ग्राउंड रिपोर्ट : PM मोदी के बनारस रूपी 'क्योटो' में करोड़ों रुपये की हेरिटेज लाइट्स बर्बाद, कौन देगा जवाब

Ground Report : कल तक जो काशी शहर को पुरातन, रॉयल और मॉडर्न लुक देने के लिए हेरिटेज लाइट्स की उपयोगिता पर कसीदे पढ़ते नहीं थक रहे थे, आज ऐसे प्राणियों को करोड़ों रुपयों से लगाई गई हेरिटेज लाइट्स की बदहाली और घोर उपेक्षा नहीं दिख रही है...

Update: 2022-09-28 03:30 GMT

 (file photo)

बनारस से उपेंद्र प्रताप की रिपोर्ट

काशी में 26 करोड़ रुपए की लागत से लगाई गई हेरिटेज लाइट्स का वर्तमान अंधेरे में डूब गया है। पचास फीसदी इलाकों में पोलों पर लाइट नहीं जलती और कई जगह से तो यह लाइटिंग गायब ही हो चुकी हैं। गलियों में लगे लाइट्स पर चोरों ने हाथ साफ कर दिए हैं। बस केवल तार का जाल ही दिखाई देता है। बड़ा सवाल कि काशी में 26 करोड़ की लगात से लगे हेरिटेज लाइट्स सिर्फ हाथी के दांत बनकर क्यों रह गए हैं?

नागरिकों का आरोप है कि हेरिटेज लाइट्स लगाने में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है और दोयम दर्जे की लाइटें लगाई गई है। इससे लाइटें जल्दी ख़राब हो गई हैं। कई स्थानों पर पोल्स दरक गए हैं और बल्ब आवरण टूटकर क्षतिग्रस्त हो गया है। इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। लिहाजा केंद्र सरकार की फ्लैगशिप प्रोजेक्ट में शुमार ह्रदय योजना की सफलता को लेकर कई सवाल उठ रहे। वहीं, बनारस की पब्लिक अंधेरे में असहज दिख रही है। प्रशासन अधिकांश लाइटों के ख़राब होने का ठीकरा कार्यदायी संस्था पर फोड़कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है।

गौरतलब है कि मोदी के बनारस को पुरातन और ब्यूटीफुल लुक देने के लिए 26 करोड़ रुपए की लागत से हेरिटेज लाइट्स लगायी गयी थीं। गलियों, मोहल्लों और सड़कों के किनारे लगे इन हेरिटेज लाइट्स के ख़राब होने से स्थानीय लोगों और राहगीरों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। रात के अंधेरे में राह चलते चोटिल होने पर आक्रोशित लोग अधिकारियों को लानतें-मलानतें भेजते हैं, इतना ही नहीं अंधेरे का फायदा उठाकर असामाजिक तत्व चोरी, छिनैती, लूट, चाकूबाजी और राह चलती महिलाओं-युवतियों से छेड़छाड़ करते हैं।

शहर के तेलिया बाग इलाके में हेरिटेज लाइट की दोनों बत्तियां पोल से गायब, रोड पर फैला अंधेरा

काशी विद्यापीठ, लहरतारा, एकता नगर कॉलोनी, रथयात्रा, लक्सा, गोदौलिया, चौक, मणिकर्णिका घाट, हरिश्चंद्र घाट, नई सड़क, बेनियाबाग, पियरी, कबीरचौरा और नगर निगम समेत अनेक स्थानों पर लगी हजारों हैरिटेज लाइट्स महीनों से नहीं जल रही हैं। इतना ही नहीं, हजारों हेरिटेज पोल्स को बेरोकटोक विज्ञापन लटकाने में इस्तेमाल हो रहे हैं।

कुल मिलाकर मोदी सरकार की फ्लैगशिप ह्रदय योजना (नेशनल हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑग्मेंटेशन योजना) द्वारा 26 करोड़ की लगात से लगाए गए हेरिटेज लाइट्स सिर्फ हाथी के दांत बनकर रह गए हैं। नागरिकों का आरोप है कि हेरिटेज लाइट्स लगाने में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है और दोयम दर्जे की लाइट्स लगाई गई थीं। इससे लाइट्स तो ख़राब हो ही रही हैं, साथ ही कई स्थानों पर पोल्स दरक गए हैं और बल्ब आवरण टूटकर क्षतिग्रस्त हो रहा है, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के सामने रोड पर बगैर बल्ब का हेरिटेज पोल

