देव दीपावली से 2 दिन पहले तक मोदी के बनारस में घाट पटे हैं गाद और शील्ट से, शासन-प्रशासन की भूमिका पर उठ रहे सवाल

Dev Deepawali : देव दीपावली के मात्र 2 दिन शेष हैं, वहीं वाराणसी नगर निगम सहित अन्य कार्यदायी संस्थायें व्यवस्था और सुरक्षा के नाम पर मात्र खानापूर्ति करती हुई नजर आ रही हैं। देव दीपावली के पर्व के इतने करीब होने के बावजूद बनारस के 84 घाटों की सूरत अभी नहीं बदल पाई है...

Update: 2022-11-04 01:13 GMT

देव दीपावली के 3 दिन पहले तक बनारस के घाटों पर नजर आ रही ऐसी तस्वीर

वाराणसी से देवेश पांडेय की रिपोर्ट

Dev Deepawali : प्रकाश उत्सव दीपावली के बाद बनारस में एक और दीपावली मनायी जाती है, जिसका नाम है देव दीपावली। यह त्यौहार हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस बरस भी देव दीपावली का त्यौहार विद्वत परिषद की सलाह के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में 7 नवम्बर को मनाने की योजना है।

देव दीपावली पर पूरे देशभर से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु इसकी भव्यता और सुंदरता को निहारने के लिए बनारस पहुंचते हैं, मगर इस साल बारिश और गंगा में 4 बार आई लगातार बाढ़ के कारण पूरे शासन-प्रशासन की पोल खोल करके रख दी है। देव दीपावली के मात्र 2 दिन शेष हैं, वहीं वाराणसी नगर निगम सहित अन्य कार्यदायी संस्थायें व्यवस्था और सुरक्षा के नाम पर मात्र खानापूर्ति करती हुई नजर आ रही हैं। देव दीपावली के पर्व के इतने करीब होने के बावजूद बनारस के 84 घाटों की सूरत अभी नहीं बदल पाई है।

रास्ते भी नहीं सुधरे अभी तक

देव दीपावाली के दिन लाखों की संख्या में भक्तों का रेला शहर के अंदर आने को लगा रहता है। पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र होने के बावजूद बनारस की सड़के गड्ढे और बदबूदार रास्तों से लैस पटी हुई हैं। बनारस के प्रसिद्ध घाट दशाश्वमेध को जाने वाले रास्ते की हालात और भी बदतर है। इस रास्ते में जहां बड़े बड़े गड्ढे हैं, वहीं इन्हीं रास्तों में बांस की बल्लियों का जखीरा रखा हुआ है। इन्हें हटाने वाला भी कोई नहीं है। इसके साथ ही ट्रैफिक पुलिस की तरफ से लगाया साइन बोर्ड टूटकर सड़क पर लटका हुआ है, जोकि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के विकास के वादे की कहानी को बयां करता है। स्मार्टसिटी वाराणसी यूनिट की तरफ से लगाई एलसीडी भी बीच चौराहे पर टूटकर खराब पड़ी हुई है, उसे भी ठीक कराने की सुध प्रशासन को नहीं है। देव दीपावली पर शहर के अंदर आने वाले लाखों पर्यटकों के बीच पूर्वांचल का मैनेचेस्टर और धर्म, आस्था, ज्ञान, विद्या,संस्कृति की राजधानी कहे जाने वाला बनारस अपनी कौन सी छाप छोड़ेगा, यह सवाल जरूर पैदा होता है।

रास्ते में जहां बड़े बड़े गड्ढे हैं, वहीं इन्हीं रास्तों में बांस की बल्लियों का जखीरा रखा हुआ है

घाटों से नहीं हट पायी गाद और शिल्ट

वाराणसी नगर निगम ने दावा किया था कि बनारस के 84 घाटों से गाद और शिल्ट को हटाने के लिए 16 जेटी मशीनों के साथ कई जोनल अधिकारियों की तैनाती की गई है, परंतु इनकी हकीकत घाटों पर जाकर रियल्टी चेक करने के दौरान पता चलती है। अभी भी घाटों पर उतनी ही मात्रा में रेत के टीले और गाद जमी हुयी है। इसे हटाने की बस खानापूर्ति की जा रही है। इस लापरवाही के कारण देव दीपावली के दिन किसी भी भक्त का पैर फिसलने के कारण कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है।

