Ground Report : गंदगी से पटी रीवा की निराला नगर की 2 हजार आबादी वाली दलित बस्ती, PMAY की हकीकत भी बयां कर रहीं सैकड़ों झोपड़ियां

बदहाली का यहां ऐसा मंजर नजर आता है कि हम-आपके लिए सांस लेना भी मुश्किल है, जिस जगह पर इंसान एक मिनट भी नहीं रुक सकता, वैसी स्थिति में ये परिवार पिछले 50 सालों से कैसे जीवन यापन कर रहे होंगे, इसकी सिर्फ कल्पना की जा सकती है....

Update: 2022-09-02 15:08 GMT

गंदगी से पटी रीवा की निराला नगर वार्ड क्रमांक 9 की बस्ती, BJP सरकार की योजनाओं के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना की भी असलियत दिखाती झोपड़ियां

Madhya Pradesh News :शिवराज सिंह चौहान आये दिन दावा करते रहते हैं कि उनके राज में गरीबों के उत्थान के लिए लगातार काम हो रहे हैं, मगर हकीकत का आईना जमीन पर उतरते ही नजर आ जाता है। प्रधानमंत्री आवास योजना का सच अगर देखना हो तो माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी के पास स्थित निराला नगर में चले आइये, जहां सैकड़ों परिवारों की जिंदगी कबाड़ और गंदगी के दलदल में गुजर रही है। बदहाली का यहां ऐसा मंजर नजर आता है कि हम आपके लिए सांस लेना भी मुश्किल है। जिस जगह पर इंसान एक मिनट भी नहीं रुक सकताए वैसी स्थिति में ये परिवार पिछले 50 सालों से कैसे जीवन यापन कर रहे होंगे, इसकी सिर्फ कल्पना की जा सकती है।

यूनिवर्सिटी मार्ग स्थित निराला नगर वार्ड क्रमांक 9 में बसे सैकड़ों परिवारों को सरकार के तमाम दावों और वादों के बीच विभिन्न योजनाओं का लाभ तो छोड़िये मूलभूत सुविधायें जैसे पानी भी उपलबध नहीं है। गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की गयी थी, जिसके तहत हर घर पक्के की अभियान शुरू किया गया। वहीं 2014 में 'स्वच्छ भारत अभियान' भी चलाया गया, मगर इन योजनाओं के 7-8 साल बीत जाने के बाद भी दलित मजदूरों के पास रहने के लिए घर नही हैं, पीने के लिए साफ पानी उपलबध नहीं है चाय-चौपाटी पर बैठने के लिए साफ जगह नही है, चलने के लिए पक्की सड़कें नहीं है। तो खाना बनाने के लिए गैस सिलेंडर भी नहीं हैं। यानी यहां उज्ज्वला योजना भी एक्सपोज हो जाती है। ऐसे में सरकार की हर योजना यहां फेल होती नजर आती है।

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गौरतलब है कि नगर निगम प्रशासन द्वारा हर वर्ष मध्य प्रदेश के रीवा जिले में 'स्वच्छ रीवा' अभियान के तहत करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। भारत सरकार द्वारा हर वर्ष प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर भारी-भरकम बजट खर्च किया जाता है, लेकिन इसका लाभ समाज के उन वर्गों को नहीं मिल पा रही है जिन्हें इस योजना की सख्त जरूरत है। ऐसे में इस योजना को सफल कहना व्यर्थ है।

यहां रहने वाली जनता कहती है, इतने रुपए खर्च होने के बावजूद झुग्गी बस्ती में रहने वाले हम लोगों के पास जीवन यापन करने के लिए पक्की छत तक नहीं है। इसलिए हमें तो लगता है प्रधानमंत्री आवास योजना सिर्फ बड़े-बड़े नेताओं के लिए मात्र भ्रष्टाचार का जरिया बनी हुई है।


एक तरफ जहां देश विकास की राह में अग्रसर है, वहीं दूसरी तरफ गरीब, बेघर लोगों को देखकर ऐसा लगता है जैसे विकास के नाम पर भ्रष्टाचारियों द्वारा सिर्फ पैसे लूटे जा रहे हैं। बता दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत देशभर में 122.69 लाख घरों का निर्माण किया जाना है, जिसमें आंकड़ों में 62.38 घर बनकर तैयार हो चुके हैं और सरकार द्वारा बताया जा रहा है कि 103.4 घरों का कार्य प्रगति पर है। इस योजना में 8.30 लाख करोड़ की लागत आयेगी।वहीं इस योजना के अंतर्गत रीवा में 387.85 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है, जिसमें से अभी तक मात्र 5251 घर बनकर तैयार हुए हैं।

रीवा शहर के विश्वविद्यालय मार्ग स्थित निराला नगर वार्ड क्रमांक 9 गंदगी से पटा हुआ है। यहां पिछले 50 वर्षों से पल्ली-पुआल से बने घरों में लोग निवास कर रहे हैं। इनकी स्थिति इतनी दयनीय है की पीने के लिए साफ पानी तक मुहैया नहीं है।

वोट के नाम पर सिर्फ फोटो खिंचवाते हैं नेता

करीब 4 एकड़ में यह बस्ती फैला हुयी है, जिसमें 150 से अधिक परिवार निवास करते हैं। यहां 2,000 से अधिक लोग हैं, जिनका पूरा जीवन कीचड़ से शुरू होकर कीचड़ में ही खत्म हो जाता है। इस बस्ती में 1000 से अधिक वोट हैं। इतनी संख्या में वोट होने के बावजूद इनकी कोई सुनने वाला नहीं है।

