पाकिस्तान जेल में बंद दलित गेमराराम चुका रहा मोहब्बत की बड़ी कीमत, विधवा मां रो-रोकर लगा रही गुहार 'मेरा गेमरा ला दो'
Ground Report : पाकिस्तान की जेल में बंद राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले के कुम्हारों का टिब्बा का गांव का एक युवक गेमराराम जेल से लगातार भारत वापस आने और खुद को छुड़ाने की गुहार लगा रहा है, वहीं दुसरी तरफ गेमराराम का परिवार भी आंखें बिछाए उसका इंतजार कर रहा है...
Ground Report : पाकिस्तान की जेल में बंद राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले के कुम्हारों का टिब्बा का गांव का एक युवक गेमराराम जेल से लगातार भारत वापस आने और खुद को छुड़ाने की गुहार लगा रहा है। वहीं दुसरी तरफ गेमराराम का परिवार भी आंखें बिछाए उसका इंतजार कर रहा है। गेमराराम का गांव भारत-पाक सीमा से महज 2 किलोमीटर पहले स्थित है। बता दें कि 4 नवंबर 2020 की रात अपनी प्रेमिका के घर जाते पकड़े जाने के बाद बदनामी के डर से गेमराराम सीमा पार कर पाकिस्तान चला गया। वह तभी से वहां की जेल में बंद है। सजा पूरी होने के बाद भी गेमराराम की रिहाई नहीं हो रही है। गेमराराम के परिजन लगातार प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
गेमराराम की अधूरी प्रेम कहानी
सेड़वा थाना क्षेत्र के सज्जन का पार निवासी गेमराराम मेघवाल बीती 4 नवंबर 2020 को सीमा पार कर पाकिस्तान चला गया था। बता दें कि गेमराराम का गांव कुम्हारों का टीबा भारत-पाक सीमा से महज 2 किलोमीटर पहले स्थित है। गेमराराम की मां ने बताया कि गेमराराम को प्रेमिका के घर जाते पकड़ा गया था, जिसके बाद वह बदमानी के डर से सीमा पार कर पाकिस्तान चला गया। गेमराराम के परिवार द्वारा गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाने के बाद पुलिस और बीएसएफ ने उसकी तलाश शुरू की, जिसके बाद उसके पाकिस्तान में होने की जानकारी सामने आई। इसके बाद बीएसएफ के साथ फ्लैग मीटिंग में पाकिस्तानी रेंजर्स ने भी गेमराराम के पाकिस्तान में होने की पुष्टि की थी।
गेमराराम को सुनाई गई थी 6 महीने की सजा
गेमराराम मेघवाल के भाई ने बताया कि पिछले साल 4 नवंबर को सीमा पार कर पाकिस्तान चला गया था, जिसके बाद उसे पाकिस्तान रेंजर्स ने पकड़ लिया था। हालांकि उसके खिलाफ 24 अप्रैल 2021 को पाकिस्तान के कराची के मीठादार थाने में मामला दर्ज कराया गया था। इस बीच 21 अगस्त 2021 को पाकिस्तान में कराची दक्षिण के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अदालत ने गेमराराम मेघवाल को छह महीने की सजा सुनाई। अदालत ने निर्देश दिया कि सजा पूरी होने के बाद ही उसे भारत भेजा जाएगा। गेमराराम पर दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है और जुर्माना राशि ना भरने की स्थिति में उसे 15 दिन की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। अब वह पाकिस्तान के कराची में मालीर की जिला जेल में अपनी सजा पूरी कर चूका है। उसकी सजा पूरी होने के बाद भी उसकी रिहाई नहीं हो पायी है।
मछुआरों के साथ भेजी थी परिवार को चिट्ठी
गेमराराम के परिजनों ने बताया कि कराची जेल से मछुआरों को रिहा किया था। ये मछुआरे गेमराराम के साथ जेल में बंद थे। गेमराराम ने इनको 23 जनवरी 2022 को चिट्ठी दी थी। चिट्ठी में जय भारत के शुरुआत की। बताया कि मैं यहां ठीक हूं। आप भी वहां पर ठीक होंगे। मम्मी, पापा, दादा, दादी सहित भाइयों व बच्चों के बारे में हाल-चाल पूछा। सभी को प्यार भरा नमस्कार और राम-राम लिखा। परिवार से माफी मांगी। गेमराराम की अब तक 4 चिट्ठी परिवार को मिल चुकी है। परिजनों के अनुसार बेटे के पाकिस्तान जाने के बाद से पिता जुगताराम परेशान थे। इससे वे बीमार हो गए। बेटे से मिलने की चाह में नवंबर 2021 को मौत हो गई। यह बात गेमराराम को नहीं पता है।
पकड़े जाने के डर से क्रॉस किया पाकिस्तान बॉर्डर
