Ground Report : हरियाणा के नूंह इलाके के क्या सच में 103 गांवों में मुस्लिम नहीं बसने देते हिंदुओं को?

हरियाणा स्थित नूंह के 103 गांवों में नहीं हिंदू के जिस सर्वे को आधार बना SC में डाला गया केस, उसका चौंकाने वाला सच जनज्वार की खोजी रिपोर्ट में आया सामने...

Update: 2021-07-07 09:58 GMT

नूंह से लौटकर मनोज ठाकुर की ग्राउंड रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। धर्म के नाम पर कैसे झूठ गढ़ा जाता है, इसे नूंह में हिंदुओं के पलायन के झूठ से इसे भली-भांति समझा जा सकता है। कैसे कुछ गढ़ा जाता है, कैसे इसकी बुनियाद तैयार होती है? यह महसूस करना है तो नूंह में एक बार आना होगा। कैसे मीडिया सनसनी फैलाता है। हिंदू—मुसलमान के बीच नफरत की खाई खोदकर अपने लिए टीआरपी बटोरते मीडिया का सच जानना है तो नूंह आना ही होगा। ग्राउंड पर जाए बिना, चीख चीख कर बोलते एंकर कितना झूठ परोस रहे हैं, यह समझना होगा।

कैसे सियासी मुनाफे के लिए हिंदू मुस्लिम भाई चारे को खत्म किया जा रहा है। एक झूठ-मूठ का सर्वे नूंह में किया जाता है। सर्वे करने वाले ग्राउंड पर नहीं जाते। फिर इस सर्वे के झूठे आंकड़ों पर समाचार प्रकाशित कराए जाते हैं। टीवी चैनल पर न्यूज चलाई जाती है। खतरे में धर्म बताया जाता है।

जब यह सारा प्रोपेगेंडा तैयार हो जाता है, फिर खबरों वह कतरन जो झूठ पर आधारित होती है, उन्हे आधार बना कर सुप्रीम कोर्ट में केस डाल दिया जाता है। मांग की जाती है कि नूंह में हिंदुओं को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिय जाता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है। लेकिन जो प्रोपेगेंडा खड़ा करना चाहते हैं, वह अपने मकसद में कुछ हद तक कामयाब हो ही जाते हैं।

जनज्वार ने हिंदुओं के पलायन पर हुए सर्वे का सच को जानने के लिए नूंह की ग्राउंड रिपोर्टिंग की। ग्राउंड पर जाकर सर्वे का सच, सर्वे करने वालों के तथ्यों को जानने और समझने का प्रयास किया, जो सच सामने आया वह बेहद चौंकाने वाला है।

जिस सर्वे के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में केस, उसका नहीं कोई आधार

सच यह है कि सुप्रीम कोर्ट में जिस सर्वे को आधार बनाकर मेवात के 403 गांवों में से 103 गांव में हिंदू परिवार नहीं हैं, का दावा किया गया था, यह सर्वे तीन सदस्य कमेटी ने किया था। कमेटी में मेजर जनरल जीडी बक्शी, हरि मंदिर आश्रम पटौदी के संत स्वामी धर्मदेव और एक अन्य शख्स शामिल थे। मंदिर के महंत स्वामी धर्मदेव से जब सर्वे के बारे में बातचीत की तो उन्होंने बताया कि कोविड की वजह से टीम गांवों में गई ही नहीं थी। इसलिए लोगों ने जो बताया, इसके आधार पर ही यह निष्कर्ष निकाल लिया गया था कि 103 गांवों में हिंदू परिवार नहीं है। उन्होंने बताया कि हालांकि सर्वे करने की योजना थी, लेकिन क्योंकि कोविड संक्रमण लगातार चल रहा है।


सर्वे कमेटी के सदस्य महंत स्वामी धर्मदेव ने स्वीकारा सर्वे के लिए टीम गयी ही नहीं थी गांवों में