न बना क्योटो, न रहा मौलिक काशी

काशी को जापान के क्योटो पर विकसित करने की तर्ज पर साल 2018 से शहर गलियों, घाटों, पुराने मोहल्लों और सड़कों के किनारे हेरिटेज लाइट लगाने का काम शुरू हुआ था। तकरीबन 26 करोड़ रुपए की लागत से 8000 हेरिटेज लाइट्स शहर के मुख्य हिस्सों में लगाने का काम साल 2020 में पूरा हो गया। तब यह दावा किया गया था कि हेरिटेज लाइट्स से न सिर्फ शहर की खूबसूरती निखरेगी, बल्कि हेरिटेज लाइट्स में लगे एलईडी लाइट्स की वजह से बिजली की बचत होगी।

अभी कुछ दिनों पहले ही बनारस में वरुणा नदी पर बने फुलवरिया फोर लेन की सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर टूट गई थी। अब शहर में मुख्य भागों में लगे बदहाल,बेकार हेरिटेज लाइट्स को शाम ढलते ही अंधेरे मुंह चिढ़ा रहे हैं। लाइट के नहीं जलने और जलते.बुझने से देर शाम और रात में आने जाने में नागरिकों को परेशानी हो रही है। विदित हो कि बनारस में हेरिटेज लाइट्स लगाने का कार्य सीपीडब्ल्यूडीए हृदय योजना और ईईएसएल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।

नदेसर रोड पर हेरिटेज लाइट की एक बत्ती गायब

पुरसाहाल लेने वाला कोई नहीं

स्थानीय लोग कहते हैं, वर्तमान समय में 50 फीसदी से अधिक हेरिटेज लाइट्स बेकार हो गई हैं। इनका पुरसाहाल लेने वाला कोई नहीं है। कल तक जिससे शहर को पुरातन, रॉयल और मॉडर्न लुक देने के लिए हेरिटेज लाइट्स की उपयोगिता पर कसीदे पढ़ते नहीं थक रहे थे, आज ऐसे प्राणियों को करोड़ों रुपयों से लगाई गई हेरिटेज लाइट्स की बदहाली और घोर उपेक्षा नहीं दिख रही है।

लहरतारा में बेकार और उपेक्षित अवस्था में पड़ी हेरिटेज लाइट

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जनता के टैक्स के पैसों को पानी की तरह बहकर हेरिटेज लाइट्स योजना को अंधेरी सुरंग में धकेल दिया गया है। दूसरी बात. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में वाराणसी में जनता से जुड़े योजनाओं के फटेहाल और उपेक्षित पड़ा होना क्या कहता है, तीसरी बात. क्या नगर आयुक्त और डीएम को नहीं पता है कि यह वही शहर है जिसकी चर्चा देशभर में पीएम मोदी स्वयं और सत्तारूढ़ दल काशी मॉडल के तौर पर करती आ रही है और चुनावों में मोटा वोट भी बटोरती है।

अंधेरे के गिरफ्त में काशी की गालियां

हेरिटेज़ लाइट्स एक तरफ शहर में लगाई जा रही थीं, तो कुछ लाइट्स कुछ ही दिनों में खराब रही थी जिसे जिम्मेदार संस्था रिपेयर करती थी। सितंबर 2022 की तारीख में शहर में लगाए गए आठ हजार लाइट्स में से आधे ख़राब हो गए हैं। जो खम्भे पर लगे हैं, उनमें भी कोई न कोई खराबी है। सैकड़ों हेरिटेज पोल्स और लाइट्स जर्जर अवस्था में हैं। वहीं, निगरानी और लापरवाही के चलते सैकड़ों से अधिक पोल्स से लाइट चोर चुरा ले गए हैं। यहां से अंधेरे के मारे कोई गुजरना नहीं चाहता है।

सिगरा इलाके में टूटी व बंद पड़ी हेरिटेज लाइट

स्थानीय लोग शिकायत करते हैं, 'कुछ पोल्स पर जंगली लताएं लिपटी हुई हैं, तो कई पोल्स घरों.मकानों पर झुके हुए अपनी दारुण गाथा गए रहे हैं। मसलन, कई गलियां, घाट, मोहल्ले और सड़क से महीनों से अंधेरे में हैं, जिसका फायदा चोर-उच्चके जरूर उठा रहे हैं। काशी को क्योटो बनाना आज भी सपना है। वैसे भी किसी शहर को हूबहू दूसरे शहर की तरह नहीं बनाया जा सकता है, वाराणसी को तो बिल्कुल भी नहीं।

