Aadim Janjati Samiti News: लंबे संघर्ष के बाद 16 परहिया आदिम जनजाति समुदाय के लोगों को वन भूमि का मिला पट्टा

Aadim Janjati Samiti News: लंबे संघर्ष के बाद लातेहार जिला के मनिका थाना के उच्चवाल (लंका) के 16 परहिया आदिम जनजाति समुदाय के लोगों को वन अधिकार अधिनियम 2008 के नियम 8 (ज) के अंतर्गत व्यक्तिगत वन भूमि का पट्टा दिया गया।

Update: 2022-01-28 17:21 GMT

झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट

Aadim Janjati Samiti News: लंबे संघर्ष के बाद लातेहार जिला के मनिका थाना के उच्चवाल (लंका) के 16 परहिया आदिम जनजाति समुदाय के लोगों को वन अधिकार अधिनियम 2008 के नियम 8 (ज) के अंतर्गत व्यक्तिगत वन भूमि का पट्टा दिया गया। 28 जनवरी 2022 लातेहार जिला प्रशासन द्वारा इन परहिया आदिम जनजातियों को वितिरित किया गया। ग्राम प्रधान महावीर परहिया की अगुआई में करीब डेढ़ दशक तक पट्टा हासिल करने की लड़ाई लड़ी जा रही थी। सन 2005 से पूर्व बसे परहिया आदिम जनजाति परिवारों को इस अवधि में कई तरीकों से प्रताड़ित किया गया। कभी उनपर जंगल उजाड़े जाने के आरोप लगाये गये तो कभी उन्हें वन कर्मियों द्वारा उनपर केस—मुकदमा करने की धमकियाँ दी गईं। लेकिन अत्यन्त ही कम पढ़े लिखे ये परहिया आदिम जनजाति समुदाय के लोगों को अपने संविधान, अपने वन अधिकार कानून पर पूरा विश्वास था। वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के तमाम तिकड़म करने के बाद भी वे चट्टान की तरह अपने संघर्ष पर डटे रहे थे। इस लंबे संघर्ष के बाद मिली सफलता पर सभी पट्टाधारी परिवार आज गौरान्वित हैं, मगर थोड़े मायूस भी हैं। वजह है उनके दावे का मात्र 4 प्रतिशत रकबा का ही पट्टा उन्हें हासिल हो सका है।


ग्राम प्रधान महावीर परहिया कहते हैं कि वास्तविक दावा किये गए रकबा में विभागीय अधिकारियों ने व्यापक कटौती की है। जो अत्यंत खेदजनक ही नहीं शर्मनाक भी है। वे बताते हैं कि जहां सभी 16 दावेदारों ने कुल 56.33 एकड़ का दावा किया था, वहीं सभी लोगों को मिलाकर मात्र 7.03 एकड़ अर्थात सिर्फ 4 प्रतिशत रकबा का ही पट्टा वितरित किया गया है। हमारे साथ जिला प्रशासन ने एक बड़ी नइंसाफी की है। हमारे दावों को वगैर किसी क़ानूनी प्रावधान के कटौती की गई है।

महावीर परहिया आगे कहते हैं कि इस रकबा कटौती जैसे अन्याय के खिलाफ हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे। हम किसी भी कीमत पर जोत कोड़ वाली जमीन को नहीं छोड़ेंगे।

पट्टा प्राप्त करने वालों में बता दें कि महावीर परहिया सहित किरानी परहिया, जमुना उराँव, बलदेव परहिया, महेंद्र परहिया, दुलारी परहींन, हलकान परहिया, महेश उराँव, कलावती मसोमात, मंगरी कुअंर, बनवारी परहिया, जुगेश्वर परहिया, चलितर परहिया, रघु कुंअर, फजीहत परहिया, फूलमती परहिन को भूमि का पट्टा दिया गया।

महावीर परहिया बताते हैं कि पट्टा हासिल करने की इस लड़ाई में औरंगा बाँध विरोधी संघर्ष समिति के जितेन्द्र सिंह, ग्राम स्वराज मजदूर संघ के कार्यकर्त्ता, इज्जत से जीने का अधिकार अभियान के धोती फादर की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हम उनका आभार व्यक्त करते हैं।

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