यह पूछने पर कि सर्वे कैसे किया? क्या आप लोग वहां गए थे? स्वामी धर्मदेव कहते हैं, 'नहीं, अभी नहीं जा पाए हैं। क्योंकि वहां जाना अभी संभव नहीं है। वैसे ही पता कराया था, लोगों से। अभी तक खुद नहीं जा पाए। अपने जो लोग मिलने जुलने वाले हैं, उनसे बातचीत की, जैसा उन्होंने बताया,इसी को आधार बना कर रिपोर्ट तैयार की गई है। हालांकि कोशिश यह थी कि सर्वे के लिए गांवों में जाया जाए। इसके लिए कोविड संक्रमण कंट्रोल होने का इंतजार किया गया, लेकिन स्थिति सामान्य नहीं हो पाई। सर्वे के लिए जाना है। जैसे ही स्थिति ठीक होगी तो सर्वे किया जाएगा। यह सर्वे आठ माह पहले किया गया था।

आप यहां की स्थिति को कैसे देखते हैं? पूछने पर वह कहते हैं, 'यहां स्थिति गंभीर बनी हुई है। हिंदू लोगों के साथ मारपीट होती है। पुलिस और प्रशासन भी उनकी सुनवाई नहीं करता है। उनकी रिपोर्ट भी नहीं लिखी जाती है। जब भी वे शिकायत लेकर जाते हैं, तो मामले को रफा दफा करने का दबाव डाला जाता है। यानी पिट भी हिंदू जाते हैं, फिर माफी भी उन्हें ही मांगनी पड़ती है। प्रशासन में उनकी सुनवाई नहीं होती है। प्रशासन उनकी बात सुने, हम बस यहीं चाह रहे हैं।'

इस सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका की वजह क्या है? के जवाब में वह कहते हैं, 'नहीं पता। हमें इसकी जानकारी नहीं है। हम सुप्रीम कोर्ट में नहीं गए। अभी वहां जाने का मतलब ही नहीं था। हम यहां का माहौल बिगाड़ना नहीं चाहते। हम तो बस यहीं चाह रहे हैं कि यहां शांति बनी रहे। इसके लिए जो भी कदम उठाए जा सकते हैं, वह उठाने चाहिए। हम मिल बैठ कर इस समस्या का हल खोजने की कोशिश करेंगे।'

आपकी नजर में क्या हल हो सकता है? का जवाब देते हुए स्वामी धर्मदेव कहते हैं, 'देखिए हम धर्मगुरू हैं तो हमें सोचना चाहिए, हम मुस्लिम धर्मगुरुओं से बातचीत करेंगे। हम यह भी कोशिश कर रहे हैं कि एक बार कोविड संक्रमण की स्थिति ठीक जाए, इसके बाद गांवों में जाकर शांति व सौहार्द स्थापित करने की दिशा में काम किया जाएगा। इसके लिए काम करना जरूरी है।

जब सर्वे गांवों में जाकर हुआ ही नहीं, फिर इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट जाना क्या उचित है? का जवाब वो कुछ यूं देते हैं, 'ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट जाने की जरूरत कम से कम अभी नहीं है। अभी तो अपने स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए थे। हम तो यहीं चाह रहे हैं कि किसी के साथ भी ज्यादती नहीं होनी चाहिए। वह चाहे हिंदू हो या मुसलमान। हम माहौल को बिगाड़ना नहीं चाहते। हम तो चाहते हैं कि इस मामले का शांतिपूर्वक हल निकले। इसी को ध्यान में रख कर काम किया जा रहा है। हम तो योजना यह बना रहे हैं कि सभी धर्मगुरु मिलकर गांवों में जाए, वहां लोगों से बातचीत करे। समझे कि स्थिति क्या है? कैसे इसका हल निकल सकता है।

आपकी सोचा क्या है? क्या सुप्रीम कोर्ट में जाना सही कदम था? के जवाब में कहते हैं, 'नहीं... अभी नहीं। इस मामले का हल आपसी बातचीत से निकल सकता है। हम यहीं चाहते हैं कि यदि वहां किसी का उत्पीड़न होता है तो पुलिस पक्षपात न करे। पुलिस उनकी बात भी सुने। इसके बाद कोई निर्णय लें। हम इसका हल निकालना चाहते हैं।