अंधेरा नहीं छोड़ रहा काशी मॉडल का पीछा

पुरानी एलईडी लाइटों को हटाकर शहर के कई इलाकों में लगाया गया था। इससे नगर की शोभा देखती बनती थी, लेकिन समय बीतने के साथ अब बनारस उसी पुराने ढर्रे पर वापस लौट रहा है। गलियों, सड़कों पर अंधेरा छाने लगा है। कोई जिम्मेदार जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। शहर में लगाई गईं हेरिटेज लाइट्स का काम पूरा होने के बाद इसकी देखरेख के लिए एक कार्यदाई संस्था को जिम्मेदारी दी गई। तीन वर्ष की समयसीमा पूरा होने पर एजेंसी बदल गई। नई एजेंसी हेरिटेज लाइट को सुधारने और व्यवस्था को चुस्त.दुरुस्त में फिसड्डी साबित हो रही है, इसलिए दिन प्रतिदिन हेरिटेज लाइट की दुर्दशा होती जा रहा है। कई इलाकों में इन पोल पर लाइट नहीं जलती और कई जगह से तो यह लाइटिंग गायब ही हो चुकी हैं। गलियों में लगे लाइट्स पर चोरों ने हाथ साफ कर दिए हैं, बस केवल तार का जाल ही दिखाई देता है।

बच्चे-बुजुर्ग हो रहे चोटिल

लहरतारा इलाके में रहने वाले विशाल शिकायत करते हुए कहते हैं, 'बनारस न पहले की तरह बनारस रहा और न ही क्योटो बन पाया है। इतने पैसे खर्च कर लगाई गई लाइट खराब पड़ी हुई है, जिसका फायदा क्या है? इसलिए जरूरी है कि इनको ठीक करवाया जाए, ताकि जिस उद्देश्य से बनारस को हेरिटेज जोन बनाने का काम किया गया है, वह पूरा किया जा सके। सिर्फ पैसे की बर्बादी की जा रही है।

कबीरचौरा इलाके में हेरिटेज पोल्स पर टांगे गए विज्ञापन

हरिनगर इलाके में रहने वाले कृष्णा मौर्य ने जनज्वार को बताया कि हेरिटेज लाइट्स लगाने में बड़ा खेल किया गया है। हमारे ही मोहल्ले को ले लीजिये, मंडुआडीह रोड में चंदुआ सट्टी तक लगी सैकड़ों हेरिटेज लाइट्स में गिनती की कंडीशन में हैं। शेष सभी लाइट्स बेकार पड़ी हुई है। कोई पोल किसी के मकान पर लटका है, किसी पोल की लाइट्स ही चोर चुरा ले गए हैं, किसी लाइट्स का आवरण ही क्षतिग्रस्त हो गया है। वहीं कइयों को पोल और लाइट्स को जंगली लताओं ने जकड़ कर गलियों को अंधेरे में डुबो दिया है।

चौंकाने वाली बात यह है कि यह मोहल्ला नगर निगम के कार्यालय से महज एक किमी की दूरी पर स्थित है। कई बार फोन और लाइनमैन को इनकी मरम्मत के लिए कहा जाता है, लेकिन आज भी हालत जस के तस हैं। शाम ढलते ही बच्चे और बुजुर्गों को आवागमन में दिक्कत होती है।

आखिर क्यों हो रहा विज्ञापन टांगने में पोल्स का इस्तेमाल

शहर के सिगरा, कबीरचौरा, साजन तिराहा, घाट, गलियों, मुख्य सड़कों और चौराहों पर लगे हजारों हेरिटेज लाइट्स पोल्स पर विज्ञापन लटकाए गए हैं। इससे जो लाइट्स उजाला भी करने वाली होती हैं, इनकी रौशनी होर्डिंग्स-बैनर में छिप जाती है। कई. कई स्थानों पर पर पोल से बड़े-बड़े विज्ञापन बैनर लगाए गए हैं। इससे शहर की छवि बदसूरत हो गई है। इन्हें हटाने के लिए नगर निगम द्वारा कवायद नहीं की जा रही है।

स्थानीय नागरिक सूर्यकांत पांडेय का कहना है कि नगर निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही का नतीजा है कि पीएम मोदी के वाराणसी के नागरिकों को अँधेरे में आवागमन करना पड़ा रहा है। शहर की अधिकांश सड़कें बदहाल हो गई हैं। ऐसे में इनके किनारे लगे हेरिटेज लाइट्स के नहीं होने से दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ गई है। रोजाना दो दर्जन से अधिक हादसों में लोग घायल हो रहे हैं। इनकी तत्काल मरम्मत की जानी चाहिए। नगर निगम क्यों अपनी जिम्मेदारी से आंखें बंद किया हुआ है समझ से परे है?

