बेसिक शिक्षा मंत्री बोले, पूरे UP में चुनाव के बाद कोरोना से सिर्फ 3 शिक्षक मरे, लेकिन उन्हीं के जिले में 18 शिक्षकों की मौत
पंचायत चुनाव के प्रशिक्षण से लेकर मतदान व मतगणना तक की ड्यूटी में लगे 1621 शिक्षकों के मौत को शिक्षक संगठन महामारी का शिकार होना बता रहा है तो मगर योगी सरकार इस तथ्य को झुठलाते हुए कहती है मरे हैं सिर्फ 3 शिक्षक...
पूर्वी उत्तर प्रदेश से जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
जनज्वार। पंचायत चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में 1621 शिक्षकों की मौत के शिक्षक संगठनों के दावों को झूठलाते हुए उत्तर प्रदेश के योगी सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री के बयान को क्या कहा जाए। मंत्री सतीश चंद द्विवेदी मात्र 3 शिक्षकों के मौत की बात स्वीकारते हैंं। ऐसे में पंचायत के दौरान एक माह के अंतराल में हजारों की संख्या में शिक्षकों की मौत को आखिर क्या कहा जाएगा।
सरकार भले ही मौत के संख्या पर पर्दा डालने की तमाम कोशिश करे, पर शासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी मृत्यु प्रमाणपत्र को आखिर वह कैसे खारिज कर देगी। आखिर मृत शिक्षकों को खो देने वाले शिक्षक साथियों, परिजनों, दोस्तों व रिश्तेदारों को सरकार व इनके मंत्री क्या जवाब देंगे।
पंचायत चुनाव के प्रशिक्षण से लेकर मतदान व मतगणना तक की ड्यूटी में शिक्षकों के मौत को शिक्षक संगठन महामारी का शिकार होना बता रहा है तो सरकार इसे कैसे खारिज कर दे रही है। मौत की संख्या को भी आखिर कैसे झूठलाया जा सकता है?
बेसिक शिक्षा मंत्री तीन शिक्षकों की मौत को असली संख्या भले बता दें, पर अपने ही गृह जनपद सिद्धार्थनगर के लोगों को कैसे दिलासा दिला देंगे। मृतक शिक्षकों के परिजन चीख-चीखकर कह रहे हैं, आपने जिन मतदाताओं की बदौलत ये पद और शोहरत हासिल की है, उनको तो कृपया मत झूठलाइए। यह बातें शिक्षक संगठन के पदाधिकारी भी कह रहे हैं, जिन्होंने 18 शिक्षकों के मौत की सूची आपको व जिले के विभागीय अधिकारियों को दी है।
ये सब बातें भी विरोधियों की राजनीतिक साजिश है तो शिक्षा विभाग के अधिकारियों के उन बयानों को क्या कहेंगे, जिसमें उन लोगों ने मृतकों की सूची सचिव बेसिक शिक्षा विभाग प्रयागराज को दी है।
पहले बात कर रहे हैं बेसिक शिक्षा मंत्री के द्वारा जिन शिक्षकों के मौत को कोरोना से बताया जा रहा है। इनमें नरेंद्र गुप्ता सहायक अध्यापक, उच्चतर प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर मैनपुरी, बृजकिशोर नारायण प्रधानाध्यापक, उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सिंहपुर मैनपुरी और सत्येंद्र कुमार सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय छोटी बिलहरी, चित्रकूट शामिल हैं।
शिक्षक संगठनों के दावों की सच्चाई जानने के लिए भले फिर से जांच की जाएगी, पर यहां मृत शिक्षकों की परिजनों की जुबानी उनके द्वारा दर्शाए गए मृत्यु प्रमाणपत्र की बात करते हैं। पंचायत चुनाव की प्रक्रिया के दौरान तकरीबन एक माह के अंदर डेढ़ हजार शिक्षकों की मौत आखिर कैसे हो जाएगी?
