चीन की कंस्ट्रक्शन कंपनी पर अमेरिका ने लगाया प्रतिबंध, दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच अब और तगड़ी होगी दुश्मनी

सीसीसीसी तब सुर्खियों में आया था, जब इसकी सहायक कंपनी चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी (सीएचईसी) ने श्रीलंका में हबनटोटा में बंदरगाह का निर्माण शुरू किया था...

Update: 2020-08-30 12:24 GMT

अतुल अनेजा की रिपोर्ट

जनज्वार, 30 अगस्त। चाइना कम्यूनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी (सीसीसीसी) पर प्रतिबंध लगाने के साथ, अमेरिका ने बीजिंग के नेतृत्व वाली बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर भी निशाना साधा है। इससे दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच दुश्मनी की एक नई तरह की शुरुआत हो गई है।

सीसीसीसी बीआरआई के निर्माण कार्यो कर अगुवाई करता है, जोकि एक अंतरमहाद्वीपीय संपर्क उपक्रम है। इसका उद्देशय चीन के महान शक्ति के रूप मे उदय में भूमिका निभाना है।

विशाल उद्यम और इसकी सहायक कंपनियां बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए जानी जाती हैं, जिनमें विश्व के अत्यधिक रणनीतिक जगहों में बंदरगाह विकास भी शामिल है। यह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के आदेश पर काम करता है। इसने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के इशारे पर कई देशों को कर्ज के जाल में फंसाया है और पर्यावण का नुकसान पहुंचाया है।

सीसीसीसी तब सुर्खियों में आया था, जब इसकी सहायक कंपनी चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी (सीएचईसी) ने श्रीलंका में हबनटोटा में बंदरगाह का निर्माण शुरू किया था। हिद महासागर में इस मंहगी परियोजना ने श्रीलंका को भारी कर्ज की ओर धकेल दिया। कर्ज नहीं चुका पाने के स्थिति में श्रीलंका ने बंदरगाह को 99 वर्षो के लिए चीन को दे दिया, जो कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का बड़ा मार्ग है। इसके साथ ही श्रीलंका ने चीन को बंदरगाह से सटे 15,000 एकड़ की भूमि भी दे दी।

पड़ोसी बांग्लादेश में भी, कंपनी का रिकार्ड बेदाग नहीं है। एक जांच रिपोर्ट के अनुसार, न्यूयार्क टाइम्स ने सरकारी अधिकारियों के हवाले से बताया कि सीएचईसी पर सड़क मंत्रालय के एक अधिकारी पर घूस देने का आरोप है।

वहीं विश्व बैंक ने 2009 में सीसीसीसी को फिलीपिंस में 8 वर्षो तक इसकी परियोजना पर बोली लगाने से प्रतिबंधित किया था।

2013 के बाद पांच वर्षो के कार्यकाल में, सीसीसीसी ने बेल्ट एंड रोड देशों से नए कांट्रेक्ट के तहत 63 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किया था।

अमेरिकी विदेशी मंत्री माइक पॉम्पिओ ने सीसीसीसी को एक बयान में विस्तारवादी एजेंडे को लागू करने के लिए बीजिंग का एक हथियार बताया है। साथ ही उन्होंने साउथ चाइना सी के आउटपोस्ट पर विनाशकारी निकर्षण के लिए निशाना साधा।

चीन के कुल 24 सरकारी उपक्रमों को अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने प्रतिबंधित उपक्रम की सूची में डाल दिया है, जिसमें से सीसीसीसी भी शामिल है।

बीआरआई पर निशाना साधते हुए पॉम्पिओ ने कहा, "शायद यह एक समान सोच वाले देशों के साथ ग्रुप बनाने और लोकतंत्र के नए गठबंधन का समय है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से हमारी स्वतंत्रता सुनिश्चित करना आज के समय का अभियान है। अमेरिका इस अभियान को आगे बढ़ाने में एकदम सही स्थान पर है, क्योंकि हमारे सिद्धांत हमें यह मौका देते हैं।"

सीसीसीसी के जरिए बीआरआई पर निशाना साधने से पहले, वाशिंगटन ने चीन को ध्यान में रखते हुए इंडो-पेसेफिक में महत्वपूर्ण जगहों पर सैन्य तैनाती को बढ़ाया है।

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