RTI एक्टिविस्ट के बेटे के सिर पर 2 महीने बाद सजना था सेहरा, मगर खनन माफियाओं को एक्सपोज करने की कीमत चुकाई बेटे की अर्थी को कंधा देकर

Gujarat Election 2022 : जिस परिवार में 2 महीने बाद बेटे के शादी की शहनाइयां बजने वाली थी, उसी परिवार में अब बेटे नरेंद्र बलिया की मौत पर मातम पसरा हुआ है, परिवार का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने इलाके में हो रही खनिज चोरी को पकड़ा था और सबके सामने लेकर आए थे...

Update: 2022-10-11 15:24 GMT

Gujarat Election 2022 : गुजरात में इस साल चुनाव होने वाले हैं। जल्द ही चुनाव की तारीख भी घोषित कर दी जाएगी। इस राज्य में पिछले 27 साल से भाजपा की सरकार है। केंद्र की मोदी सरकार आए दिन गुजरात मॉडल का जिक्र करती रहती है। इस समय गुजरात में भाजपा की डबल इंजन की सरकार है। ऐसे में गुजरात मॉडल पर गुजराती जनता का क्या मत है और उनका चुनावी मूड क्या है, यह जानने के लिए जनज्वार की चुनावी यात्रा चल रही है। अलग-अलग जिलों में जनता का मिजाज जानने के बाद जनज्वार की चुनावी यात्रा गुजरात के कच्छ पहुंची। यहां जनज्वार ने पीड़ित आरटीआई एक्टिविस्ट से बात की। उन्होंने बताया कि कैसे गुजरात में भाजपा के 27 साल के शासन में घोटाले सामने लाने वाले आरटीआई एक्टिविस्टों पर अत्याचार किया जा रहा है।

भाजपा के 27 साल के राज में खनन माफिया बेखौफ

गुजरात में भाजपा के 27 साल के शासन के दौरान आरटीआई यानी सूचना के अधिकार को बिल्कुल खत्म कर दिया गया है। गुजरात के कच्छ जिले में आरटीआई को तो खत्म किया ही गया था लेकिन अब आरटीआई एक्टिविस्ट को भी खत्म किया जा रहा है। नरेंद्र बलिया एक आरटीआई एक्टिविस्ट थे। आईटीआई के जरिए नरेंद्र बलिया ने अपने पिता के साथ मिलकर खनन माफिया का बहुत बड़ा रैकेट का पर्दाफाश किया था। खनन माफिया का खुलासा किया था और शिकायतें की थी, लेकिन इसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। इस कार्य के बाद नरेंद्र बलिया के परिवार की क्या हालत है ? जनज्वार ने उनके पिता से इस बारे में बात की। उन्होंने बताया कि किस तरफ से भाजपा के 27 साल के राज में खनन माफिया बेखौफ है।

खनन माफियाओं ने छीन ले परिवार की खुशियां

रमेश बलिया का हंसता खेलता परिवार एक ही पल में उजड़ गया। जिस परिवार में 2 महीने बाद बेटे के शादी की शहनाइयां बजने वाली थी, उसी परिवार में अब बेटे नरेंद्र बलिया की मौत पर मातम पसरा हुआ है। परिवार का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने इलाके में हो रही खनिज चोरी को पकड़ा था और सबके सामने लेकर आए थे। इसका खामियाजा परिवार को अपनी खुशियां देकर चुकाना पड़ा। खनिज की चोरी पकड़ी जाना खनन माफियाओं को इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने पलभर में ही एक हंसता खेलता परिवार उजाड़ दिया।

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3 महीने पहले खनन चोरी का किया था पर्दाफाश

मृतक नरेंद्र बलिया के पिता रमेश बलिया ने बताया कि वह एक आरटीआई एक्टिविस्ट है। 3 महीने पहले इन्होंने खनिज चोरी का पर्दाफाश किया था। खनिज चोरी पकड़ी और पुलिस में इसके खिलाफ कंप्लेंट की लेकिन पुलिस ने कोई कागजी कार्रवाई नहीं करते हुए उनको छोड़ दिया। इसी बात का द्वेष रखते हुए उन खनन माफियाओं ने हमसे बदला लिया और हमारे ऊपर जानलेवा हमला किया।