...आप आए, खुद महसूस करें और फिर राय बनाए कि मेवात है क्या?: एसपी नूंह

एसपी और स्थानीय नेताओं से मिलकर जानने की कोशिश की कि मेवात को अपराधियों का अड्डा बताया जाता है। इसके पीछे सच क्या है? यहां का क्राइम रेट क्या है? क्या सच में यहां शाम होते ही लोग घरों में दुबक जाते हैं। हमने इसके लिए यहां के एसपी नरेंद्र बिजरनिया, यहां के कांग्रेसी विधायक आफताब अहमद से बातचीत की।

(हरमंदिर आश्रम)

पुलिस अधिकारी नूंह को कैसे देखते हैं, इसके लिए हम यहां के एसपी आईपीएस नरेंद्र बिजरनिया से मिले। उन्होंने बताया कि यहां अपराध का ग्राफ सामान्य है। ऐसी कोई शिकायत उनके पास आज तक नहीं आई कि यहां किसी का उत्पीड़न हो रहा है। यहां को लेकर नेशनल मीडिया में जो दिखाया जा रहा है, वह सही नहीं है। वह तथ्यों पर आधारित नहीं है। हम समय समय पर इसका खंडन करते हैं। इसके बाद भी मीडिया यहां को लेकर कुछ भी प्रकाशित करता रहता है। ऐसे में हम क्या कर सकते हैं?

एसपी ने बताया कि काफी समय से इस इलाके को लेकर एक तरह का प्रचार चला आ रहा है। जो गलत है। इसमें कुछ भी सच नहीं है। यह इलाका हरियाणा के बाकी इलाकों जैसा है। आप यहां आएं, यहां रह कर देखें। यहां हिंदू मुस्लिम विवाद जैसी कोई बात नहीं है। सभी लोग आपस में प्यार से रहते हैं। कई ऐसे उदाहरण भी हैं, जहां मुस्लिम बहुत गांव में हिंदू को सरपंच चुना गया है।

वह कहते हैं, लव जेहाद की यहां कोई शिकायत नहीं आई। यह आरोप गलत है कि पुलिस हिंदुओं की शिकायत पर कार्यवाही नहीं करती। हर शिकायत पर कार्यवाही होती है, जो भी पुलिस के पास आती है। यह आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं, इस बारे में हम कुछ नहीं कह सकते, एसपी बोले। उन्होंने बताया यहां की कल्चर थोड़ी अलग है। यहां मेव बहुल इलाका है। धार्मिक कट्टरता यहां नहीं है।

बकौल एसपी नूंह ऐसा नहीं कि धर्म को लेकर यहां बहुत सख्ती है। यहां का माहौल एकदम से धार्मिक सौहार्द भरा है। कोई किसी को तंग नहीं करता है। सब एक दूसरे का सम्मान करते हैं। जहां तक हिंदुओं के पलायन को लेकर सर्वे की बात है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। उन्हें नहीं पता इस तरह का कोई सर्वे यहां किया गया है। इसके लिए उन्हें न तो किसी ने बताया, न ही इसमें शामिल किया है। मीडिया से ही पता चला कि ऐसा कुछ चल रहा है।

एसपी ने अपनी बातचीत में आगे बताया कि यहां अपराध का ग्राफ सामान्य है। ऐसा नहीं है कि यहां आपराधिक घटनाएं ज्यादा हैं। चोरी और छोटी मोटी छीना झपटी की घटनाएं होती है। इस तरह की घटना आमतौर पर दूसरी जगह भी होती रहती है। इसलिए यह कहना सही नहीं कि यह अपराधिक क्षेत्र है। यहां अपराधियों की संख्या बहुत ज्यादा है।

मेवात दरअसल तीन राज्यों के पांच जिलों में फैला हुआ है। इसमें राजस्थान, यूपी और हरियाणा आता है। यूपी के मथूरा, हरियाणा के नूंह, फरीदाबाद और पलवल जिले इसमें आते हैं। अब यदि तीनों राज्यों में कहीं भी वारदात होती है तो नाम मेवात का दे दिया जाता है। लगातार इस प्रचार की वजह से ऐसा लगता है कि यह इलाका अपराधियों का गढ़ है।

