Gujarat Election 2022 : भाजपा के 27 साल के शासन में जनता महंगाई से त्रस्त, रोजगार के दावे पर PM मोदी का गुजरात माॅडल हुआ Expose

Gujarat Election 2022 : PM मोदी गुजरात मॉडल की मिसाल देते हुए कहते हैं कि वहां की डबल इंजन सरकार ने रोजगार देने के लिए कंपनियां ही कंपनियां लगा रखी हैं, लेकिन जब युवा ही बेरोजगार हैं तो ऐसी कंपनियों और दावों का लाभ आखिर कौन ले रहा है...

Update: 2022-09-27 03:20 GMT

Gujarat Election 2022 : गुजरात में इस साल चुनाव होने वाले हैं। जल्दी तारीख भी घोषित कर दी जाएगी। इस राज्य में पिछले 27 साल से भाजपा की सरकार है। केंद्र की मोदी सरकार आए दिन गुजरात मॉडल का जिक्र करती रहती है। इस समय गुजरात में भाजपा की डबल इंजन की सरकार है। ऐसे में गुजरात मॉडल पर गुजराती जनता का क्या मत है और उनका चुनावी मूड क्या है, यह जानने के लिए जनज्वार की चुनावी यात्रा चल रही है। अलग-अलग जिलों में जनता का मिजाज जानने के बाद अब जनज्वार की चुनावी यात्रा गुजरात के अमरेली पहुंची है। यहां जनज्वार ने तमाम मतदाताओं से बात करके उनका मत जाना और उन्होंने गुजरात में विकास की परिभाषा भी बताई।

रोजगार के मामले में पिछड़ गया है अमरेली

गुजरात के अमरेली विधानसभा में लोगों से बात करने के बाद भाजपा की सरकार की हकीकत सामने आई है। एक युवा ने बताया कि अमरेली में ही नहीं, बल्कि पूरे गुजरात में ही भाजपा सरकार की ओर से कोई विकास नहीं किया गया है। कहीं भी सड़क सही नहीं है। सब बोलते हैं डबल इंजन की सरकार है, लेकिन डबल इंजन की सरकार का कोई फायदा नहीं हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात मॉडल की मिसाल देते हुए कहते हैं कि गुजरात में भाजपा सरकार ने रोजगार देने के लिए कंपनियां ही कंपनियां लगा रखी हैं, लेकिन रोजगार के मुद्दे पर बात करते हुए युवा उन्हें एक्सपोज करते हुए कहते हैं, रोजगार के मामले में अमरेली विधानसभा पूरी तरह से पिछड़ चुका है। यहां कोई उद्योग नहीं है। बाहर से कोई कंपनी नहीं आ रही है। यहां के लोगों को रोजगार के लिए अपना गांव अमरेली छोड़कर बाहर जाना पड़ता है। यहां जो भी लड़के पढ़कर बड़े होते हैं, उन्हें भी नौकरी के लिए गांव से बाहर जाना पड़ता है। पढ़े लिखे युवा हो या फिर अनपढ़ युवा दोनों ही बेरोजगार हैं।

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एक युवा ने बताया ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है लेकिन फिर भी उनके पास कोई रोजगार नहीं है और अब वह पान बेच रहे हैं। इस गांव में ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, यहां तक कि इंजीनियर को भी गुजरात में नौकरी नहीं मिल रही है। वे सभी बेरोजगार बैठे हुए हैं।

भाजपा के शासन में सबसे बड़ी समस्या है महंगाई

भाजपा के गुजरात मॉडल पर बात करते हुए लोगों ने कहा कि वह गुजरात मॉडल से नाखुश हैं। भाजपा की सरकार में गुजरात में भुखमरी और महंगाई सबसे ज्यादा है। महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा है और यहां सभी चीजों में महंगाई है। गैस का सिलेंडर बहुत महंगा मिल रहा है। साथ ही पेट्रोल दूध और जीएसटी लगने के बाद बाकी चीजें भी बहुत महंगी मिलने लगी है। लोगों ने कहा कि इस बार हम लोग सत्ता बदलने के मूड में है। इस बार आम आदमी पार्टी को ही वोट देंगे और आप की सरकार ही सत्तासीन होगी।

वहीं एक अन्य बुजुर्ग ने बताया कि गुजरात में महंगाई से लोग त्रस्त हैं, यहां जीएसटी लगने के बाद दूध दही पेट्रोल सब महंगा हो गया है छोटी सी छोटी चीज पर भी जीएसटी लग चुकी है। इसलिए इस बार हम केजरीवाल की सरकार चाहते हैं।