वाराणसी स्मार्ट सिटी पीआरओ शाकंभरी नंदन सोंथालिया सफाई व्यवस्था पर कहते हैं, 'स्मार्ट सिटी यूनिट द्वारा भी देव दीपावली की भव्यता और सुंदरता को बनाने के लिए कार्य किये जा रहे हैं। सड़क के किनारे जो एलईडी टूटी हुई है, उसे तत्काल रूप से ठीक करवाने का काम किया जायेगा।'

बनारस के घाटों का हाल

10 लाख दिये जलाने के हैं दावे

वाराणसी नगर निगम प्रशासन और गंगा सेवा निधि के द्वारा इस बार की देव दीपावली के दिन बनारस के सभी 84 घाटों पर एक साथ 10 लाख दिये जलाने की बात कही जा रही है। इन दीयों को जलाने का काम घाटों पर तीन तरीके से किया जाता है। 50 प्रतिशत दीयों को जलाने का काम वाराणसी नगर निगम द्वारा किया जाता है और बाद में 30 प्रतिशत दीयों को जलाने का काम गंगा सेवा निधि के द्वारा वितरण करके करवाया जाता है। बाद में 20 प्रतिशत दीयों को जलाने का काम विभिन्न घाटों के किनारे बसे स्थानीय मांझी यानी मल्लाह समाज के लोगों द्वारा किया जाता है।

वाराणसी नगर निगम के पीआरओ संदीप श्रीवास्तव जनज्वार से हुई बातचीत में कहते हैं, एक दीये को जलाने पर लगभग 25 ग्राम तेल का खर्च आता है यानी 10 लाख दीयों को रोशन के लिए करीब 25 हजार KG तेल की आवश्यकता होगी। इन सबके साथ ही देव दीपावली के भव्यता और सुंदरता को बनाने के लिए राज्य की योगी सरकार की तरफ से 5 करोड़ का बजट पारित कर दिया गया है, परंतु वास्तविकता में अभी भव्यता और सुंदरता देखने को नहीं मिल रही है। राज्य सरकार के बजट को पास करने के साथ ही स्थानीय स्तर पर बनारस के अंदर मौजूद स्वयंसेवी संस्थाओं और मंदिरों के ट्रस्टों द्वारा 2 करोड़ रुपये तक का खर्च देव दीपावली के अवसर पर किया जाता है।

वहीं नगर निगम वाराणवी पीआरओ संदीप श्रीवास्तव सफाई व्यवस्था के सवाल पर कहते हैं, 'नगरआयुक्त महोदय की गाइडेंस में घाटो की सफाई और कूड़ा उठाने का प्रमुखता से करवाया जा रहा है। हमारे जोनल अधिकारियों के निर्देशन में कई जेटी मशीने लगी हुई हैं, जो कि कार्य कर रही हैं। घाटों में ज्यादा मात्रा में शिल्ट और गाद होने कारण उन्हें साफ करने में ज्यादा समय लग रहा है। इसी के साथ छठ पर्व होने के कारण भारी मात्रा में कूड़ा घाटों के किनारे हो गया था जिन्हें हटवाने के लिए एक्सट्रा सफाईकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है।'


नमो घाट को वीवीआईपी घाट बनाने के कारण स्थानीय जनता में रोष

इस बार वाराणसी नगर निगम के तरफ से डवलप किये गए नमो घाट को वीवीईआपी के लिए आरक्षित कर दिया गया है। शहर प्रशासन की प्लानिंग है कि देव दीपावाली के दिन गंगा की भव्यता को देखने को और दीपक जलाने का काम नमो घाट से वीवीआईपी के द्वारा किया जायेगा, जिसमें शहर के गणमान्य लोगो के साथ नेता और अन्य वीवीआईपी भी मौजूद रहेंगे।

स्थानीय नागरिक विभास जोशी कहते हैं, 'सभी घाट और लोग एक बराबर होने चाहिए। नमो घाट को इस तरह से वीवीआईपी के लिए रिजर्व किया जाना सरासर गलत है।'