एसपी ने बताया कि आप यहां रह कर देखे। स्वयं महसूस करेंगे पाएंगे कि यह इलाका कितना अच्छा है। यहां की मेहमानवाजी जबरदस्त है। बाहर से आए लोगों का यहां दिल से स्वागत होता है।

हम कुछ बोलेंगे तो बोल देंगे कि हम बोलते हैं: आफताब अहमद

वहीं कांग्रेसी विधायक आफताब अहमद ने कहा कि हम यहां के बारे में क्या बोले? यदि बोलेंगे तो सीधे कह दिया जाएगा कि हम एक वर्ग विशेष की तरफदारी कर रहे हैं। इसलिए चुप ही रहते हैं। सच क्या है? यह तो यहां आकर देखना चाहिए। ऐसा नहीं है कि दूर दराज के इलाके में बैठ कर कुछ भी बोल दिया जाए।

यह गलत है। ऐसा नहीं होना चाहिए। होना तो यह चाहिए कि इस इलाको समझ कर इसके बाद ही इस पर कोई टिप्पणी करनी चाहिए। लेकिन हो यह रहा है कि जो जिसके मन में आता है, इस इलाके के बारे में वहीं बोल दिया जाता है। यह लंबे समय से चल रहा है। ऐसा क्यों है? इसकी वजह तो मालूम नहीं।

बस इतना पता है कि यहां हर कोई चैन और सुकून से रह रहा है। ऐसा लगता है कि यह चैन और सुकून कुछ लोगों को रास नहीं आ रहा। इसलिए यहां के माहौल को खराब करने की कोशिश होती रहती है। जबकि सच यह है कि यहां हर धार्मिक सौहार्द भरा वातावरण है। सब मिल जुलकर रहते हैं। इसके बाद भी यहां के बारे में गलत धारणा बनाई जा रही है। जो किसी भी मायने में जायज नहीं ठहराई जा सकती है। इससे क्षेत्र का भला नहीं बल्कि नुकसान ही होता है। देश में इस इलाके की छवि खराब हो रही है। यहां के युवाओं को निजी क्षेत्र की नौकरियों में काफी दिक्कत आती है। क्योंकि लोग उन्हें काम देने से बचते हैं। यहां की गलत छवि की वजह से डरते हैं। यहां के युवाओं को बाहर काम के लिए ज्यादा मेहतन और संघर्ष करना पड़ता है। उन्हें रहने के लिए कमरे नहीं मिलते। मेवात का टैग उन पर ऐसा लग जाता है कि वह इससे लंबे समय तक जुझने पर मजबूर हो जाते हैं। यह दुष्प्रचार बंद होना चाहिए। क्योंकि इससे किसी का भला होने वाला नहीं हैं, हां नुकसान जरूर हो रहा है। इस नुकसान को रोका जाना चाहिए।

मैं यह नहीं कहती यहां से पलायन नहीं हुआ, लोग बेहतर जिंदगी के लिए यहां से गए हैं : नौक्षम चौधरी

भाजपा के टिकट पर पुन्हना से विधायक का चुनाव लड़ने वाली नौक्षम चौधरी से नूंह से हिंदुओं के पलायन को लेकर बातचीत की। उन्होंने बताया, मैं यह तो नहीं कहती कि यहां से लोग नहीं गए। लेकिन उनके जाने की वजह दूसरी है। वह बेहतर जिंदगी के लिए, बच्चों की शिक्षा के लिए और व्यापार के लिए यहां से दूसरी जगह चले गए हैं। यहां भी अपराध होते हैं, लेकिन इतने नहीं, जितने बताए जा रहे हैं।

भाजपा नेता नौक्षम चौधरी ने कहा हमारे इलाके से पलायन हुआ है, मगर अपनी तरक्की के लिये निकली है जनता बाहर

