पढ़ाई, कमाई और दवाई के नारे के साथ बिहारी जनता को जागरूक कर रहे 'युवा हल्ला बोल' के नौजवान

ज़ीरो बजट प्रचार करने वाले निर्दलय उम्मीदवार और पूर्व डीएसपी अखिलेश कुमार अपने चुनावी अभियान में इन मुद्दों को उठा रहे हैं, वो कहते हैं 'राष्ट्र और राष्ट्रवाद जवान-किसान से बनता है, पढ़ाई, कमाई और दवाई के व्यवस्था को सुधारना और उसपर आंदोलन करना ही सच्चा राष्ट्रवाद है.......

Update: 2020-10-22 12:19 GMT

पटना। आज बिहार चुनाव का सबसे ज़रूरी नारा होना चाहिए, 'पढ़ाई, कमाई और दवाई, हर बिहारी के हक़ की लड़ाई' ऐसा कहना है 'युवा हल्ला बोल' के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम का जो 'बोल बिहारी' मुहिम के तहत आज कोसी-सीमांचल क्षेत्र में हैं। 'युवा हल्ला बोल' केंद्रीय टीम की यात्रा में पढ़ाई, कमाई और दवाई सबसे अहम मुद्दे बनकर उभरे हैं। उम्मीद है कि शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य की बेहतर व्यवस्था का सपना लेकर वोट देगी बिहार की जनता।

'बोल बिहारी' यात्रा नवगछिया, पूर्णिया से होते हुए फ़ारबिसगंज पहुँची जहाँ प्रख्यात साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु के गृह क्षेत्र में जनसंवाद किया।

स्थानीय नागरिकों ने कहा कि पूरे इलाके में दमकल की एक गाड़ी तक नहीं है, साक्षरता का स्तर बहुत नीचे है, अनुमंडल अस्पताल जाने वाला रास्ता जो सीताधार नहर से होते हुए गुज़रता है वह भी हर साल बाढ़ से कट जाता है। जूट के बड़े उद्योग से पहचाने जाने वाला फ़ारबिसगंज का बिस्कोमान आज ठप पड़ा है, पूरा धंधा मंदा है और सरकार निश्चिन्त हैं। 

किसान यहां बाढ़ सुखाड़ दोनों झेलते हैं लेकिन सरकारी तंत्र के पास उनकी सहायता करने के लिए कुछ नहीं है। मकई किसानों के साथ हो रहा MSP का धोखा और फसल बीमा योजना का भ्रम यहाँ टूट जाता है। 

ज़ीरो बजट प्रचार करने वाले निर्दलय उम्मीदवार और पूर्व डीएसपी अखिलेश कुमार अपने चुनावी अभियान में इन मुद्दों को उठा रहे हैं। वो कहते हैं 'राष्ट्र और राष्ट्रवाद जवान-किसान से बनता है। पढ़ाई, कमाई और दवाई के व्यवस्था को सुधारना और उसपर आंदोलन करना ही सच्चा राष्ट्रवाद है।'

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बिहार चुनाव के लिए किए गए चुनावी घोषणाओं पर अनुपम कहते हैं, 'जिस भाजपा की सरकार ने देश को बेरोज़गारी के गर्त में धकेल दिया, वो जब रोज़गार देने की बात करे तो हास्यास्पद लगता है। ये वही लोग हैं जो कोरोना काल के दौरान 'आपदा में अवसर' ढूंढते हुए सरकारी नौकरियों को खत्म करने का काम किया। जो पिछले कई वर्षो से बिहार में रोज़गार नहीं दे पाए वो अब 19 लाख देने की हवाई बात कर रहे हैं।'

राष्ट्रीय परिषद के सदस्य ऋषव रंजन ने बड़ी पार्टियों और फर्जी नेताओं पर जनता का नियंत्रण बनाने के लिए एक अपील किया। वो सुझाते हैं कि उनके ब्रांड और छवि पर वाजिब सवाल कर चोट करने की जरूरत है। इससे नई तरह की राजनीति को सृजन किया जा सकता है।

वो कहते हैं, 'जो युवा मोदी जी के मन की बात का वीडियो dislike कर अपने रेलवे परीक्षा की घोषणा करवा सकता है, वो युवा भविष्य बनाने की क्षमता रखता है।'

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