गुजरात के भरूच के कोविड अस्पताल में 18 मरीजों की मौत, सैनेटाइजर की वजह से आग हुई बेकाबू

भरूच में एक कोरोना अस्पताल में शुक्रवार 30 अप्रैल की देर रात भीषण आग लगने से लगभग 18 कोरोना मरीजों की मौत की खबर सामने आ रही है...

Update: 2021-05-01 04:12 GMT

जनज्वार। जहां एक तरफ कोरोना दिन-ब-दिन विकराल रूप लेता जा रहा है, आंकड़ा 4 लाख को पार कर चुका है, वहीं त्रासदियों का दौर भी जारी है। आक्सीजन और इलाज के अभाव में तो मरीज दम तोड़ ही रहे हैं, अस्पतालों में आग लगने की भी कई घटनायें इस बीच हो चुकी हैं जिसमें दर्जनों मरीज जान गवां चुके हैं।

आग लगने की नई घटना अब गुजरात से सामने आयी है। यहां भरूच में एक कोरोना अस्पताल में शुक्रवार 30 अप्रैल की देर रात भीषण आग लगने से लगभग 18 कोरोना मरीजों की मौत की खबर सामने आ रही है। साथ ही दर्जनों गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं। बताया जा रहा है कि सेनेटाइजर की वजह से आग लगी थी और यह इतनी विकराल हो गयी थी कि इस पर काबू पाना मुश्किल हो गया।

जानकारी के मुताबिक यह हादसा भरूच के पटेल वेलफेयर अस्पताल में 30 अप्रैल की रात लगभग 12.30 से 01 बजे के बीच हुआ। घटना की जानकारी मिलते ही फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर आग बुझाने पहुंची और 1 घंटे में आग पर काबू पाया जा सका।

पटेल वेलफेयर अस्पताल की पहली मंजिल को कोरोना मरीजों के लिए कोविड केयर सेंटर बनाया गया था। भरूच के एसपी राजेंद्र सिंह चुड़ास्मा ने मीडिया को घटना की जानकारी देते हुए शुरुआत में बताया था कि इस अस्पताल के कोविड वार्ड में इलाजरत 12 कोरोना मरीजों की मौत हो गई। उन्होंने आशंका जताई कि मरने वालों की संख्या में इजाफा हो सकता है। करीब 50 लोगों का रेस्क्यू कर उन्हें दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

गौरतलब है कि चार मंजिला पटेल वेलफेयर अस्पताल भरूच-जंबूसर हाईवे पर स्थित है और इसे एक ट्रस्ट संचालित करता है। फायर बिग्रेड के अधिकारियों द्वारा दी गयी सूचना के मुताबिक अस्पताल की पहली मंजिल पर कोविड वार्ड बनाया गया था और आग पर एक घंटे के भीतर काबू पाया जा सका। आग बुझाने में फायर फाइटर्स की स्थानीय लोगों ने भी काफी मदद की। इसी कारण 50 मरीजों को सुरक्षित बचाकर दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में इतनी भीषण आग लगी थी कि कुछ देर में ही सबकुछ जलकर खाक हो गया। 

कहा जा रहा है कि कोविड अस्पतालों में आग लगने की ज्यादातर घटनाओं के पीछे सेनेटाइजर कारण है, क्योंकि इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जा रहा है। एक्सपर्ट का कहना है कि सेनेटाइनजर के कारण गैस के बादल बनकर छत पर चिकप जाते हैं। आईसीयू जैसी जगहों पर ये बहुत अधिक खतरनाक होते हैं, क्योंकि वहां हवा आने-जाने का रास्ता नहीं होता है। छोटी सी चिंगारी मिलने पर ये आग के गुब्बारे में बदल जाते हैं और काबू करना मुश्किल होता है। यही कारण है कि लोगों को घरों में भी सेनेटाइजर के इस्तेमाल के समय अतिरिक्त सावधानी बरतने को कहा जा रहा है।

Tags:    

Similar News