बस्ती वासी बताते हैं यहां पिछले 50 वर्षों के दौरान हजारों पशुओं की मृत्यु हो चुकी है, सैकड़ों लोग बीमारियों और कुपोषण का शिकार होकर मर-खप गये, मगर कभी भी किसी तरह की सरकारी मदद नहीं मिल पायी। बस वोट के नाम पर नेता विकास का लाॅलीपाॅप दिखाते हुए फोटो खिंचवाने आते हैं और चुनावों के बाद तो यहां भूले-भटके भी कोई नेता नजर नहीं आता है।

यह फोटो खिंचवाना नहीं तो और क्या है कि रीवा के सांसद जर्नादन मिश्रा कुछ महीने पहले ही वार्ड नंत्र 9 के निराला नगर बस्ती में जाकर फावड़े से बस्ती में मौजूद कीचड़ में घुसकर स्वयं सफाई करते मीडिया में नजर आये थे, मगर उसके बाद बस्ती जस की तस है। यानी कीचड़ में घुसना मात्र फोटो सेशन था, जिसका अब कोई पूछनहार नहीं है।

बस्ती के बच्चे भारी कुपोषण का शिकार

इस बस्ती के तकरीबन 80 फीसदी नवजात शिशु कुपोषण का शिकार हो रहे हैं, तमाम सरकारी योजनायें यहां नजर नहीं आती। गर्भवती महिलाएं इंफेक्शन से जूझ रही हैं, तो वहीं छोटे बच्चों को प्राथमिक की शिक्षा भी नहीं मिल पा रही है।


कचरे से भरा है पूरा इलाका

माखनलाल विश्वविद्यालय के पास बसी इस बस्ती का जीवन देखकर आम आदमी की रूह कांप जायेगी। इस जगह पर दुर्गंध और कचरे के अलावा कुछ भी नहीं है, मगर इसी माहौल में यह बस्ती वाले पिछले 5 दशकों से निवास कर रहे हैं। देश की स्थिति अत्यंत दयनीय है! कचरे से पटे इलाके में अगर 1 घंटे भी आम इंसान रह ले तो कई बीमारियों से ग्रसित हो जायेगा।

बस्ती में आने जाने का मार्ग तक नहीं

इस बस्ती में लोगों के लिए आने जाने का भी कोई साधन नहीं है। लोग नालों के ऊपर बड़े-बड़े पत्थर डालकर नाला पार करते हैं, जो छोटे बच्चों के लिए खतरा बनकर उभरता है। किसी भी समय नाला पार करते समय बच्चे असमय मौत के मुंह में समा सकते हैं।

बस्ती के चारों ओर जलजमाव और कीचड़ भरा पड़ा है, जिससे हर दिन हजारों नई बीमारियां जन्म लेती हैं। इसी हालत में यहां के रहवासी अपने छोटे-छोटे बच्चों को घर में अकेला छोड़कर पूरा दिन मजदूरी करके दो वक्त की रोटी जुगाड़ पाते हैं।

पीने के लिए पानी तक नहीं मौजूद

जल ही जीवन है, यह कहावत तो सबने सुनी होगी, किंतु इन लोगों के पास पीने वाला पानी तक उपलब्ध नहीं है, जिसकी वजह से बस्ती वाले पुल के नीचे से निकल रही पानी की पाइप लाइन में छेद कर पतली पाइप के सहारे पानी खींचते हैं। इस दलित बस्ती में उत्थान के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही किसी भी योजना का असर नहीं दिखता है।

अधिकतर लोग कबाड़ चुनकर करते हैं गुजर-बसर

गौरतलब है कि बंसल बस्ती में बसे अधिकतर लोग कबाड़ का धंधा करके अपना गुजर-बसर करते हैं। इन्हें जिला प्रशासन, नगर निगम प्रशासन की तरफ से किसी भी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं, जिससे ये जिंदगी में आगे बढ़ पायें।


बरसात में चारों तरफ भर जाता है पानी

बारिश और बाढ़ के दिनों में यहां चारों तरफ पानी भर जाता है। इस हालत में घर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है। इतना ही नहीं इन दिनों घर में सांप बिच्छू का आवागमन बढ़ जाता है। इस समय भी बरसात होने के कारण यह बस्ती चारों तरफ से कीचड़ से भरी हुयी है, जो कई रोगों को आमंत्रण दे रहा है।

झोपड़पट्टी में रहने वाले रहवासी समस्याओं पर सिर्फ हंसकर रह जाते हैं

कबाड़ बेचने वाले भीम बंसल कहते हैं, 'बस जिंदगी जी रहे हैं, पीने के लिए पानी नहीं है, चलने के लिए रास्ता तक नहीं है, चाय चौपाटी के लिए तक हमारे पास कोई जगह नहीं है। बस जी रहे हैं किसी तरह।' वहीं जयपत बंसल सरकार को कोसते हुए कहते हैं, कोई भी पार्टी सरकार में जाये, जब वोट मांगने प्रतिनिधि आते हैं तो विकास का झूठा वादा करके चले जाते हैं।

इस बस्ती की किस्मत कब संवरेगी यह तो पता नहीं, क्योंकि जनप्रतिनिधि सिर्फ दावे और वादे करके चलते बनते हैं। पूर्व मंत्री और रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल कहते हैं, अब इन बस्तीवालों का भी खुद का आशियाना होगा। य बस्ती वाले भी जल्द सुन्दर और पक्के घरों में निवास करके अपना जीवन बेहतर तरीके से जी सकेंगे। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निराला नगर वार्ड क्रमांक-9 में भी जल्द ही मकान बनेंगे, मगर यह हकीकत में कब होगा कहना बहुत मुश्किल है।

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