गेमराराम का अपने ही गांव की एक युवती के साथ प्रेम प्रसंग था। गेमराराम ने जेल से चिट्ठी भेजी थी, जिसमें उसने बताया था कि 4 नवंबर की रात को वह प्रेमिका के घर पर था। इस दौरान युवती के घरवाले जाग गए और उसे देख लिया। वह डर के मारे वहां से भाग गया। उसे यह पता नहीं लगा कि वह किस तरफ भाग रहा है। वह तारबंदी क्रॉस करके पाकिस्तान की सीमा में चला गया था। गेमराराम के प्रेम प्रसंग को लेकर उसके परिजन इनकार करते रहे, लेकिन अब खुद उसने चिट्ठी में जिक्र करते हुए लिखा है कि वह सोनू से बहुत प्यार करता था।
बेटे का इंतजार करते हुए पिता की हो गई मौत
पत्र में गेमराराम ने अपने कदम के लिए खेद जताते हुए परिवार से माफी मांगी थी। गेमराराम ने लिखा है कि पहले भी वह कई बार मछुआरों के साथ पत्र भेज चुका है, लेकिन उसे नहीं पता कि वे पत्र उन्हें मिले या नहीं। गेमराराम ने अपने परिवार को इस चिट्ठी का जवाब भेजने की बात लिखी है। चिट्ठी में गेमराराम ने अपने माता-पिता के स्वास्थ्य की चिंता जताई है लेकिन गेमराराम को पता नहीं कि उसके पिता की नौ महीने पहले नवबंर में ही मौत हो गयी है। परिवार वालों ने बताया कि गेमराराम के पाकिस्तान जाने के बाद से उसके पिता जामाराम की तबियत खराब रहती थी और बीते नवंबर में उनकी मौत हो गयी। वहीं गेमराराम के भाई ने बताया कि गेमराराम के पाकिस्तान जाने की खबर से पिता सदमे में थी और बेटे के इंतजार में तबियत खराब होने के कारण उसकी मौत हो गई।
युवती के पिता को प्रेम संबंध से थी आपत्ति
वहीं इस मामले में जब लड़की के पिता से जनज्वार ने बात की तो उन्होंने कहा, ये प्यार नहीं, मनबढ़ई थी। लेकिन अगर यह प्यार भी होता तो हम उस लड़के से अपनी बेटी की शादी नहीं कर पाते, क्योंकि हम दलित तो हैं, मगर दलितों में भी ब्राह्मण हैं। हम उनके वहां पूजा-पाठ कराते हैं, तो भला वहां अपनी लड़की की शादी कैसे करते। हमारा समाज अलग है और हम अपने समाज से बाहर लड़कियों की शादी नहीं करते हैं।' लड़की के पिता की इस बात का समर्थन करते हुए गेमराराम के भाई ने जनज्वार को बताया कि जिस लड़की से गेमरा प्यार करता था उस परिवार को हम सिर्फ दे सकते हैं, कुछ ले नहीं सकते। वो लोग हमारे यहां पूजा पाठ कराते हैं हम उन्हें दान दक्षिणा देते हैं। चूंकि वह पूजा पाठ कराते हैं तो इसलिए वे हमें खुद से छोटा और तुच्छ मेघवाल मानते हैं और खुद को श्रेष्ठ इसलिए उनकी लड़की से तो शादी का सवाल ही नहीं उठता।
भागते-भागते गेमराराम पार कर गया भारत-पाकिस्तान का बॉर्डर
साथ ही लड़की का पिता का कहना है कि गेमराराम और हमारी बेटी के बीच कोई प्रेम संबंध नहीं था। वह हमारी बेटी को परेशान करता था।एक बार उसको समझाया गया कि हमारी बेटी पढ़ाई कर रही है। उसे परेशान मत करो तो उस समय उसने कहा कि ठीक है, मैं अब परेशान नहीं करूंगा लेकिन उसके 3 महीने बाद एक दिन रात को अचानक वह घर आ गया और उस समय मैं घर पर अकेला था और मेरी बेटी उस समय सो रही थी। रात के करीब 1:00 बजे गेमराराम घर आया, जिसके बाद बच्ची अचानक उठकर शोर करने लग गई तो मेरी नींद भी टूट गई। मैं गेमरा राम के पीछे भागा, लेकिन गेमराराम तेजी से भाग रहा था और वह भागते भागते बॉर्डर पार चला गया और वापस नहीं आया।
जहां लड़की के पिता गेमरा की प्रेम कहानी को सिरे से खारिज कर देते हैं, वहीं गेमराराम के मामा जनज्वार को बताते हैं, लाॅकडाउन में लड़की ने ही मेरे भांजे को वापस गांव बुलाया था, वह तो स्कूल बंद होने की वजह से जोधपुर में मजदूरी करने चला गया था।
गेमराराम की मां रो-रोकर प्रसाशन से लगा रही गुहार
गेमराराम 12वीं कक्षा का छात्र था। गेमराराम के इस हालत का जिम्मेदार भारत में हो रही जातीय भेदभाव भी है। अगर जाती भेदभाव नहीं होती तो जिस लड़की से वह बहुत प्यार करता था, उसके समाज वाले गेमराराम को अपना लेते और उसे डर के कारण पाकिस्तान का बॉर्डर क्रॉस नहीं करना पड़ता, लेकिन अब इन सब के बाद गेमराराम की प्रेम कहानी तो अधूरी रह ही गई है। साथ ही उसके भारत वापस लौटने की उम्मीद लगाए उसके परिजन थक चुके हैं। गेमराराम की मां रो-रोकर प्रसाशन से गुहार लगा रही है और कहा रही है कि मुझे मेरा गेमरा ला दो।