गुजरात में लाखों सरकारी कर्मचारियों ने की एकदिनी हड़ताल, कहा BJP सरकार ने नहीं मानी मांगें तो आंदोलन को होंगे मजबूर
Govt Employee protest in Gujrat : कल 3 सितंबर को आधे दिन की छुट्टी रखकर गुजरात के हर जिले में 10,000 लोगों ने रैली निकाली और मांगें न मानने पर उग्र आंदोलन के भी संकेत दिये....
दत्तेश भावसार की रिपोर्ट
Govt Employee protest in Gujrat : गुजरात में कुछ समय बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसीलिए सत्ता केा चेताने के लिए राज्यभर में कई आंदोलन जोर शोर से चल रहे हैं। पिछले 27 सालों से गुजरात में बीजेपी की सरकार है, जिसकी नीतियों से कई कर्मचारी संगठन नाराज हैं। कई जगह इन संगठनों का आंदोलन शुरू हो चुका है।
सबसे पहले पुलिस कर्मचारियों का आंदोलन शुरू हुआ, जिनको ग्रेड पे दिया जाना था, पर उनको कुछ भत्ते बढ़ा कर संतुष्ट कर दिया गया। उनसे एफिडेविट लेने से कई जगह विरोध भी हो रहा है। पटवारियों के आंदोलन की भी कुछ मांगें मानकर उसे खत्म कर दिया गया। कुछ मांगों के लिए कमिटी बनाकर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
अब किसानों का आंदोलन पिछले 15 दिन से चल रहा है। इसी के साथ पूरे गुजरात में लाखों सरकारी कर्मचारियों ने मौन रैली निकालकर आधे दिन की छुट्टी रखकर हर जिले में कलेक्टर को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा और अपनी मांगें न मानने पर उग्र आंदोलन के भी संकेत दिये।
इस आंदोलन में राज्य संगठन कर्मचारी मोर्चा, राज्य पंचायत कर्मचारी मोर्चा और अन्य 22 संगठन जुड़े। इन सरकारी कर्मचारियों ने गांधीजी की प्रतिमा से रैली शुरू करके कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। अपनी रैली में हर जिले में लगभग 10 हजार सरकारी कर्मचारियों के होने का दावा किया गया।
कच्छ जिले के उच्चतर माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष मनोज लोढा बताते हैं, गुजरात के सारे जिलों में मौन रैली करके कलेक्टर को ज्ञापन देने का कार्यक्रम सफल हुआ। उनकी मुख्य मांग है कि पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को वेतन के अलावा जो भी लाभ मिलते हैं वह लाभ राज्य सरकार के कर्मचारियों को भी मिलना चाहिए। इसके अलावा महंगाई भत्ते जल्द से जल्द मिलने चाहिए। अभी तक गुजरात सरकार के कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है।
शोभना बेन व्यास जो कि अवार्ड विजेता शिक्षिका हैं, उनका मानना है कि गुजरात की भाजपा सरकार गुरुओं का अपमान कर रही है। वृद्धावस्था में गुरुओं को एकमात्र सहारा पेंशन होती है, इस सरकार ने नई पेंशन योजना लागू करके वृद्धावस्था का सहारा भी छीन लिया है।
वहीं अनिरुद्ध गोहिल बताते हैं, हमने पिछले कई महीनों से सरकार को तकलीफ न हो ऐसे कार्यक्रम दिए, लेकिन सरकार की कान में जूं तक नहीं रेंगी। पुलिस कर्मचारी, पटवारी आंदोलन को सरकार ने उनकी मांगगों को मानकर समेट दिया, लेकिन हमारी मांगे उनसे भी पुरानी हैं, इसलिए सरकार को हमारी मांगों की तरफ ध्यान देना चाहिए और पॉजिटिव सोचकर अपने कर्मचारियों का हित देखना चाहिये।
डाॅ. ममता भट्ट कहती हैं, सरकार से सेवानिवृत्त जानवरों घोड़े, और श्वानों को भी पेंशन का लाभ मिलता है तो सरकार के कर्मचारी उनसे भी निम्मन श्रेणी के हो गये हैं क्या। पंजाब में स्निफर डॉग को भी 14 हजार पेंशन मिल रही है, पर गुजरात के सरकारी कर्मचारियों का क्या? पुरानी पेंशन योजना कर्मचारियों का अधिकार है और कई राज्यों में पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है तो गुजरात सरकार को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। 27 साल से गुजरात में राज कर रही भाजपा को जल्द से जल्द पुरानी पेंशन योजना लागू करनी चाहिए।
दिव्यराज जडेजा कहते हैं, अब अगली 7 सितंबर को हम लोगों की सरकार के साथ मीटिंग होनी है। इस मीटिंग में कोई निर्णय नहीं होगा तो 11 तारीख को बड़ी रैली की जाएगी। 17 तारीख को मास सीएल रखी जाएगी। 22 तारीख को पेन डाउन आंदोलन होगा और 30 तारीख से हड़ताल शुरू हो जाएगी।