नूंह और मेवात के बारे में जो मीडिया में आ रहा है, इसका सच क्या है? का जवाब देते हुए नौक्षम चौधरी कहती हैं, 'यहां से लोग जा रहे हैं। इसकी वजह है। यहां विकास नहीं है। यह इलाका देश की राजधानी से मात्र 70 किलोमीटर दूर है। इसके बाद भी यहां के विकास की ओर ध्यान नहीं दिया गया। यहां रोजगार की भारी कमी है। पीने के पानी की किल्लत है। उद्योग धंधे यहां नहीं आ रहे हैं। ऐसे में लोग क्या करेंगे? यहां से वह दूसरी जगह ही जाएंगे। कुछ लोग व्यापार और काम के लिए यहां से चले जाते हैं। कुछ लोग अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए इस क्षेत्र को छोड़ देते हैं। इसलिए पलायन की वजह अलग है। मेवात देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक हैं। मेवात की एक गलत छवि गढ़ी जा रही है। कुछ असमाजिक तत्व यहां भी हो सकते हैं। यह तो हर जगह होते हैं। इसलिए वह छोटी छोटी घटनाओं को धार्मिक कट्टरवाद का रंग देकर माहौल खराब करने की कोशिश करते हैं।

मेवात की तस्वीर गलत पेश की जा रही है। यहां ऐसा कुछ है ही नहीं। यहां शिक्षा को और ज्यादा बढ़ावा देने की जरूरत है। यहां महिलाओं की शिक्षा की ओर ध्यान देने की जरूरत है। यहां विकास और काम करने की जरूरत है। मौजूदा सरकार इस ओर ध्यान दे रही है। जो अफवाह यहां के बारे में उड़ाई जा रही है। इसमें कुछ भी सच नहीं है। यह गलत प्रचार है। इस पर रोक लगनी चाहिए।

एक षड्यंत्र के तहत हमें बदनाम किया जा रहा है : कासिम स्थानीय पत्रकार

स्थानीय पत्रकार कासिम खान कहते हैं, नूंह से हिंदुओं के पलायन की खबरें बेबुनियाद है। लोग यदि यहां से जाते हैं तो सिर्फ शिक्षा, व्यापार और अच्छे जीवन के लिए यहां से जाते हैं। यहां क्योंकि इतनी सुविधाएं नहीं हैं, इसलिए लोग यहां से दूसरी जगह पर चले जाते हैं।

इस जिले से कई नामचीन हस्तियां निकली हैं, लेकिन उनकी बात नहीं होती, बात होती है यहां की छोटी छोटी घटनाओं को बढ़ा बनाकर दिखाने की। यह सच है कि यहां विकास की ओर ध्यान नहीं दिया गया है। गुड़गांव साइबर सिटी है, लेकिन हम नीति आयोग की रिपोर्ट में हम पिछड़े हैं।

कासिम खान आगे कहते हैं, कारगिल युद्ध लेकर स्वतंत्रता संग्राम में यहां के लोगों ने शहादत दी है। दिल्ली मीडिया और यहां की पुलिस लगातार इस तरह की बातें फैलाती है। दिल्ली में किसी अपराधिक घटना के लिए मेवाती गैंग नाम से प्रचार किया जाता है। इस शब्द का प्रयोग बार बार किया जाता है। उन्होंने इस पर विरोध जताया। दिल्ली पुलिस कुछ समय तक इससे बचती रही, लेकिन कुछ समय बाद फिर से वहीं हालात हो गए हैं। इसलिए आज देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लोग मेवात के लोगों से नफरत करते हैं। इसे रोकने के लिए अभी तक कुछ नहीं हो रहा है।

नूंह के स्थानीय पत्रकार कासिम ने कहा एक षड्यंत्र के तहत हमें बदनाम किया जा रहा है

होना तो यह चाहिए कि इस क्षेत्र के विकास के लिए योजना बने। इस इलाके को बदनाम न किया जाए, इसके लिए पुख्ता कदम उठाए जाए। लेकिन हो इसके विपरीत रहा है। यहां विकास तो हो नहीं रहा, इलाके को बदनाम जरूर किया जा रहा है।

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