह दिया कि इस बार वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।उन्होंने लिखा 'अपने अनेक शुभचिंतकों के फोन से परेशान हूं, मैं उनकी चिंता और परेशानी भी समझता हूं। मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा। हताश निराश होने की कोई बात नहीं है। धीरज रखें। मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है। मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूंगा। कृपया धीरज रखें और मुझे फोन नहीं करे. बिहार की जनता को मेरा जीवन समर्पित है।'

पोस्ट में उन्होंने यह भी लिखा है कि अपनी जन्मभूमि बक्सर की धरती और वहां के सभी जाति मजहब के सभी बड़े-छोटे भाई-बहनों माताओं और नौजवानों को मेरा पैर छू कर प्रणाम! अपना प्यार और आशीर्वाद बनाए रखें। 

हालांकि, एक कयास यह भी लगाया जा रहा है कि वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट के लिए होनेवाले उपचुनाव में तो कहीं वे उम्मीदवार नहीं होंगे। चूंकि अपने सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की बात लिखी है, लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ने की बात इसमें नहीं कही गई है। ऐसा कयास लगाने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि वाल्मीकि नगर सीट जदयू की ही थी और जदयू के सांसद बैद्यनाथ प्रसाद महतो के निधन के बाद यह सीट रिक्त हुई है। यह उपचुनाव भी बिहार विधानसभा चुनावों के साथ ही होनेवाला है।

बता दें सुशांत सिंह राजपूत खुदकुशी केस की जांच के दौरान गुप्तेश्वर पांडेय चर्चा में आए थे। पिछले महीने गुप्तेश्वर पांडेय ने बिहार डीजीपी के पद से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया था। इस्तीफा देने के बाद वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले थे, फिर जदयू में शामिल हो गए थे। तभी से इस बात की चर्चा हो रही थी कि वे जेडीयू के टिकट पर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं।  

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