देवरिया जनपद के लार ब्लॉक अंतर्गत राउतपार अमेठीया के प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक आफाक अहमद। वर्ष 2019 में उनके बेहतर शिक्षण कार्य के लिए सरकार ने राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित किया था। कोरोना से उनकी मौत हो चुकी है।
रामनगर लार निवासी अफाक के परिजनों का कहना है कि 12 अप्रैल को पंचायत चुनाव को लेकर आयोजित प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए गए थे, इसके बाद से ही बीमार थे। इनका लार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एंटीजन जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव आया। 18 अप्रैल को जिला मुख्यालय स्थित को कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां हालत बिगड़ने पर परिजनों ने इलाज के लिए बिहार के राजधानी पटना स्थित प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 30 अप्रैल को उनकी मौत हो गई।
लार रोपन छपरा प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक संतोष गुप्ता की 16 अप्रैल को कोरोना से मृत्यु हो गई। घरवालों के मुताबिक पंचायत चुनाव को लेकर आयोजित प्रशिक्षण में शामिल होने के बाद से बीमार थे। बुखार व खासी के साथ उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी।
प्राथमिक शिक्षक संघ लार ब्लॉक अध्यक्ष गोविंद मिश्र कहते हैं, प्राथमिक विद्यालय रुच्चापार के प्रधानाध्यापक लक्खी राम पंचायत चुनाव का मतदान कराकर घर लौट रहे थे कि रास्ते में बढ़या हरदो के समीप मार्ग दुर्घटना में उनका निधन हो गया। मतदान केंद्र से घर के बीच अगर हादसे का शिकार हुए हैं तो नियमानुसार मुआवजा मिलना चाहिए, लेकिन इस पर सरकार की चुप्पी ठीक नहीं है। प्राथमिक विद्यालय मठ लार के अध्यापक प्रदीप कुमार प्रजापति 13 अप्रैल को मतदान कार्य को लेकर प्रशिक्षण में हिस्सा लिए। 2 दिन बाद बुखार की शिकायत आई तो गोरखपुर के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान आखिरकार उन्होंने दम तोड़ दिया।
गौरी बाजार जोगिया निवासी प्रदीप कुमार जूनियर हाई स्कूल गोपालपुर में शिक्षक के पद पर कार्यरत थे। 17 अप्रैल को उनका निधन हो गय। घरवालों के मुताबिक मतदान ड्यूटी को लेकर प्रशिक्षण में हिस्सा लेने के बाद से ही वे बीमार थे। बुखार व खासी के अलावा सांस लेने में दिक्कत थी। जूनियर हाईस्कूल सूर्यपुर मैं तैनात बनिययनी निवासी अध्यापक अवधेश प्रताप नारायण सिंह की भी कोरोना से मौत हो गई। उच्च प्राथमिक विद्यालय अकटहीया गौरी बाजार के प्रभारी प्रधानाध्यापक राजेश कुमार सरोज मतदान कराने के बाद से बीमार चल रहे थे, जिनका बाद में निधन हो गया। परिजनों के मुताबिक कोरोना संक्रमण के बाद इलाज के दौरान इनका निधन हुआ। वे भृगुशरी राम लछन के रहने वाले थे। भटनी के मंजूर आलम सहायक अध्यापक की कोरोना से मौत हो गई।
उत्तर प्रदेश जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष अखिलेश कुमार मिश्र और महामंत्री नंदलाल ने शासन को भेजे पत्र में 28 शिक्षकों के कोरोना संक्रमित होने से मौत होने का दावा किया है, जिसमें सदर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय नारायणपुर के रमेश यादव, सझवालिया के बृजेश कुमार, धनावती मिस्र की कुष्मावती पांडेय, नगयुर के नीलिमा सिंह, रानी घाट के उमेश चंद्र यादव, लहिल पार के सुशीला गुप्ता, गौरी बाजार प्रखंड के गोपाल शरण मिश्रा, भटोली बुजुर्ग की आशा, गोपालपुर के प्रदीप कुमार, लार राउत पार अमेठी के प्रधानाध्यापक अफाक आमद, रुच्चापार के लक्खी राम, रोपन छपरा के संतोष गुप्ता, बनकटा ब्लॉक के बिशनपुरा प्राथमिक विद्यालय की उषा श्रीवास्तव, भागलपुर ब्लॉक रंभवली प्राथमिक विद्यालय के जावेद अहमद, शुकुलपुर आके राम, सलेमपुर बंजरिया के सुधीर कुमार मिश्र, मझोली राज के मोहम्मद इसराइल, नादघाट के मारुक, बलवान धक पूरा के सत्येंद्रनाथ त्रिपाठी, रामपुर कारखाना बीरपुर की माया रानी, ब्राइट उलाला की आशा देवी, पथरदेवा के छोटे लाल यादव, अलावलपुर के मंजूर आलम, नुसरत जहां और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात वरिष्ठ लिपिक शामिल हैं।
बेसिक शिक्षा मंत्री के जनपद के मृत शिक्षकों की सूची
बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद के गृह जनपद सिद्धार्थनगर के शिक्षक भी उनके बयान से नाराज हैं, जिसमें उन्होंने मात्र 3 शिक्षकों के पंचाय चुनाव के दौरान मौत की बात कही है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ सिद्धार्थ नगर के जिलाध्यक्ष राधे रमण त्रिपाठी द्वारा जारी की गई शिक्षकों की सूची में सतीश कुमार, अश्वनी तिवारी, दीपक सिंह, दिनेश कुमार, लल्लन राम, दिनेश मिश्र, पीयूष कुमार, श्रीमती मीना कुमारी, प्रदीप कुमार, रानी वर्मा, सुषमा कश्यप, रामानुज पांडेय, छोटी लाल विश्वकर्मा, अवधेश प्रजापति, हरिद्वार प्रसाद, घनश्याम समेत 18 मृतकों के नाम शामिल हैं। शिक्षक संगठन के मुताबिक पंचायत चुनाव के दौरान संक्रमित होने से इनकी मौत हुई है।
