Gyanvapi Masjid Survey : तहखाने के 4 कमरों का सर्वे पूरा, बनारस के अमनपंसद लोगों ने तय एजेंडे को कर दिया खारिज ?

Gyanvapi Masjid Survey : 'मस्जिद में सर्वे के नाम पर नौजवानों और जनता को गुमराह किया जा रहा है, स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का नैरेटिव तैयार किया जा रहा है, वो नहीं चाहते हैं कि कोई महंगाई पर बात करे और बेरोजगारी पर, समाज में जहर फैलाया जा रहा है....'

Update: 2022-05-14 13:07 GMT

Gyanvapi Masjid Survey : ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने अफसरों संग पैदल गश्त कर सुरक्षा व्यवस्था का लिया जायजा

उपेंद्र प्रताप की रिपोर्ट

Gyanvapi Masjid Survey : काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid News) के सर्वे का मसला अब अपने अंतिम फेज में पहुंच गया है। बनारस की गली-गली में 13 तारीख को होने वाले सर्वे को लेकर गरमागरम बहसें छिड़ती आ रही थीं। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शनिवार को पहले दिन का सर्वे का काम चार घंटे में मस्जिद के तहखाने के चार कमरों यानी पचास फीसदी तक पूरा हो चुका है। सर्वे को लेकर गोदौलिया, बांसफाटक, बुलानाला और टेढ़ीनीम समेत ज्ञानवापी मस्जिद के इर्द-गिर्द इलाके में भोर में चार बजे से भीड़ जुटने लगी थी। सर्वे को लेकर मंदिर से एक किमी दूर ही सड़कों की कड़ी घेराबंदी कर मीडिया और पब्लिक को रोक दिया गया था।

मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) के पूर्व महंत राजेंद्र तिवारी कहते हैं, 'मंदिर-मस्जिद के मुद्दे को आगे बढ़ाने से भला किसी को क्या फायदा मिलना है? सभी जानते हैं कि मामले को धार्मिक तूल देने का प्रयास किया जा रहा है। इस कड़ी में मुस्लिम बंधुओं ने बहुत ही सराहनीय समझदारी का परिचय देते हुए धैर्य बनाए हुए हैं। मस्जिद में सर्वे के नाम पर नौजवानों को गुमराह किया जा रहा है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का नैरेटिव तैयार किया जा रहा है। वो नहीं चाहते हैं कि कोई महंगाई और बेरोजगारी (Inflation And Unemployement In India) पर बात करें। समाज में जहर फैलाया जा रहा है। सर्वे (Gyanvapi Masjid Survey के समय तमाम झूठी अफवाहें फैलाई गईं, लेकिन बनारस के अमनपंसद लोगों ने इनके तय एजेंडे को खारिज कर दिया और जनता ने अपने अधिकारों को लेकर सवाल उठाना सीख लिया है।'

देश के कोने-कोने से बाबा विश्वनाथ की एक झलक पाने के लिए आ रहे हजारों की तादात में श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था इलाके को सीलकर पुलिस, पीएसी और दंगा नियंत्रण फोर्स के हजारों जवान कदम-कदम पर पहरा दे रहे थे। सर्वे की वजह से लाखों श्रद्धालुओं को दिक्कत हुई। वहीं श्रद्धालुओं के लौटने से नाराज बनारसी साड़ी, जेवर, फूल-माला, चाय-नाश्ता, चाट कार्नर और किराना दुकानों को बंद कर घर चले गए।

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे (Gyanvapi Masjid Survey) का काम सुबह 8 बजे शुरू हुआ। सर्वे दोपहर 12 बजे तक यानी 4 घंटे चला। एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा के साथ वादी और प्रतिवादी पक्ष के 52 लोगों की टीम ने परिसर में 4 तहखानों के ताले खुलवाकर उसकी जांच की। टीम ने दीवारों की बनावट, खंभों की वीडियोग्राफी भी की। बतौर कमिश्नर शेष मस्जिद के सर्वे का काम रविवार को फिर सुबह 8 बजे से होगा। कल ऊपर के कमरों का सर्वे होगा।

अब इस मामले का अंतत: पटाक्षेप हो चला है। सर्वे के लिए परिसर के अंदर गई पूरी टीम के मोबाइल बाहर ही जमा करा लिए गए थे। टीम को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि सर्वे से जुड़ी कोई भी जानकारी बाहर नहीं आनी चाहिए। तहखानों की वीडियोग्राफी (Gyanvapi Masjid Videography) करके बाहर निकले फोटोग्राफर से जब मीडियाकर्मियों ने अंदर के बारे में पूछा तो उन्होंने कुछ भी बताने से साफ इंकार कर दिया।

तहखाने के चारों कमरों का सर्वे पूरा

पुलिस आयुक्त ए. सतीश गणेश ने बताया, 'रविवार सुबह आठ बजे से सर्वे का काम शुरू होगा। माना जा रहा कि सर्वे टीम (Gyanvapi Masjid Survey Team) ज्ञानवापी के ऊपरी भाग का का सर्वे करने पहुंच सकती है। जानकारी के मुताबिक शनिवार को ज्ञानवापी परिसर में मौजूद तहखाने के चारों कमरों के सर्वे का काम पूरा हो गया। तहखाने में क्या मिला है, इसकी जानकारी अभी नहीं है।

