किसानों ने जारी किया लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना 22 सूत्रीय एजेंडा, पूंजीपति हितैषी सरकार में बेतहाशा बेरोजगारी संकट की दी चेतावनी

विकास के नाम पर किसानों की जमीनों का अधिग्रहण करके पूंजीपतियों के हाथों में देने की सरकार की नीतियों पर रोक लगे. यदि ऐसी नीतियों पर रोक नहीं लगेगी तो उपजाऊ जमीन, पेड़ पौधे, कृषि आधारित रोजगार, जीविका नष्ट और बर्बाद हो जाएगी. इससे खाद्य संकट, स्वास्थ्य संकट, पर्यावरण संकट और बेतहाशा बेरोजगारी का संकट उत्पन्न हो जाएगा...

Update: 2024-05-11 07:45 GMT

file photo

Loksabha election 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 का ऐलान हो चुका है। सभी राजनीतिक दल किसानों की बात तो करते हैं, लेकिन किसानों के लिए किसी भी राजनीतिक दल के पास स्पष्ट एजेंडा नहीं है। ऐसे दौर में किसान संगठनों द्वारा चुनाव के वक्त में किसानों की तरफ से किसान एजेंडा जारी किया गया है।

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जो एजेंडा जारी किया गया है, उसमें 22 बिंदु रखे गये हैं, आइये जानते हैं क्या हैं एजेंडे की मांगें—

1- विकास के नाम पर किसानों की जमीनों का अधिग्रहण करके पूंजीपतियों के हाथों में देने की सरकार की नीतियों पर रोक लगे. यूपीसीडा द्वारा विकास के नाम पर ग्रामसभा की जमीनों को कब्जाने की नीति वापस ली जाए. यदि ऐसी नीतियों पर रोक नहीं लगेगी तो उपजाऊ जमीन, पेड़ पौधे, कृषि आधारित रोजगार, जीविका नष्ट और बर्बाद हो जाएगी. इससे खाद्य संकट, स्वास्थ्य संकट, पर्यावरण संकट और बेतहाशा बेरोजगारी का संकट उत्पन्न हो जाएगा.

Full View

2-मंदुरी एयरपोर्ट के विस्तार के नाम पर किसानों की जमीन को लूटने की योजना व मास्टर प्लान वापस लिया जाए. मंदुरी एयरपोर्ट के सामने 10 मार्च 2024 को प्रधानमंत्री की जनसभा के लिए हरी फसलों को काटकर खेतों की मेड़ों को समतल करके जनसभा की गई, जिसकी क्षतिपूर्ति उत्पादन के सापेक्ष कम दी गई. पशुओं के चारा का भुगतान नहीं किया गया. इस समय पशुओं के चारे का बहुत संकट उत्पन्न हो गया है. अभी तक मेड़ों को नहीं बनवाया गया, जिससे किसान परेशान हैं. इसके सम्बन्ध में किसान एकता समिति एवं प्रभावित किसानों ने जिलाधिकारी महोदय को पत्रक भी दिया, पर अभी तक कोई कार्रवाई या समाधान नहीं हुआ है.

3- पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के अगल-बगल के गांव की जमीनों का औद्योगिक गलियारों या पार्क के नाम पर पूंजीपतियों को देने की साजिश की जा रही है. भूमि अधिग्रहण की जिन नीतियों ने किसानों को उपजाऊ जमीनों, घरों मकानों से बेदखल कर दिया या बेदखल करती जा रही हैं इस नीति पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए.

4- पूंजीपतियों की कर्ज माफी पर रोक लगाई जाए और किसानों के बिजली बिल, केसीसी और अन्य तरह के कर्ज माफ किए जाएं.

5- फसल बीमा योजना के नाम पर बड़े पैमाने पर सुनियोजित तरीके से लूट की जा रही है. बीमा कंपनियां बीमा करने व किसानों की फसल की भरपाई करने की जगह पूरा पैसा लूट लेती हैं. किसान जब केसीसी से लोन लेता है तो फसल की बीमा प्रीमियम के नाम पर पैसा काटकर कंपनियों को दे दिया जाता है. यह एक काफी बड़ी रकम होती है आज के सात साल पहले यह प्रति जिला 83 करोड़ रुपये थी। किसान की फसल के नुकसान की भरपाई की बात तो दूर किसान की फसल की बीमा करने वाली कंपनी का नाम तक नहीं बताया जाता है यह घोर अन्याय है.

Full View

6- सभी किसानों की सभी फसलों का बीमा नि:शुल्क किया जाए.

