कन्हैया कुमार रहे बड़ा फैक्टर, बिहार में अरसे बाद वामदलों को मिली है संजीवनी

इस प्रदर्शन के पीछे सबसे प्रमुख कारण जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को स्टार प्रचारक बनाकर उनकी डेढ़ दर्जन से ज्यादा चुनावी सभाओं को माना जा रहा है, चूंकि उनको सुनने के लिए खासकर युवा वर्ग की भारी भीड़ उमड़ रही थी...

Update: 2020-11-12 03:18 GMT

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जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार चुनावों में इस बार वामदलों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। सीपीआई माले ने तो इस बार दहाई का आंकड़ा भी पार कर लिया है। राज्य की राजनीति में इस बार मुद्दतों बाद लेफ्ट की आमद हुई है। इस चुनाव में राज्य में लेफ्ट पार्टियों को एक तरह से नया जीवनदान मिल गया है।

वामदलों के इस बेहतरीन प्रदर्शन के पीछे उनका महागठबंधन में आना, छात्र राजनीति से उभरे युवा चेहरों को टिकट देना और जन सरोकार से जुड़े आंदोलनों की प्रमुख भूमिका मानी जा रही है।

इस प्रदर्शन के पीछे सबसे प्रमुख कारण जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को स्टार प्रचारक बनाकर उनकी डेढ़ दर्जन से ज्यादा चुनावी सभाओं को माना जा रहा है, चूंकि उनको सुनने के लिए खासकर युवा वर्ग की भारी भीड़ उमड़ रही थी। कन्हैया ने जहां-जहां अपनी सभाएं कीं, अधिकांश जगहों पर लेफ्ट पार्टियों के उम्मीदवार विजयी हुए हैं।

पिछले दो विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन करने के बाद लेफ्ट ने लंबे अरसे बाद इस बार बिहार में 16 सीटों पर जीत दर्ज की है। वह भी तब, जब आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल लेफ्ट पार्टियों ने सिर्फ 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था।

वामदलों में सीपीआई (एमएल) को सबसे ज्यादा 12 सीटें हासिल हुईं हैं। बिहार में इस बार सीपीआई (एमएल) 19, सीपीआई 6 और सीपीएम चार सीटों पर चुनाव लड़ी थीं। नतीजों की बात करें तो सीपीआई (एमएल) ने 12 सीटें, सीपीएम दो और सीपीआई ने भी दो सीटों पर जीत दर्ज की है। इस चुनाव में वाम दलों का स्ट्राइक रेट 55.17 फीसदी रहा है।

बात अगर साल 2015 के पिछले विधानसभा चुनाव की करें तो उस समय सीपीआई, सीपीएम, एसयूसीआई, फॉरवर्ड ब्लॉक, आरएसपी और सीपीएमएल (एल) ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। लेकिन तब तीन सीटें केवल सीपीएमएल (एल) ही जीत पाई थी। बाकी वामदलों का खाता भी नहीं खुल सका था। वहीं, साल 2010 के चुनाव में वामदलों का प्रदर्शन इससे भी खराब रहा था और तब एक सीट केवल सीपीआई ने जीती थी।

बता दें कि बिहार में बेगूसराय और सारण जिला के अलावा लेफ्ट की कई सीटों पर जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार ने चुनाव प्रचार किया था। कन्हैया कुमार साल 2019 लोकसभा चुनाव में सीपीआई के टिकट पर बेगूसराय से चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने हरा दिया था।

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