इधर, मीडिया से बातचीत में वादी पक्ष के वकील ने दावा किया कि सभी साक्ष्य हमारे साथ हैं। ज्ञानवापी परिसर से बाहर आने के बाद कोर्ट कमिश्नर और अन्य अधिवक्ताओं ने मीडिया के सामने कुछ भी नहीं बोला। न्यायालय का आदेश है इसलिए सर्वे से संबंधित कोई भी जानकारी मीडिया के सामने देने से सर्वे की टीम ने मना किया। पुलिस ने सभी को वाहनों में बैठाकर काशी विश्वनाथ धाम से रवाना किया।'

सुप्रीम कोर्ट से आस और सहयोग के मूड में इंतजामिया मसाजिद कमेटी

सर्वे को लेकर वाराणसी डीएम कौशलराज शर्मा (Varanasi DM Kaushalraj Sharma) ने शुक्रवार को हिंदू और मुस्लिम, दोनों पक्षों के साथ बैठक की थी। उन्होंने सर्वे के दौरान दोनों पक्षों से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है। मुस्लिम पक्ष अंजुमन-ए-इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने कहा है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से कोई फैसला नहीं आ जाता है, वह सर्वे में सहयोग करेंगे। दरअसल कमेटी ने सर्वे रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है, लेकिन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एनवी रमना ने फाइल देखे बिना कोई फैसला देने से इनकार कर दिया था।

सर्वे से 100 करोड़ का फटका, श्रद्धालु-व्यापारी नाराज

मस्जिद में सर्वे को लेकर शहर में किराना, कपड़ा और खानपान की सैकड़ों दुकानों के बंद रहने से एक दिन में 100 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ। गौदौलिया, बुलानाला, सप्तसागर, मैदागिन, बांसफाटक समेत प्रमुख कपड़ा, जेवर, बनारसी साड़ी, खानपान और किराना मार्केट आधे की तादात में बंद रहा।


(वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के चलते काशी विश्वनाथ मंदिर का गेट नंबर-1 बंद होने से मायूश लौटते श्रद्धालु)

पुलिस की जबरिया बंदी से सैकड़ों व्यापारियों में नाराजगी भी देखी गई। काशी फड़िया-गल्ला संघ के अध्यक्ष भगवान दास ने बताया कि सर्वे के चलते नियमित और श्रद्धालुओं को कपड़ा-किराना आदि सामान की खरीदारी करने निकले लोग परेशान होते रहे। श्रद्धालुओं के लौटने की वजह से माला-फूल बेचने वाले दुकानदार घर लौट गए।

पचास फीसदी से अधिक सर्वेक्षण, बाकी कल

जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने बताया, 'अदालत के आदेश पर शनिवार सुबह 8 बजे से 12 बजे तक ज्ञानवापी मस्जिद परिसर और उसके आसपास कोर्ट कमिशन की कार्यवाही हुई। इस दौरान वादी-प्रतिवादी पक्ष, उनके अधिवक्ता और मंदिर एवं जिला प्रशासन के अधिकारी मौजूद थे।'

उन्होंने आगे बताया, 'सभी पक्षों ने अदालत के आदेश का पालन किया। शांतिपूर्वक तरीके से सर्वे का कार्य पूरा हुआ। सभी पक्षकार संतुष्ट हैं। लगातार चार घंटे सर्वे के उपरांत लगभग 50 फीसदी से अधिक सर्वेक्षण का कार्य हो चुका है। यह कार्यवाही कोर्ट की निगरानी में हो रही है इसलिए ये जानकारी नहीं दी जा सकती कि कौन-कौन से स्थानों का सर्वे किया गया और वहां क्या-क्या मिला। रविवार सुबह 8 बजे से पुनः सर्वे की कार्यवाही शुरू होगी।'

पब्लिक-मीडिया की एंट्री पर बैन, छतों से निगहबानी

सामाजिक सद्भाव को नुकसान न पहुंचे और मस्जिद के सर्वे के दौरान धर्म विशेष में टकराव की स्थिति न बने इसके लिए इलाके को सील कर चप्पे-चप्पे पर पुलिस, पीएसी, ब्लैक कैट कमांडों, दंगा नियंत्रण फोर्स के हजारों जवानों ने मोर्चा संभाला हुआ था। जो गलियां सील इलाके की सड़कों पर खुलती हैं, इनसे आने वाले लोगों को सिर्फ बाहर आने की इजाजत थी। बाकी सभी पब्लिक, मीडिया और देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं को मस्जिद के चारों तरफ एक किमी की दायरे से बाहर ही रोक दिया जा रहा था। सभी दुकानों को भी बंद करा दिया गया था। आसपास के घरों की छतों पर पुलिस जवान तैनात किए गए।

सर्वे के दौरान सुरक्षा व्यवस्था परखने के लिए डीएम कौशलराज शर्मा और पुलिस कमिश्नर ए.सतीश गणेश ने खुद परिसर के बाहर फोर्स के साथ पैदल मार्च किया। पूरे सर्वे के दौरान मौके पर दोनों अफसर मौजूद रहे। शुरुआत में मुस्लिम पक्ष की ओर से तहखाने की चाबी नहीं देने की बात आई थी, लेकिन पुलिस कमिश्नर ने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों की मौजूदगी में पूरे सद्भाव से सर्वे किया गया है।

वन विभाग की टीम मौजूद रही, मिला सांप ?