7- एमएसपी की गारंटी हो तथा किसानों को कानूनी अधिकार मिले. किसानों को उनकी फसलों के लागत मूल्य एवं उनके परिश्रम के सापेक्ष फसलों की उचित कीमत मिले. उनकी आय बढ़ेगी तो किसान मजदूर प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में जो गलत नीतियों के कारण कर्ज में फसकर आत्महत्या करते हैं वह आत्महत्याएं रुकेंगी.

8- सभी किसानों को 5 लाख तक लोन किसान क्रेडिट कार्ड पर शून्य प्रतिशत ब्याज पर दिया जाए.

9- साधन सहकारी समितियां मृतप्राय हो गई हैं, पुन: पुनर्जीवित किया जाए. सरकारों ने खाद, बीज, दवाओं को खुले बाजारों के हवाले कर दिया है, जो पूरी मनमानी तरीके से लूटपाट करते हैं. गुणवत्ता में भी मिलावट करते हैं. इसीलिए किसानों को किसान सेवा केंद्रों एवं कृषि रक्षा इकाइयों पर पूरी तरह से उपलब्ध कराई जाए. गन्ने का भुगतान समय पर किया जाए.

10- नहरों की स्थिति बदतर है. नहरों की साफ-सफाई करके समय पर फसलों की सिंचाई हेतु पानी दिया जाए. समय पर बिजली एवं बिजली निशुल्क दी जाए, नलकूपों की ठीक से देखरेख की जाए.

11- फसलों को छुट्टा पशुओं से बचाने के लिए समुचित प्रबंध किया जाए. किसान पराली जलाए नहीं तो कहां ले जाएं, इसका तकनिकी प्रबंधन किया जाए. कंपनियों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं से पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों एवं मानव जीवन को गंभीर संकट है इसका भी समाधान होना चाहिए.

Full View

12- खेती संबंधित उपकरण मशीनों पर 50%सब्सिडी दी जाए.

13- कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा गांव-गांव में चौपाल लगाकर किसानों को आधुनिक खेती करने के तरीके, उपकरणों के प्रयोग, फसलों का उत्पादन अधिक से अधिक हो यह सभी सरकारी कृषि नीतियों से अवगत कराया जाए.

14- जन वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले खाद्य पदार्थों का विस्तार हो। दाल, तेल तथा मोटे अनाज जैसे पोषक आहार तुरंत शामिल किए जाएं.

15- जन वितरण प्रणाली सार्वभौमिक हो. सभी ज़रूरतमंद को राशन कार्ड बगैर किसी जटिल प्रक्रिया के उपलब्ध कराया जाए.

16- सभी किसान-मजदूर का इलाज-दवा नि:शुल्क हो. सभी स्वास्थ्य सेवाएं सार्वभौमिक की जाएं.

17- मनरेगा रोजगार गारंटी योजना को सुचारु रूप से चलाया जाए, समय पर भुगतान, समयानुसार काम, साल में 200 दिन काम और वर्तमान महंगाई दर के अनुसार प्रतिदिन 800 रुपए मजदूरी मिलनी चाहिए.

18- भारतीय संविधान के 73वें और 74वें संशोधन को कमजोर करना बंद करें और स्थानीय क्षेत्र के विकास के लिए समावेशी योजनाओं की तैयारी सुनिश्चित करने के बाद ग्राम परिषदों और ग्राम सभाओं (ग्राम सभाओं) को प्राथमिकता पर बजटीय सहायता प्रदान करें.

19- जो नीतियां श्रमिक कानूनों में बदलाव करके मजदूरों के अधिकारों को छीनकर उन्हें कम से कम मजदूरी-वेतन पर खटने के लिए मजबूर किया है उन्हें वापस लिया जाए. निजीकरण की नीतियों ने नौकरियां खत्म कर दिया है, ऐसी नीतियों को बंद किया जाए.

20- हमारे देश के सभी अन्नदाता किसान-मजदूर को 60 वर्ष की आयु के बाद ₹5000 प्रतिमाह पेंशन दी जाये.

21- केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों की शक्तियों को हड़पने के माध्यम से अब वापस ले लिए गए तीन कृषि कानूनों का पिछले दरवाजे यानि परोक्ष रूप से इनके प्रवेश बंद करें.

22- कृषि संबंधी मुद्दों पर संसद और राज्य विधानमंडलों में विशेष सत्र चलाया जाए.

किसान एजेंडा जारी करने वाले संगठनों में जमीन-मकान बचाओ संघर्ष समिति, किसान एकता समिति, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM), भारतीय किसान यूनियन, सोशलिस्ट किसान सभा और पूर्वांचल किसान यूनियन शामिल हैं।

Tags:    

Similar News