Fatehpur ground report : 'आजादी के 75 साल पर एक पुल बनवा दो मोदी जी' हाथ में झंडा और हथेली पर जान लिए छात्रों की अपील
Fatehpur ground report : अधिक बारिश होने पर नदी उफान पर होती है जिसके चलते समय से स्कूल पहुंचना कठिन साबित हो रहा है और पढाई भी बाधित होती है। बारिश में पानी बढ़ने से नदी पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है...
फतेहपुर से लईक अहमद की ग्राउंड रिपोर्ट
Fatehpur ground report : देश में आजादी की 75वीं वर्षगांठ (Azadi Ka Amrit Mahotsav) हर्षोल्लास से मनायी जा रही है और इसके लिए हर घर तिरंगा अभियान भी सरकारी द्वारा चलाया गया। आजादी के अमृत महोत्सव के कई बड़े-बड़े कार्यक्रम देशभर में आयोजित किये गये, जिसमें नेताओं ने भाषणों के साथ तमाम दावे और वादे किये। आजादी क्या असल मायनों में आयी है? इसकी पड़ताल करने के लिए जब जनज्वार टीम यूपी के फतेहपुर जिले (Fatehpur) के कृपालपुर गांव (Kripalpur Village) पहुंची तो आजादी के अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) को लेकर यहां भी गजब का उत्साह दिखा, स्कूली छात्र-छात्रायें हाथों में तिरंगा लिये स्कूल पहुंचने के लिए बेताब थे, मगर असल मुश्किल यह थी कि बच्चों को गांव से निकलते ही रिंद नदी पार करनी पड़ती है।
देशभक्ति के रंग में सराबोर छात्र-छात्रायें किसी भी हाल में स्कूल जाकर आजादी का उत्सव मनाना चाहते हैं, और जाते भी हैं जान हथेली पर लेकर। छात्रों से जब हमने पूछा कि इन मुश्किलों के बीच भी आजादी का उत्सव मनाने का जोश है? तो छात्र कहते हैं हम तो रोज ही स्कूल ऐसे ही जाते हैं, हमारी प्रधानमंत्री मोदी से अपील है कि आजादी के 75 साल पर मनाये जा रहे अमृत महोत्सव पर हमें कुछ नहीं चाहिए, बस एक पुल बनवा दीजिये, जिससे हम आराम से स्कूल पहुंच सकें।
गौरतलब है कि फतेहपुर जनपद के देवमई ब्लॉक क्षेत्र के कृपालपुर गांव के लोगों को इस पार आने के लिए बारिश के दिनों या नदी में अधिक पानी होने पर नाव का सहारा लेना पड़ता है। स्कूली बच्चों को तो रोजाना नदी पार करनी पड़ती। बच्चे कहते भी हैं नाव से नदी पार करने में डर नहीं लगता है। रोजाना स्कूल जाने से उनकी आदत बन चुकी है। हमारी मोदी जी से आजादी के अमृत महोत्सव पर मांग है कि नदी में पुल बने और सरकार की तरफ से दी जाने वाली अन्य सुविधाओं का लाभ हमें भी मिले।
ग्रामीण कहते हैं, एक लंबे अरसे के बाद भी उम्मीद की किरण नहीं दिखाई दे रही है। गांव में परिषदीय विद्यालय है, लेकिन आगे की शिक्षा हासिल करने के लिए बच्चों को आसपास के कस्बों में जाना पड़ता है। कृपालपुर गांव कानपुर के पुखराया से फतेहपुर के बिंदकी स्टेट हाइवे से करीब पांच किमी दूर स्थि है। गांव जाने के लिए कोई साधन भी नहीं है। लोग पैदल या फिर निजी साधन से गंतव्य तक जाने को मजबूर हैं।
कृपालपुर गांव की रहने वाली छात्रा मानसी, श्वेता, अनीता, अंसुता, सपना, अमित, दीपक, अरमेंद्र समेत तमाम अन्य बच्चे बताते हैं, अधिक बारिश होने पर नदी उफान पर होती है जिसके चलते समय से स्कूल पहुंचना कठिन साबित हो रहा है और पढाई भी बाधित होती है। बारिश में पानी बढ़ने से नदी पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। अगर यहां पुल बना होता तो हमें इन मुश्किलों से दो चार नहीं होना पड़ता और आसानी से हम पढ़ाई कर पाते।
नाविक मलखान की जुबानी
नाविक मलखान बताते हैं, स्कूली बच्चों को नाव से नदी पार कराने के एवज में सालाना 200 से 250 रूपये प्रतिछात्र मिलता है। जब तक नदी में अधिक पानी होता है वह नाव से पार कराता है। दो सौ से अधिक बच्चे रोजाना नदी पार करके स्कूल जाते हैं।
बच्चों को नदी पार करवाने के लिए नाविक मलखान नदी के उस पार से इस पार तक गांव की ओर पेड़ में रस्सी बांधते हैं और दूसरी छोर में बल्ली गाड़कर उसपर रस्सी बांधते हैं। नाव को पतवार की जगह रस्सी से खींच कर एक छोर से दूसरे छोर के किनारे लगाते हैं।