रमेश बलिया की हत्या करना चाहते थे खनन माफिया

पिता रमेश बलिया का कहना है कि मूल रूप से खनन माफिया मेरी हत्या करना चाहते थे। हालांकि उनका टारगेट तो हम दोनों बाप बेटे ही थे लेकिन यह जानलेवा घातक हमला मेरे लिए ही था लेकिन इस हमले में मेरे बेटे की मौत हो गई और मैं किस्मत से बच गया।

बाइक पर सवार पिता-पुत्र को मारी टक्कर

रमेश बलिया ने बताया कि वह और उनका बेटा नरेंद्र बलिया मेस्ट्रो इनोवा पर बैठकर आ रहे थे, तभी पीछे से खनन माफिया 100 की स्पीड से अपनी फॉर्च्यूनर गाड़ी से आए और हमारी बाइक में टक्कर मार दी। टक्कर मारने के बाद उन्होंने हमारी बाइक को 30 फीट तक घसीटा। जिसके बाद बेटे नरेंद्र बलिया की मौके पर ही मौत हो गई। खनन माफिया मौके से गाड़ी लेकर मौके से फरार हो गए।

आरोपी ने रमेश बलिया को दी थी धमकी

रमेश बलिया ने बताया कि आरोपी ने उनकी दुकान पर आकर धमकी दी थी और कहा था कि यह जो कर रहे हो ठीक नहीं कर रहे हो, इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा। इसके बारे में हमने कोई पुलिस कंप्लेंट नहीं की थी। इसके बारे में एक कॉन्स्टेबल को फोन किया था लेकिन इसके बाद भी हमें कोई सुरक्षा प्रदान नहीं की गई।

कंपनियां सरकार के साथ मिलकर करते हैं अवैध खनन

रमेश बलिया ने बताया कि बड़ी-बड़ी कंपनियां सरकारों के साथ मिलकर अवैध खनन कार्य को अंजाम दे रही है। ये रेत खनन, पानी खनन और गोचर भूमि का अवैध तरीके से अधिग्रहण करते हैं। हमने कई अवैध खनन का पर्दाफाश किया है और उन्हें दंड भरवाया है। साथ ही अडानी ग्रुप कंपनी का भी 80 लाख रुपए का दंड भरवाया है। रमेश बलिया ने आगे कहा कि उनको शक है कि आरोपी की अडानी कंपनी के साथ सांठ-गांठ हो सकती है।

रमेश बलिया ने आगे बताया कि भू माफियाओं का भी ऐसे ही उन्होंने पर्दाफाश किया था। उन्होंने कई सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर रखा था। शिकायत करने पर कार्यवाही हुई और सरकार ने आदेश जारी किया कि उन्हें यह जमीन खाली करनी होगी। सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी के कारण भी कई अवैध खनन के कार्य होते हैं।

2 महीने बाद थी मृतक बेटे की शादी

रमेश बलिया का बेटा नरेंद्र बलिया, जो 24 वर्षीय युवा था और 2 महीने बाद उसकी शादी थी, लेकिन आरटीआई के नाम पर ऐसे युवाओं को खपाया जा रहा है। पूरे गुजरात की बात करें तो कई बड़ी-बड़ी कंपनियां भी है, जो भू-माफिया है, रेता माफिया और पानी माफिया के साथ है। वह साथ मिलकर ऐसे आरटीआई एक्टिविस्टों को टारगेट करती है। इस मामले में सरकार भी कोई कार्यवाही नहीं करती है। पुलिस कंप्लेंट करने के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया जाता है।

गुजरात में खत्म हो चूका हैं RTI

राइट टू इनफार्मेशन यानी सूचना का अधिकार अधिनियम एक बहुत बड़ा हथियार था। इस कानून से कई बड़े-बड़े भ्रष्टाचार सामने आए। सरकारों की पोल खुली और बहुत ही लोगों ने इसका उपयोग करके जनता को होने वाले नुकसान से बचाया और सरकार के भ्रष्टाचार को बाहर लाएं। अब सूचना की गुजरात में कोई अहमियत नहीं रह गई है।

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