सूत्रों के मुताबिक नमो घाट पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भी कार्यक्रम आयोजित होना था, जो सुरक्षा और अन्य कारणों की वजह से निरस्त हो गया है। इसके बावजूद अन्य वीवीआईपी के लिए नमो घाट को अभी भी रिजर्व रखा गया है, जिसको देखते हुए शहर के स्थानीय लोगो में रोष है। जनता का कहना है क्या वह शहर के नागरिक नहीं है, क्या वह शहर की सुविधाओं के लिए टैक्स नहीं चुकाते, प्रशासन द्वारा किसी एक घाट को वीवीआईपी के लिए रिजर्व करना कतई सही नहीं है और उनके साथ अन्याय है।


वाराणसी मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा के मुताबिक, 'नमो घाट पर सीएम एवं राज्यपाल सहित अन्य वीवीआईपी के कार्यक्रम का प्लान है। नमो घाट से ही सीएम राजघाट के लिए रवाना होंगे। ऐसे में 6 नवम्बर तक सारी तैयारिया को पूर्ण कर लिया जायेगा।'

हालांकि सवाल देव दीपावली के लिए शहर में आने वाले लाखोंलाख लोगों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी उठ रहे हैं, जिसके बारे में काशी डीसीपी रामसेवक गौतम कहते हैं, 'देव दीपावली के दिन घाटों के तरफ जाने वाले सभी रास्तों पर अवांछित तत्वों को हटाते हुए मार्गों को क्लीयर करवाया जायेगा, जिससे कि किसी भी आने जाने वाले पर्यटक को कोई भी असुविधा न हो।'

आवारा पशु बिगाड़ न दें देव दीपावली की रौनक

वाराणसी नगर निगम के पशु चिकित्सा विभाग द्वारा बार बार दावा किया जाता है कि शहरी सीमा क्षेत्र से आवारा पशुओं को हटाते हुए उन्हें कैटल हाउस या कांजी हाउस में शिफ्ट कर दिया गया है, लेकिन पशु विभाग का दावा पूरी तरीके से खोखला साबित हो रहा है। शहर की सड़कों पर आज भी सैकड़ों की संख्या में आवारा पशु टहलते नजर आ रहे हैं। आवारा पशुओं के कारण सड़कों पर आए दिन हादसे होते रहते हैं। बीते कई दिनों में इन्ही सड़कों पर भंयकर हादसे आवारा पशुओं के कारण हुए हैं, बावजूद इसके पशु विभाग ने सीख नहीं ली है और शहर में आवारा पशु और छुट्टा जानवर खुलेआम टहल रहे हैं। इनके कारण सड़कों पर हादसों को तो निमंत्रण मिल ही रहा है, गंदगी का भी अंबार लगा हुआ है।

आवारा पशु बिगाड़ न दें देव दीपावली की रौनक

वाराणसी नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी अजय प्रताप सिंह इसकी सफाई में कहते हैं, आवारा पशुओं को हटाने और कैटल हाउस भेजने का कार्य विभाग के द्वारा निरंतर करवाया जा रहा है। देव दीपावली के पहले सभी सड़कों से पशुओं का हटाने का कार्य कर लिया जायेगा।

सपा पार्षद हारून अंसारी कहते हैं, 'देव दीपावली नजदीक है, मगर घाटों की सफाई और अन्य व्यवस्थायें बहुत लचर गति से की जा रही हैं। घाटों पर शील्ड और बालू जमा है। नमो घाट को वीवीआईपी के लिए रिजर्व करना काशी वासियों की भावनाओं को आहत करना है। 

कांग्रेस पार्षद रमजान अली कहते हैं, देव दीपावली धार्मिक आस्था का विषय है, योगी सरकार ने बजट आवंटित कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है, जबकि जनता और विरोधी दल सुरक्षा व्यवस्था समेत तमाम मसलों पर शिकायत दर्ज कर रहे हैं। प्रशासन पर सवाल उठाते हुए रमजान कहते हैं, प्रशासन अपना कर्तव्य निभाने में फेल है, जिसके कारण फेल्योर होता है। बाढ़ के कारण बनारस के घाटों पर बहुत ज्यादा ​शील्ट जमी हुयी है जिसकी सफाई नहीं की जा रही है, जबकि प्रशासन सफाई के तमाम दावे करता रहता है। जगह जगह लाइटें टूटी हुयी हैं, मगर नगर निगम क्या कर रहा है यह अपने आप में सवाल है।

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