भारत की आधी कामकाजी आबादी है कर्जदार, करीब 20 करोड़ लोगों ने ले रखा है ऋणः सीआईसी
कोरोना काल में ठप होते धंधे और बढ़ती बेरोजगारी ने बना दिया कर्जदार, देश के करीब 20 करोड़ कामकाजी लोगों ने ले रखा है लोन
जनज्वार ब्यूरो। बीते कई सालों से आर्थिक मोर्च पर अच्छी खबर का इतंजार है। लेकिन कोरोना महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया। हर सेक्टर में मंदी का दौर देखने को मिल रहा है। बेरोजगारी बढ़ी है और इसका असर लोगों की जेबों पर भी पड़ा है। आर्थिक मंदी के कारण जहां बाजार ठप है, लोगों की नौकरियां जा रही हैं, वही कर्ज का बोझ बढ़ रहा है।
देश की कुल कामकाजी आबादी का लगभग आधा हिस्सा कर्जदार है। क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी (सीआईसी) की मंगलवार 29 जून को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश की लगभग कुल 40 करोड़ कामकाजी आबादी में करीब आधे लोगों ने ऋण ले रखा हैं। उन्होंने अपना खर्च चलाने के लिए कम-से कम एक बार कर्ज लिया है या फिर उनके पास क्रेडिट कार्ड है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी, 2021 तक में देश की कुल कामकाजी आबादी 40.07 करोड़ थी। और इनमें से 50 फीसदी, लगभग 20 करोड़ लोगों ने खुदरा कर्ज बाजार से किसी-न-किसी रूप में लोन लिया है। ट्रांसयूनियन सिबिल के मुताबिक, कर्जदाता संस्थान नए ग्राहकों तक अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं क्योंकि पुराने ग्राहकों में आधे से ज्यादा कर्जदार उनके मौजूदा ग्राहक हैं।
गौरतलब है कि पिछले एक दशक में बैंकों ने खुदरा ऋण को प्राथमिकता दी, लेकिन महामारी के बाद इस खंड में वृद्धि को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है। सीआईसी के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में 18-33 वर्ष की आयु के 40 करोड़ लोगों के बीच कर्ज बाजार की वृद्धि की संभावनाएं हैं और इस वर्ग में कर्ज का प्रसार सिर्फ आठ प्रतिशत है।
महिला कर्जदारों की हिस्सेदारी कम
रिपोर्ट में जारी आंकड़ों के मुताबिक, महिला कर्जदारों की संख्या ऑटो ऋण में केवल 15 प्रतिशत, होम लोन में 31 प्रतिशत, पर्सनल लोन में 22 प्रतिशत और कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन में 25 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उधारकर्ता वित्तीय तनाव के समय में पहली क्रेडिट सुविधा पर भुगतान को प्राथमिकता देते हैं।
सीआईसी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी राजेश कुमार ने कहा, "सभी क्षेत्रों में उभरते एनटीसी उपभोक्ताओं की पहचान करना और उनके लिए वित्तीय अवसरों तक पहुंच को सक्षम करना हमारे देश में आर्थिक पुनरुत्थान और स्थायी वित्तीय समावेशन के लिए महत्वपूर्ण है।" साथ ही उन्होंने कहा कि कर्जदाता एनटीसी ग्राहकों के साथ-साथ सीआईसी के उत्पाद के साथ-साथ टर्नअराउंड समय में सुधार और अधिग्रहण की लागत को कम करने के लिए क्रेडिट जोखिम का आकलन कर सकते हैं।
मार्च में ही पर्सनल लोन 13.5% बढ़ा: आरबीआई
इधर केंद्रीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार 29 जून को बताया कि मार्च, 2021 में ही पर्सनल लोन 13.5% बढ़ गया, जबकि औद्योगिक कर्ज की मांग कम रही। मार्च तिमाही में निजी बैंकों ने सबसे ज्यादा कर्ज बांटे और कुल कर्ज में उनकी हिस्सेदारी 36.5% पहुंच गई , जो एक साल पहले 35.4% और पांच साल पहले तक 24.8% थी। घरेलू कर्ज में सालाना आधार पर 10.9 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है।
एक जुलाई से बदल रहे कुछ नियम
आर्थिक तंगी और बढ़ती महंगाई के बीच एक जुलाई से कुछ नियम बदल रहे हैं। जिनका सीधा संबंध आपकी जेब से है। इनमें बैंकिंग सेक्टर से लेकर इनकम टैक्स के नियम शामिल हैं। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई (SBI) ने एटीएम और ब्रांचेज से कैश विदड्रॉल के चार्जेज और नियमों में बदलाव किया है। 1 जुलाई 2021 से बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट्स के लिए अतिरिक्त वैल्यू एडेड सर्विसेज प्रभाव में आ रही हैं। यानी ब्रांच से या फिर एटीएम से इस खाते से पैसे निकालने के मामले में महीने में 4 बार मुफ्त में कैश निकाला जा सकेगा। इसके बाद बैंक चार्ज वसूलेगा, जो कि ब्रांच चैनल/एटीएम में प्रति कैश निकासी 15 रुपये+जीएसटी तय किया गया। एसबीआई एटीएम के अलावा, दूसरे बैंकों के एटीएम से निकासी पर भी इतना ही चार्ज लागू है।
इसके साथ ही कुछ टैक्सपेयर्स को अगले महीने से ज्यादा टीडीएस (TDS) चुकाना पड़ सकता है। रसोई गैस की कीमत में भी बदलाव हो सकता है। बता दें कि सरकारी तेल कंपनियां हर महीने की पहली तारीख को एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में बदलाव करती हैं। इससे पहले 1 जून, 1 मई और 1 अप्रैल को गैस कंपनियों ने इसकी कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया था। इससे पहले मार्च में एलपीजी सिलेंडर के दाम में 10 रुपये की कटौती की गई थी।