अंधेरे में होती है चोरी, छिनैती और छेड़खानी

पत्रकार राजीव कुमार सिंह कहते हैं कि हाल के महीनों में चोरी, चेन स्नैचिंग, लूट, चाकूबाजी और छेड़छाड़ की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। कई घटनाएं ऐसे स्थानों पर हुई हैं, जहां अन्धेरा पसरा रहता है। असामाजिक तत्व, बदमाश और मनचले अंधेरे का लाभ उठाकर अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। कई मामलों में पुलिस के हाथ खाली रह जाते हैं और बदमाश घटना को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। मंडुआडीह, सिगरा, लहरतारा, कैंट, चौकाघाट, कबीरचौरा, तेलियाबाग, नदेसर, घौसाबाद, गाटरपुल, हरिनगर, रेलवे कॉलोनी समेत तीन दर्जन से अधिक इलाकों में शाम ढलते ही खेलेआम गांजा का सेवन, महिलाओं-युवतियों पर छींटाकशी, चाकू व तमंचे की नोंक पर छिनैती, चेन स्नैचिंग और मारपीट की घटनाएं आम हो गयी हैं। यदि इन इलाकों में उचित प्रकाश की व्यवस्था रहे तो सीसीटीवी कैमरों के द्वारा असामाजिक तत्वों की शिनाख्त कर कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन इलाकों में लगे हेरिटेज लाइट्स के खराब होने से स्थिति और भी बाद से बदतर है।

घंटीमील रोड स्थित बाजार में लताओं से घिरी बंद पड़ी हेरिटेज लाइट

एक दिन कबाड़ बन जाएंगी हेरिटेज लाइट्स

वहीं वैभव कुमार त्रिपाठी गुस्सा दर्ज करते हुए कहते हैं, हेरिटेज लाइट्स की विफलता और शहर की गलियों में अंधेरा पसरने की जिम्मेवार नगर निगम, सरकार, नगर विकास मंत्रालय और कार्यदायी संस्था है। करोड़ों खर्च करने के बाद भी शहर अंधेरे में डूबा हुआ है। जिनके घरों.मकानों और दुकानों के सामने लाइट्स लगे हैं, वे इनके नहीं उजाला करने से परेशान है। नगर निगम को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और तत्काल सुधार कराए। अन्यथा बारिश-पानी, धूप और तूफ़ान में निम्नस्तर की लगाई लाइट्स कबाड़ बन जाएंगी, जिससे जनता के टैक्स का करोड़ों रुपए बर्बाद हो जाएंगे।

काशी में यहां लगी है हेरिटेज लाइटें

कैंट स्टेशन तिराहे से साजन चौराहा तक

लहरतारा तिराहे से भिखारीपुर चौराहे तक

भिखारीपुर तिराहे से गांधी नगर नरिया

अतुलानंद स्कूलए गिलट बाजार से पुलिस लाइन चौराहे तक

पुलिस लाइन चौराहे से चौकाघाट वरुणा ब्रिज तक

पांडेयपुर काली माता मंदिर से आशापुर चौराहे तक

आशापुर चौराहे से सारनाथ संग्रहालय तक

वरुणा पुल से नदेसर होते हुए अंधरापुल तक

अंधरापुल से मरी माई मंदिर होते हुए मलदहिया चौराहे तक

मलदहिया चौराहे से इंग्लिशिया लाइन चौराहा

आंकड़ों पर एक नजर

4700 लाइटें हेरिटेज स्थलों व घाटों पर लगी हैं

 3600 स्ट्रीट लाइटों से जगमग होती हैं कॉलोनियों की सड़कें

 56 हजार रुपये एक हेरिटेज लाइट पर आता है खर्च

इस मामले में बातचीत करने पर वाराणसी नगर निगम के नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने लाइट्स के नहीं जलने और अधिकांश के ख़राब होने के सवाल पर लापरवाही का ठीकरा कार्यदायी संस्था पर फोड़ दिया। वे कहते हैं, नगर निगम में आलोक विभाग को जिम्मेदारी दी गई है। आलोक विभाग अपने स्तर पर सर्वे करवाकर इन लाइटों को ठीक करने में जुट गया है। इसके अलावा इसकी देखरेख भी प्रॉपर तरीके से की जाएगी। इसका असर भी आने वाले दिनों में दिखाई देने लगेगा।

हरिनगर में क्षतिग्रस्त हेरिटेज लाइट

पोल पर होर्डिंग और बैनर लगने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभियान चलाकर होर्डिंग्स व बैनर हटा दिए जाते हैं। जो नहीं मानते उन पर कार्रवाई भी की जाती है। वहीं, पीआरओ संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि शहर में हेरिटेज लाइट लगाने का कार्य सीपीडब्ल्यूडी, हृदय योजना और ईईएसएल द्वारा किया गया है। साल 2018 में काम शुरू हुआ और 2020 तक काम पूरा कर लिया गया है। जिन इलाकों की लाइटें नहीं जल रही हैं, इनकी सूची तैयार कर ली गई है। दशहरा से पहले सुधार कर लिया जाएगा।

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