Bank NPA : बैंकों पर लगातार बढ़ रहा एनपीए का बोझ, MSME सेगमेंट में 17 फीसदी तक पहुंच सकता है बैड लोन का दर

Bank NPA : बैंकों के क्रेडिट (Bank Credits) का लगभग 2 फीसदी वित्‍त वर्ष 2021-22 के आखिर में रिस्ट्रक्चरिंग (Restructuring) के तहत होने के कारण ग्रॉस एनपीए और रिस्ट्रक्चरिंग वाली लोन बुक 10-11 फीसदी तक पहुंच सकती है।

Update: 2021-10-20 05:06 GMT

(क्रेडिट एजेंसी CIBIL ने चालू वित्तीय वर्ष में बैंक एनपीए 8 से 9 फीसदी तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया है)

Bank NPA : बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियां यानि एनपीए, आसान शब्दों में कहें तो फंसा कर्ज (NPA) चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 8 से 9 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL Ratings) का कहना है कि भारत के बैकिंग सेक्टर (Indian Banking Sector) के बैड लोन मौजूदा वित्‍त वर्ष के दौरान 8 से 9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेंगे। क्रिसिल के मुताबिक, बैंकों के ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (Gross NPA) में 8-9 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है।

वहीं, बैंकों के क्रेडिट (Bank Credits) का लगभग 2 फीसदी वित्‍त वर्ष 2021-22 के आखिर में रिस्ट्रक्चरिंग (Restructuring) के तहत होने के कारण ग्रॉस एनपीए और रिस्ट्रक्चरिंग वाली लोन बुक 10-11 फीसदी तक पहुंच सकती है।

क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर और डिप्‍टी चीफ रेटिंग्स ऑफिसर कृष्णन सीतारमण ने बताया कि बैंक क्रेडिट में रिटेल (Retail Credit Segment) और एमएसएमई सेगमेंट्स (MSME Segment) की हिस्सेदारी लगभग 40 फीसदी की है। उन्‍होंने कहा कि रिटेल सेगमेंट में बैड लोन 4-5 फीसदी और एमएसएमई सेगमेंट्स में 17-18 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है।

साख निर्धारित करने वाली एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) ने हालांकि, कहा कि अगर ऐसा होता है, तो यह वित्त वर्ष 2017-18 के अंत के 11.2 प्रतिशत के आंकड़े से कम होगा। 

एजेंसी के अनुसार कर्ज पुनर्गठन और आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) जैसे कोविड-19 राहत उपायों से बैंकों के सकल एनपीए को सीमित रखने में मदद मिलेगी। उसने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक करीब दो प्रतिशत बैंक ऋण के पुनर्गठन (Bank Loan Restructure) की संभावना है। ऐसे में सकल एनपीए और पुनर्गठन के अंतर्गत आने वाला कर्ज समेत दबाव वाली संपत्ति 10-11 प्रतिशत पहुंच जाने का अनुमान है।

रेटिंग एजेंसी के वरिष्ठ निदेशक और उप मुख्य रेटिंग अधिकारी कृष्णन सीतारमण ने रिपोर्ट में कहा, ''खुदरा और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) खंडों का कुल कर्ज में योगदान करीब 40 प्रतिशत है। इस बार इन क्षेत्रों में एनपीए और दबाव वाली संपत्तियां बढ़ने की आशंका है।''

उन्होंने कहा कि इन दोनों खंडों में दबाव वाली संपत्तियां चालू वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर क्रमश: 4-5 प्रतिशत और 17-18 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है।

क्रिसिल ने कहा कि राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्गठन कंपनी लि. (एनएआरसीएल) के चालू वित्त वर्ष के अंत तक परिचालन में आने के साथ पहले दौर में 90,000 करोड़ रुपए के एनपीए की बिक्री की उम्मीद है। इससे सकल एनपीए (Cross NPA) की सूचना में कमी देखने को मिल सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, कॉरपोरेट क्षेत्र अधिक मजबूत बना हुआ है। 

CRISIL के इस अनुमान के अनुसार, कोरोना संकट के कारण मुश्किलों का सामना कर रहे कर्जदारों को राहत देने के लिए पिछले साल केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( RBI) ने छह महीने के लोन मॉरेटोरियम की घोषणा की थी। इसके बावजूद रिटेल सेगमेंट में बैड लोंस पिछले साल के मुकाबले बढ़ने की आशंका है।

हालांकि, क्रेडिट में सबसे अधिक हिस्सेदारी रखने वाले होम लोन सेगमेंट (Home Loan Segment) पर सबसे कम असर पड़ेगा। महामारी की बड़ी मार अनसिक्योर्ड लोंस (Unsecured Loans) पर पड़ सकती है। एमएसएमई सेगमेंट (MSME Segment) को सरकार की कुछ स्कीमों से फायदा मिलने के बावजूद एसेट क्वालिटी खराब होने से जूझना पड़ेगा। इसके लिए रिस्ट्रक्चरिंग की जरूरत ज्‍यादा होगी। 

पांच साल पहले संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा के दौरान कंपनियों में ज्यादातर दबाव वाली संपत्तियों की पहचान पहले ही हो चुकी है। इसमें कहा गया है, "इससे कंपनियों के बही-खाते मजबूत हुए और वे खुदरा तथा एमएसएमई के मुकाबले बेहतर तरीके से महामारी की चुनातियों से निपटने में सक्षम रहे।''

यही कारण है कि इस खंड में केवल लगभग एक प्रतिशत कर्ज का ही पुनर्गठन हुआ है। इससे कॉरपोरेट क्षेत्र में दबाव वाली संपत्ति चालू वित्त वर्ष में 9 से 10 प्रतिशत के दायरे में रहने की संभावना है। 

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