चुनाव में वोट डालने के लिए पार करनी पड़ती है नदी
चुनावों में वोटिंग के दौरान कृपालपुर गांव को परिषदीय स्कूल बनाया जाता है। मजरे के गांव बैरमपुर, जवाहिरपुर, बिंदा नदी के इस पार है। इन गांवों के लोगों को वोट डालने के लिए नदी पार करने कृपालपुर जाना पड़ता है। कृपालपुर के मजरे के गांव में लंबे समय से पोलिंग बूथ बनायें जाने की मांग होती रही, लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के चलते पोलिंग बूथ तक नहीं बनाया जा सका, जो प्रशासन की संवेदनहीनता की नजीर है।
पुल न होने का खामियाजा हमेशा से जान गंवाकर चुकाते हैं ग्रांमीण
नदी पार करना हमेशा से ग्रामीणों के लिए बहुत जान जोखिम में डालने का काम रहा है और इस कारण तमाम हादसे भी होते रहते हैं। 11 अगस्त दोपहर को यमुना नदी में नाव डूबने से बडा हादसा हुआ था। बांदा के मर्का क्षेत्र से नाव फतेहपुर आ रही थी।
नाव पलटने के बाद तैरकर सुरक्षित निकले मुड़वारा गांव के ब्रजकिशोर बताते हैं, रक्षाबंधन पर बहन से राखी बंधवाने के लिए उसे फतेहपुर जिले के असोथर गांव जाना था। त्योहार होने से इस पार से उस पार जाने वालों की घाट में बहुत भीड़ थी। नाविक भी कमाई के चक्कर में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बैठाने में लगा था। थोड़ी देर में नाव खचाखच भर गई। कम से कम 50 लोग सवार होंगे। मोटर साइकिल और साइकिलें अलग लाद ली थीं। बाढ़ से यमुना नदी उफान पर थी। हवाओं से लहरें बहुत तेज थीं। जलधारा के बीच पहुंचते ही नाव बहने लगी और पलक झपकते ही पलट गई। सभी सवार तेज धारा में गिरकर बहने लगे। कई नाव सवार लोगों के ऊपर गिरे तो कुछ बचने की कोशिश में एक.दूसरे को पकड़ लिया और गहरे पानी में समाते चले गए। फतेहपुर के करन यादव के मुख से भी यही दर्द छलका। कहते हैं, लगा बस किसी तरह नदी से बाहर निकल जायें।
मर्का गांव के दुर्गेश निषाद और फतेहपुर जिले के प्रेममऊ कटरा गांव निवासी केपी यादव बताते हैं, तेज धारा में नाव पलटते ही सभी अपनी जान बचाने में जुटे थे। अच्छा तैरने वाले भी बचाने के लिए उनके पास नहीं जा रहे थे। नदी पार करने में इतना थक गए थे कि किनारे पहुंचते पहुंचते हाथ पैर नहीं चल रहे थे, लेकिन सामने मौत देखकर किसी तरह बाहर निकल आए। उन्हें जिन्दगी भर अफसोस रहेगा कि अपनी जान के सामने दूसरे का ध्यान नहीं दिया, इसका पछतावा भी है।
गौरतलब है कि बांदा नाव हादसे में 12 शव मिले थे और 17 बचे। तीन लोग अभी भी लापता हैं। नाव हादसे में जिला प्रशासन ने कुल 32 लोगों के सवार होने की बात कहीं थी, वहीं प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो हादसे के समय नाव पर यात्रा के दौरान 50 लोगों से किराया वसूल किया गया था। इसके अलावा नाव पर तीन बाइक व छह साइकिलें भी रखी थीं। इनमें 17 लोग तैरकर निकल आये थे, जबकि अब तक 12 शव में मिल चुके हैं।
नाव पलटने से यमुना नदी में लापता तीन लोगों की खोजबीन के लिए पांचवे दिन भी एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीमें जुटी रहीं। आज 15 अगस्त को भी खोजबीन के लिए अभियान शुरू हुआ है। एनडीआरएफ टीम के कैप्टन नीरज के मुताबिक लापता तीन लोगों के शव न मिलने पर 40 किलोमीटर तक सर्च अभियान चलाया जाएगा। मरका घाट, महेवा घाट और राजापुर घाट में यमुना नदी में महाजाल डाला गया है। लोहे के भारी कांटे भी डालकर रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। बारिश की वजह से टीमों को खोजबीन अभियान में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। पांचवें दिन भी लापता लोगों के परिजन मरका और फतेहपुर के असोथर, मड़ौली व किशनपुर घाट पर डटे रहे। दोनों सीमाओं पर पंडाल लगाकर अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी खोज खबर लेते रहे।