राजद-लोजपा के सुर हुए एक, बिहार में विधानसभा चुनाव फिलहाल टाल दिए जाएं
लोजपा ने चुनाव आयोग को पत्र लिख राज्य में कोरोना और बाढ़ की स्थिति को देखते हुए फिलहाल चुनाव स्थगित किए जाने का सुझाव दिया है। राजद पहले ही यह सुझाव दे चुका है। हालांकि एनडीए के दूसरे घटक दल जदयू के नेता समय से चुनाव कराए जाने की वकालत करते रहे हैं।
जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव कब हों, इस मुद्दे पर लोजपा के सुर NDA के दूसरे घटक दल जदयू के सुर से अलग हो गए हैं। इस मुद्दे पर लोजपा और राजद का स्टैंड एक हो गया है। चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को पत्र लिख विधानसभा चुनाव को फिलहाल टाल देने की मांग कर दी है।
राजद पहले से ही यही मांग कर रहा है। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजद के तेजस्वी यादव लगातार कहते रहे हैं कि राज्य में कोरोना और बाढ़ की विकराल होती स्थिति को देखते हुए चुनावों को टाल दिया जाना चाहिए। कोरोना की भयावह होती स्थिति के बीच चुनाव हुए तो मतदाताओं और चुनावकर्मियों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। वे यहां तक कह चुके हैं कि हम लाशों के ढेर पर चुनाव होने नहीं देंगे।
अब लोजपा ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिख फिलहाल चुनाव टाल देने की मांग कर दी है। लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य में कोरोना और बाढ़ के मद्देनजर अभी विधानसभा चुनाव न करें जाएं। कोरोना का प्रकोप अक्टूबर-नवंबर तक अधिक होने की आशंका है, जिससे चुनाव होने की स्थिति में लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा।
पत्र में कहा गया है कि बिहार की आबादी लगभग 13 करोड़ है, इनमें लगभग 8 करोड़ मतदाता हैं। इतनी बड़ी आबादी के साथ सामाजिक दूरी का पालन करते हुए चुनाव प्रचार और मतदान कराना लगभग नामुमकिन होगा।
दरअसल, बिहार में विधानसभा चुनावों को लेकर चुनाव आयोग ने सभी राजनैतिक दलों से सुझाव मांगे थे। इसी के आलोक में लोजपा ने अपना सुझाव चुनाव आयोग को सौंपा है। राजद ने भी कुछ इसी तरह का सुझाव सौंपा है और राज्य में कोरोना तथा बाढ़ की स्थिति को देखते हुए चुनाव स्थगित किए जाने का सुझाव दिया है।
हालांकि राज्य में सत्त्ताधारी दल जदयू अबतक समय से चुनाव कराए जाने की पक्षधर दिख रही है। जदयू नेता समय-समय पर ऐसे बयान भी देते रहे हैं। खासकर राजद नेता तेजस्वी यादव के चुनाव स्थगित किए जाने की मांग के प्रतिक्रिया स्वरूप जदयू के छोटे-बड़े नेता समय पर ही चुनाव कराए जाने की वकालत करते रहे हैं। उधर बीजेपी इस मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं बोल रही, बल्कि वह इसका फैसला चुनाव आयोग पर छोड़ती रही है।