गुजरात: गोमूत्र से बने 'हैंड सैनिटाइजर' की जल्द शुरू होगी बिक्री, गोबर से बनाए जा रहे फेस मास्क

जामनगर स्थित महिला सहकारी समिति कामधेनु दिव्य औषधि महिला मंडली 'गो-सेफ' ब्रांड नाम के साथ हैंड सैनिटाइजर लॉन्च करेगी, यह सहकारी समिति लॉकडाउन के दौरान पहले ही गोमूत्र पर आधारित दो प्रोडक्टों को लॉन्च कर चुकी है, एक 'गो-प्रोटेक्ट' नाम का सरफेस सैनिटाइजर और दूसरा 'गो क्लीन' नाम का लिक्विड सैनिटाइजर....

Update: 2020-09-09 10:38 GMT

अहमदाबाद। कोरोनावायरस से बचने के लिए अगर आप एल्कोहल से बने सैनिटाइजर की जगह विकल्प के तौर पर नैचुरल हैंड सैनिटाइजर की तलाश में हैं तो गोमूत्र से बना एक हैंड सैनिटाइजर अगले सप्ताह बाजार में आने को तैयार है। दरअसल गुजरात स्थित एक सहकारी संस्था ने गोमूत्र से हैंड सैनिटाइजर का निर्माण किया है।

इससे पहले राजस्थान की एक फर्म ने गाय के गोबर से बने डिस्पोजेबल फेस मास्क का निर्माण और बिक्री शुरू की थी।

यह प्रोडक्ट मंगलवार को राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष वल्लभ कथीरिया द्वारा 'विजन, मिशन ऑफ राष्ट्रीय कामधेनु आयोग' के नेशनल वेबिनार में प्रदर्शित किया गया।

जामनगर स्थित महिला सहकारी समिति कामधेनु दिव्य औषधि महिला मंडली 'गो-सेफ' ब्रांड नाम के साथ हैंड सैनिटाइजर लॉन्च करेगी। यह सहकारी समिति लॉकडाउन के दौरान पहले ही गोमूत्र पर आधारित दो प्रोडक्टों को लॉन्च कर चुकी है, एक 'गो-प्रोटेक्ट' नाम का सरफेस सैनिटाइजर और दूसरा 'गो क्लीन' नाम का लिक्विड सैनिटाइजर।

'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक, महिला सहकारी समिति की मार्केटिंग ब्रांच की डायरेक्टर मनीषा शाह कहती हैं, हम एफडीसीए से 'गो-सेफ' के लिए लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं और एक सप्ताह के भीतर लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आशान्वित हैं। उन्होंने कहा कि उत्पाद को क्लिनिकल रिसर्च यूनिट ऑफ पंचगव्य आयुर्वेद (CRUPA) के द्वारा विकसित किया गया है।

शाह ने कहा कि सहकारी समिति गोमूत्र आधारित हैंड सैनिटाइजर के सभी अवयवों (Ingredients) को अलग-अलग नहीं कर सकती है लेकिन इसमें नीम और तुलसी जैसी प्राकृतिक जड़ी बूटियों का भी उपयोग किया गया है। मनीष शाह आगे कहती हैं, समाज का एक वर्ग गोमूत्र के औषधीय महत्व को मानता है। हम एक सकारात्मक प्रतिक्रिया के प्रति आशान्वित हैं।

इससे पहले राजस्थान की एक फर्म 'गोकृति' ने गाय के गोबर से कागज बनाने में विशेषज्ञता हासिल की है और लॉकडाउन के दौरान लोगों को गोबर से बने पचास हजार से ज्यादा मास्क वितरित किए हैं। भीम राज शर्मा कहते हैं कि उन्होंने गाय के गोबर से अबतक अस्सी हजार फेस मास्क बनाए हैं, जिनमें पचास हजार से अधिक वितरित किए हैं।

गुजरात कृषि विस्वविद्यालय के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. हितेश जानी गोमूत्र आधारित हैंड सैनिटाइजर बनाने के लिए अनुसंधान की गतिविधियों के प्रमुख रहे हैं। वह कहते हैं, गाय, गमडू आने गोरी, भारत नी छे जीवादोरी (गाय, गांव और महिलाएं देश की लाइफलाइन हैं)। इस उत्पाद के लिए बहुत मेहनत की गई है।

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष वल्लभ कथीरिया ने कहा, गोमूत्र और गोबर से बने हैंड सैनिटाइजर और मास्क कोविड से लड़ने के लिए उत्कृष्ट प्रयास है। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग देशभर में इन उत्पादों को बढ़ावा देगा।

बता दें कि एक तरफ देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लोग इस महामारी में डरे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर इसी डर पर लाभ उठाकर गोमूत्र और गोबर को इसका इलाज बताया जा रहा है। देश में कोरोना की एंट्री के बाद से ही कोरोना के नाम गोमूत्र और गोबर से कोरोना को रोकने की अफवाहें सामने आती रही हैं। अप्रैल 2020 में चार सौ से ज्यादा वैज्ञानिकों ने इसे असत्य करार दिया था और इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा था। 

पतंजलि आयुर्वेद भी 'कोरोनिल' भी खूब सुर्खियों में रही थीं। इस कथित कोरोना की दवाई को लॉन्च करते हुए स्वामी रामदेव ने दावा किया था कि इससे सौ फीसदी कोरोना के मरीजों को ठीक किया जा सकता है। हालांकि बाद में जब खुद आयुष मंत्रालय ने इसकी आलोचना की और चौतरफा लोगों के जीवन से खेलने को लेकर आलोचना होने लगी तो स्वामी रामदेव और उनकी पतंजलि बैकफुट पर आ गयी थी। 

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