महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ - छात्रों की मांग प्राॅक्टर हटाओ, प्राॅक्टर बोलीं परीक्षा पास किए बिना प्रमोट होना चाहते प्रदर्शनकारी छात्र

Mahatma Gandhi Kashi Vidyapith Student hunger strike : अपनी मांगों को लेकर पिछले 4 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन नहीं सुन रहा बात, इसलिए आज से अन्न एवं जल का त्याग कर लगभग 12 छात्र बैठ गये हैं आमरण अनशन पर...

Update: 2022-09-15 15:43 GMT

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में प्रशासन और विद्यार्थी आमने-सामने, चीफ प्रॉक्टर का दावा बिना परीक्षा के पास होना चाहते हैं प्रदर्शनकारी छात्र

बनारस से अंकित सिंह की रिपोर्ट

Mahatma Gandhi Kashi Vidyapith Student hunger strike : महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी (MGKVP) में माहौल सामान्य नहीं है, इसकी वजह है पिछले दिनों बीए तृतीय वर्ष के रिजल्ट में आई गड़बड़ी। इस घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्र आमने-सामने हैं!

छात्रों का आरोप है कि रिजल्ट में हुई गड़बड़ी के बाद वे कुलपति के पास अपनी शिकायत दर्ज कराने गये थे। उसी दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन के इशारे पर पुलिस द्वारा विद्यार्थियों पर किए गए बल प्रयोग से वो इतने आहत हुए कि उन्होंने अपनी एक नई मांग सामने रख दी। विश्वविद्यालय की चीफ प्रॉक्टर (कुलानुशासक) प्रोफेसर अमिता सिंह को उनके पद से बर्खास्त करवाना अब धरनारत छात्रों की मुख्य मांग बन चुकी है।

प्रशासन और विद्यार्थियों के बीच इस टकराव की पटकथा उस समय शुरू हुई जब महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में स्नातक के रिजल्ट में गड़बड़ियों को दुरुस्त कराने के लिए छात्रों ने सोमवार 12 सितंबर को प्रशासनिक भवन पर धरना प्रदर्शन किया। मौके पर पुलिस और छात्रों के बीच नोकझोंक भी हुई। पुलिस ने कई छात्रों को हिरासत में ले लिया। सूचना मिलने पर वहां छात्रनेता भी पहुंच गये और विरोध जताते हुए प्रशासनिक भवन पर ताला जड़कर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया।

धरने के चौथे दिन यानी गुरुवार 15 सितंबर को जब विश्वविद्यालय के द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, उनकी मांग की तरफ ध्यान नहीं दिया गया तो छात्र नेता एवं विद्यार्थी आमरण अनशन पर बैठ गए।

आमरण अनशन पर बैठे छात्र अभिषेक मिश्रा कहते हैं, वह पिछले 4 दिनों से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और प्रशासन द्वारा उनकी बात न सुने जाने पर आज अन्न एवं जल का त्याग कर अपने क़रीब 12 साथियों सहित आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।

वहीं छात्रसंघ अध्यक्ष शशि प्रकाश चंदन शिकायती लहजे में कहते हैं, 'रिजल्ट में हो रही गड़बड़ी मात्र इस वर्ष की गड़बड़ी नहीं है, बल्कि इस तरह की गलती आए दिन देखने को मिलती है। जहां विद्यार्थी परीक्षा देता है, उसके बावजूद भी उक्त विषय की परीक्षा में उनकी अनुपस्थिति दिखा दी जाती है तो कभी जीरो नंबर दे दिया जाता है। अब समझ में नहीं आता है कि गलती किसकी है और इस तरह की गलती हर बार क्यों हो रही है। तृतीय वर्ष के विद्यार्थी जिन्हें कुछ दिनों के बाद अलग-अलग विषयों में दाखिला लेना है, वह अपने अग्रिम एडमिशन के लिए के लिए तैयारी करें या मार्कशीट का सुधार करवाने के लिए विश्वविद्यालय के चक्कर लगाए।


इसी दौरान हमारी मुलाकात हुई शिवानंद दुबे से हुई, जो महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के ही सम्बद्ध श्री रामकृष्ण कॉलेज गोकुल करशना वाराणसी में बीए तृतीय वर्ष के छात्र हैं, उनका आरोप है, 'मैंने प्रायोगिक परीक्षा मुख्य परिसर में ही दिया है। उसके बावजूद प्रायोगिक परीक्षा में अनुपस्थिति दिखाया गया है और फेल कर दिया गया है। अब मेरी हालत यह है कि मैं आगे की पढ़ाई के लिए प्रवेश कैसे लूं... अभी तक मेरी समस्या के निवारण हेतु विश्वविद्यालय की तरफ़ से आधिकारिक तौर पर अभी तक मुझे कोई आश्वासन प्राप्त नहीं हुआ है।

वहीं जनज्वार से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर अमिता सिंह कहती हैं, उनको पद से हटवाने के लिए विद्यार्थियों का एक हठ है। इसके साथ ही उन्होंने उस ख़बर का खण्डन भी किया, जिसमें यह दावा किया जा रहा था कि कुलानुशासक अपने पद से इस्तीफ़ा देने वाली हैं। उन्होंने यह साफ़ कह दिया कि वह अपने पद पर यथावत बनी रहेंगी और विश्वविद्यालय प्रशासन तथा शिक्षक वर्ग पूर्णतः उनके साथ खड़ा है। आगे उन्होंने बताया कि कुछ चुनिंदा विद्यार्थी अपने निजी स्वार्थ हेतु धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। रिजल्ट में हुई गड़बड़ी को लेकर उन्होंने कहा कि ये कुछ तकनीकी खामियों की वजह से समस्या आई हैं, जिनका निस्तारण बहुत ही जल्द किया जाएगा।

विद्यार्थियों पर आरोप लगाते हुए अमिता सिंह कहती हैं, कोविड के दौरान बच्चों को प्रमोट कर दिया गया था। वह छात्र चाहते हैं कि इस वर्ष भी उन्हें प्रमोट किया जाए, जो संभव नहीं है। अगर आप कॉपी में 2 पन्ने भरेंगे तो नंबर भी उसी के अनुसार मिलेंगे। प्रोफेसर अमिता सिंह का कहना है कि रिज़ल्ट में गड़बड़ी मात्र 20.25 विद्यार्थियों के साथ ही हुई है, जबकि धरना दे रहे छात्रों की मानें तो ऐसा सैकड़ों विद्यार्थियों के साथ हुआ है।

हालांकि अब ये देखना दिलचस्प होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन और विद्यार्थियों के बीच बना ये तनाव किस मोड़ पर आकर ठहराव होगा।

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