एक बुजुर्ग ने बताया कि मोदी राज में और गुजरात में महंगाई चरम पर है। गैस सिलेंडर की कीमत 1200 रूपए तक है और जो तेल का डिब्बा 2 साल पहले 800 रूपए का मिल रहा था, वह 2 साल के अंदर ही बढ़कर 3000 हजार का हो गया है।

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महिलाओं के लिए मोदी सरकार में कुछ सुविधा नहीं

एक गरीब मजदूर महिला कहती है, उनके राशन का पैसा तक पूरा नहीं हो पाता है। गैस सिलेंडर बहुत महंगा हो गया है। तेल के डिब्बे भी हजारों रुपए महंगे हो चुके हैं। जरूरत की खाने पीने की चीजें भी बहुत महंगी हो चुकी हैं। गरीब लोग मेहनत मजदूरी करके पैसा कमाते हैं। कभी-कभी काम मंदा भी हो जाता है, जिस टाइम मजदूरी नहीं मिल पाती है। मजदूरी में जितने रुपए मिलते हैं, उसमें कैसे महंगे सामानों को खरीद कर घर चला जा सकता है। यह बात तो सरकार को सोचनी चाहिए। मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए कुछ काम नहीं किया है। महिलाएं दिहाड़ी के लिए जाती हैं तो उन्हें केवल 200 रुपए ही मिलते है। ऐसे में वह घर कैसे चलाएंगी। महिलाओं के लिए भी कोई रोजगार नहीं है। बच्चे कोई साग-सब्जी बेच रहे हैं तो कोई रिक्शा चलाकर पैसे कमा रहे हैं।

भाजपा सरकार में पढ़ाई भी बन गई है व्यापार

BHMS के मेडिकल के छात्रों ने बताया कि यहां पढाई भी बहुत महंगी हो गई है। शिक्षा एक व्यापार बन कर रह गई है। यहां प्राइवेट में 1 साल की केवल पढ़ाई की फीस 75 हजार रूपए है और मैनेजमेंट कोटा में फीस 95 हजार रूपए तक है। 75 हजार पढ़ाई की फीस देने के अलावा हॉस्टल में साल भर का रहने ओर खाने-पीने का खर्चा 70 से 80 हजार रूपए तक पहुंच जाता है। ट्यूशन फीस और किताबों का खर्चा मिलाकर साल भर में पढ़ाई के लिए 2 लाख से भी ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं।

बीमार होने पर साहूकारों से उधार लेने पड़ते हैं पैसे

एक व्यक्ति ने अपने घर की हालत बताते हुए कहा कि 10 वर्षों से गाड़ी चला रहे हैं, लेकिन आमदनी उतने नहीं हो पा रही है, जितनी घर के खर्चे चलाने के लिए पूरी होनी चाहिए। महीने के आखिरी के दिनों में घर का खर्च चलाने में परेशानियां आती हैं। अगर छोटी मोटी बीमारी घर आ जाती है तो उसके इलाज के लिए या तो साहूकारों से पैसे लेने पड़ते हैं या फिर दोस्तों से उधार लेना पड़ता है। बच्चों की पढ़ाई के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि गरीबी के चलते उनको बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना पड़ रहा है। प्राइवेट स्कूलों की जो अच्छी शिक्षा है, वह उनके बच्चों को नहीं मिल पा रही है और सरकारी स्कूलों में शिक्षा अच्छी नहीं मिलती है। बच्चे कभी स्कूल जाते हैं तो कभी स्कूल नहीं जाते हैं। जिस कारण सामान्य शिक्षा से उनके बच्चे वंचित होते जा रही हैं। महंगाई बढ़ी है। घर के खर्चे पूरे नहीं होते हैं और ऐसे में गैस और तेल के दामों ने तो आसमान छू रखा है। पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने से लागत बढ़ी है लेकिन कमाई बिल्कुल भी नहीं हो रही है। अगर सरकार पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी करती है तो शायद इनके आमदनी में से कुछ रुपए बच जाए।

भाजपा की सरकार बदलने के मूड में जनता

गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के अमरेली विधानसभा में जनता ने बताया कि मौजूदा भाजपा की 27 साल की सरकार से वो बेहद नाराज है और यहां मौजूदा विधायक कांग्रेस के हैं, लेकिन लोगों की दिलचस्पी आम आदमी पार्टी में है। ऐसे में कह सकते हैं कि भाजपा के सामने जो पार्टी टक्कर में है, वह आम आदमी पार्टी है।

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