ज्ञानवापी के सालों से बंद तहखानों में सर्वे करना था, इसलिए टीम बैटरी लाइट लेकर गई थी। इसके अलावा, ताला तोड़ने वाले, सफाईकर्मियों और वन विभाग की टीम को भी बुलाया गया था। सर्वे टीम को इस बात की आशंका थी कि तहखानों में जहरीले जीव मिल सकते हैं। सर्वे के दौरान ही एक तहखाने में सांप मिलने की चर्चा सामने आई। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई।

साल 1991 से अब तक ज्ञानवापी का पूरा मामला समझिए...

आजादी से पहले से अबतक ज्ञानवापी पर विवाद कई बार सुर्खियों में रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का हिस्सा है। इसको लेकर कई बार मुकदमे हुए, लेकिन वह किसी रिजल्ट तक नहीं पहुंचे हैं।

1991 में पहली बार यह विवाद राष्ट्रीय सुर्खियों में आया। तब वाराणसी के सोमनाथ व्यास समेत तीन ने कोर्ट में केस दायर किया। इसमें इन्होंने ज्ञानवापी को काशी विश्वनाथ परिसर का ही हिस्सा होने की बात कही।

याचिका में कोर्ट से अपील की गई थी कि ज्ञानवापी में दर्शन, पूजन और सनातनी धर्म के अन्य कार्यों को नियमित करने की अनुमति दी जाए। इस मामले में कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को सर्वे करने के आदेश दिए। हालांकि, वाराणसी कोर्ट के इस आदेश पर मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट पहुंच गया। हाईकोर्ट ने सर्वे पर स्टे लगा दिया। तब से यह केस फ्लोर में नहीं आया।

2021 में 5 महिलाओं ने ज्ञानवापी पर दाखिल की याचिका

दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह और बनारस की रहने वाली लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर ने वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में 18 अगस्त 2021 में एक याचिका दाखिल की। इसमें कहा गया कि ज्ञानवापी परिसर में हिंदू देवी-देवताओं का स्थान है। ऐसे में ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं की सुरक्षा के लिए सर्वे कराकर स्थिति स्पष्ट करने की बात भी याचिका में कही गई।

मां श्रृंगार गौरी का मंदिर ज्ञानवापी के पिछले हिस्से में है। 1992 से पहले यहां नियमित दर्शन-पूजन होता था लेकिन बाद में सुरक्षा व अन्य कारणों के बंद होता चला गया। अभी साल में एक दिन चैत्र नवरात्र पर श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन की अनुमित होती है।

5 महिलाओं की याचिका पर करीब आठ महीने तक सुनवाई और दलीलें चलती रहीं। 26 अप्रैल को कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया। इसके लिए कोर्ट ने ही एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किए। सर्वे टीम 6-7 मई को सर्वे के लिए पहुंची तो वहां हंगामा और विरोध हुआ। इसके बाद दोनों पक्ष फिर कोर्ट गए। मुस्लिम पक्ष ने एडवोकेट कमिश्नर को बदलने की मांग की। हिंदू पक्ष ने तहखानों समेत पूरे परिसर की वीडियोग्राफी की मांग की। दोनों ने तीन दिन तक फिर से दोनों पक्षों को सुना। इसके बाद कोर्ट ने 12 मई को फाइनल फैसला सुनाया था।

12 मई को कोर्ट के आदेश की जरूरी बातें आप भी पढ़ें-

- सर्वे के दौरान वादी, प्रतिवादी, एडवोकेट, एडवोकेट कमिश्नर, उनके सहायक और सिर्फ सर्वे से संबंधित लोग ही होंगे। ज्ञानवापी परिसर में और कोई नहीं होगा।

- कमिश्नर कहीं भी फोटोग्राफी के लिए स्वतंत्र होंगे। चप्पे-चप्पे की वीडियोग्राफी की जाएगी।

- जिला प्रशासन ताले को खुलवाकर या ताले को तुड़वाकर भी सर्वे कराएगा। डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी मॉनिटरिंग करें।

- सर्वे पूरा कराने की जिम्मेदारी डीएम, पुलिस कमिश्नर की व्यक्तिगत तौर पर होगी।

- जिला प्रशासन कोई भी बहाना बनाकर सर्वे की कार्रवाई को टालने का प्रयास नहीं करेगा।

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