मंत्री के बयान पर शिक्षक संगठनों में आक्रोश
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बेसिक शिक्षा मंत्री और सरकार की सूचना को गलत ठहराते हुए कहा कि प्रदेश के पांच लाख प्राथमिक शिक्षक पंचायत चुनाव में कोरोना संक्रमण की वजह से जान गंवाने वाले अपने साथियों की मौत पर खामोश नहीं रहेंगे। हर स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे। सरकार को चुनौती दी कि तीन शिक्षकों के अलावा सूची में दिए गए बाकी 1618 शिक्षकों-कर्मचारियों में से किसी एक को भी वह जिंदा साबित कर दे। उन्होंने कहा कि दरअसल सरकार को यह इल्म ही नहीं था कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में पंचायत चुनाव कराने पर उसमें ड्यूटी करने वाले शिक्षकों व अन्य कार्मिकों की इतनी बड़ी संख्या में मौत हो सकती है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री और प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्र ने भी सरकार के रवैये को संवेदनहीन बताया है। उन्होंने कहा कि शिक्षक महासंघ इसके लिए सड़क पर भी संघर्ष करेगा। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) के सुशील पांडेय ने भी चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अतिशीघ्र सभी मृत शिक्षकों के आश्रितों को अनुग्रह राशि के साथ तृतीय श्रेणी की नौकरी नहीं दी तो संगठन आंदोलन के लिए मजबूर होगा।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी लिखा पत्र
शिक्षक संगठनों द्वारा जारी पत्र पर अपना मोहर लगाते हुए विभिन्न जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने शासन को सूचना भेजी थी। इटावा की बीएसए कल्पना सिंह ने मृत शिक्षकों की सूची शासन को भेजी है । जिसमें नगर क्षेत्र के एक, जसवंत नगर के एक, महोबा के दो, सैफई के एक, बस रिहा के तीन शिक्षक शामिल हैं। शिक्षक संगठनों द्वारा कोरोना संक्रमण से शिक्षकों के मौत संबंधित सूची उन्नाव के बीएसए को दी गई थी, जिसे बीएसए ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को भेजा है। इसी तरह का पत्र 12 शिक्षकों की मौत संबंधित जालौन के बीएसए ने शासन को भेजा है। बेसिक शिक्षा अधिकारी फिरोजाबाद अरविंद पाठक ने किसी मई को दूर शिक्षकों के मौसम मंदिर सूचना शासन को भेजी थी, इसी तरह बचपन सीटों की मौत संबंधित पत्र लखीमपुर खीरी के शिक्षा अधिकारी ने शासन को भेजा था।
विपक्षी पार्टियां भी हुईं हमलावर
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कि यूपी का समस्त शैक्षिक जगत भाजपा सरकार द्वारा मृतक शिक्षकों व शिक्षामित्रों के प्रति तिरस्कारपूर्ण रवैये से बेहद आक्रोशित है, भाजपा सरकार मृतकों की संख्या केवल '3' बता रही है, भाजपा सरकार शिक्षक संघ की '1621' मृतकों की सूची को मुआवज़े का मान न देकर मृतकों का अपमान कर रही है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, 'पंचायत चुनाव में ड्यूटी करते हुए मारे गए 1621 शिक्षकों की उप्र शिक्षक संघ द्वारा जारी लिस्ट को संवेदनहीन यूपी सरकार झूठ कहकर मृत शिक्षकों की संख्या मात्र 3 बता रही है, शिक्षकों को जीते जी उचित सुरक्षा उपकरण और इलाज नहीं मिला और अब मृत्यु के बाद सरकार उनका सम्मान पहले छीन रही है।'
बेसिक शिक्षा मंत्री दे रहे दलील
प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा है कि भ्रामक सूचना के आधार पर विपक्ष के नेता गण ओछी राजनीति कर रहे हैं। कोरोना काल मे राजनीति बिल्कुल गलत है। राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश के जिलाधिकारियों से प्राप्त अधिकृत सूचना दी है। चुनाव ड्यूटी के दौरान केवल 3 शिक्षकों की मृत्यु हुई है। उनके परिवार को 30 लाख अनुग्रह राशि तथा सरकारी नौकरी दी जाएगी। अन्य समस्त देय प्राथमिकता के आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा दिया जाएगा।
शिक्षक संगठन और विपक्ष के हमले के बाद सीएम का आया बयान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि चुनाव ड्यूटी करनेवाले जो भी व्यक्ति कोरोना के कारण दिवंगत हुए हैं, उन्हें चुनाव आयोग की गाइड लाइन में संशोधन कर मुआवजा व नौकरी दिए जाने का निर्देश दिया है। चुनाव आयोग की गाइडलाइन जब जारी हुई थी उस समय कोरोना नहीं था। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, मुख्य सचिव को निर्देश दिया गया है कि इलेक्शन ड्यूटी के कारण जिन कर्मियों को संक्रमण हुआ और बाद में उनकी मौत हुई, उन सभी को नियमानुसार मुआवजा देने के संबंध में चुनाव आयोग से संवाद करें।