Uttarakhand News : BJP विधायक की विधानसभा में दलित बच्चे बदहाल, जानवरों से भी बदतर हालत में पढ़ने को है मजबूर

Uttarakhand News : भाजपा विधायक क्षेत्र रामनगर विधानसभा में दलित गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में न छत है और ना ही ब्लैकबोर्ड है, यहां एक खुला मैदान है, जिसके ऊपर केवल टूटी-फूटी टीन की चादर बिछी हुई है, इस स्कूल की ऐसी हालत 2012 के बाद से ही है...

Update: 2022-02-10 18:15 GMT

Uttarakhand News : उत्तराखंड के भाजपा विधायक के क्षेत्र रामनगर विधानसभा में दलित गांव में बच्चों की हालत बदहाल हो गई है। यहां इस गांव के मिडिल स्कूल की हालत बद से बदतर है। जनज्वार की टीम स्कूल और बच्चों की शिक्षा से जुड़ी व्यवस्था देखने और बच्चों का हाल जानने पहुंची और पाया कि यहां पर शिक्षा के नाम पर केवल दिखावा हो रहा है।

स्कूल की बिगड़ी हालत

भाजपा विधायक क्षेत्र रामनगर विधानसभा में दलित गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में न छत है और ना ही ब्लैकबोर्ड है| यहां एक खुला मैदान है, जिसके ऊपर केवल टूटी-फूटी टीन की चादर बिछी हुई है। बताया गया कि इस स्कूल की ऐसी हालत 2012 के बाद से ही है। स्कूल के मास्टर और जनसेवा से जमा किए गए पैसों से एक छोटी-सी जगह बनाई गई है, जहां पर बच्चों को मिड-डे मील की सेवा उपलब्ध करने के लिए सामान रखा जाता है।

स्कूल में नहीं है कोई सुविधा

इस स्कूल में आठवीं क्लास तक के बच्चे पढ़ते हैं लेकिन इनके लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। स्कूल में 52 बच्चे पढ़ते हैं लेकिन इस स्कूल में स्कूल में ना छत है, नाम ब्लैकबोर्ड और ना ही शौचालय है। यहां जानवरों से भी बदतर हालात में दलितों के बच्चे पढ़ने के लिए मजबूर हैं। इन बच्चों के बैठने तक की सही व्यवस्था नहीं है। सर्दी और बरसात में जान का जोखिम लेकर यहां बच्चे पढ़ाई करने आते हैं।

उत्तराखंड में चुनावी माहौल है। ऐसे में रामनगर में बड़े-बड़े नेता चुनाव प्रचार के लिए आते हैं। उत्तराखंड की आबादी के हिसाब से रामनगर में 1 लाख 21 हजार कुल वोट है, जो किसी विधायक को जीत दिला सकते है या हरा सकते हैं। बावजूद इसके यहां की शिक्षा व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।

बदहाल शिक्षा व्यवस्था

स्कूल के अध्यापक ने बताया कि चाहे ठंड हो या गर्मी, यहां सभी टीचर बच्चों को पढ़ाने के लिए हर हाल में आते हैं और बच्चे भी अपनी जान का जोखिम उठाकर यहां पढ़ने के लिए आते हैं। इस पर टीन की चादर डाली गई है, जो 2013 में डाली गई थी और 9 साल में वह काम आगे नहीं बढ़ा है। इस स्कूल में कोई सुविधा ना होने के कारण बारिश के मौसम में बच्चों का पढ़ना मुश्किल हो जाता है।

विधायक नहीं सुनते हैं परेशानी

स्कूल के अध्यापक ने बताया कि स्कूल में कुल 3 मास्टर है और एक भोजन माता है। बच्चों के लिए मिड-डे मील का जो खाना बनता है, वह भी भोजन माता के घर पर बनता है क्योंकि स्कूल में भोजन बनाने के लिए जगह तक नहीं है। साथ ही उन्होंने बताया कि इस समस्या से विधायक को दो-तीन बार अवगत कराया जा चुका है लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। इस स्कूल में लड़के और लड़कियां दोनों पढ़ते हैं लेकिन इनके लिए शौचालय की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। जब पदाधिकारियों से इस बारे में बात की जाती है तो बात को टाल दिया जाता है। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से स्कूल की मूलभूत सुविधाएं जैसे रसोई, शौचालय और क्लासरूम की कोई सुविधा नहीं है।

वोट के रूप में देखती है सरकार

स्कूल के अन्य अध्यापक ने बताया कि कई सालों से इस स्कूल में कोई मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं हुई है। जो भी यहां थोड़ा बहुत कार्य हुआ है, वह अध्यापकों ने अपने पैसों से करवाया है। उनका कहना है कि चाहे कांग्रेस बीजेपी या आम आदमी पार्टी की सरकार हो, कोई भी सरकार यहां ध्यान नहीं देती है और ना ही कोई कार्य करवाती हैं। वह केवल हमें एक वोट के रूप में देखती है।

बच्चों ने साझा की अपनी परेशानी

स्कूल में पढ़ने वाली बच्चों ने जनज्वार की टीम के साथ अपनी परेशानियों को साझा किया है। उन्होंने बताया कि किस तरह से उन्हें यहां परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जब गर्मी होती है तो उन्हें यहां बहुत कड़क धूप लगती है और बरसात के मौसम में पढ़ाई नहीं हो पाती है। इस स्कूल में कोई टीन शेड भी नहीं है और ना ही कोई बैठने की सुविधा है।

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